Social researcher and trainer associated with Vikas Samvad Human Development Resource Organisation
पोषण से खाली भारत की थाली
भोजन की थाली में 1207 ग्राम खाद्य सामग्री होना चाहिए, लेकिन…
वैश्विक भूख सूचकांक एक सच्चाई क्यों है?
वैश्विक भूख सूचकांक को नकारा जा रहा है, लेकिन इस स्वीकार…
भूख और भूख सूचकांक को स्वीकारना जरूरी है!
भूख को जब समग्रता में नहीं देखा जाता है तब तथ्यों को नकार…
मध्य प्रदेश: कुपोषण बनाम कुनीति
मध्यप्रदेश में बच्चों में एनीमिया में कमी की दर 0.1 प्रति…
मध्यप्रदेश में कुपोषण एवं पोषण-आहार की तथा-कथा
जुलाई-अगस्त 2015 में बहुत जोश-खरोश के साथ आंगनवाडी केन्द्र…
मनरेगा: नए ग्रामीण भारत की रीढ़
तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद मनरेगा की सार्थकता उसके शु…
मनरेगा जरूरी या मजबूरी-5: 3.50 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता पड़ेगी
कोरोनावायरस की वजह से पैदा हुए हालात के बाद अर्थव्यवस्थ…
मनरेगा जरूरी या मजबूरी-4: 250 करोड़ मानव दिवस रोजगार हो रहा है पैदा
आरोप लगाया जाता है कि मनरेगा के तहत पैसा व्यर्थ किया जात…
मनरेगा जरूरी या मजबूरी-3: 100 दिन के रोजगार का सच
कोरोना काल में ग्रामीण क्षेत्र के लिए मनरेगा योजना कितन…
मनरेगा जरूरी या मजबूरी-2: योजना में विसंगतियां भी कम नहीं
कोरोना काल में मनरेगा योजना कितनी कारगर साबित होगी, एक व…
कुपोषण मुक्त होने में भारत को लगेंगे कई दशक
अगर वर्ष 2000 से विश्व भूख सूचकांक का विश्लेषण करें तो भयाव…
230 सालों में खत्म होगा एनीमिया
सीएनएनएस रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब, केरल, पश्चिम बंगाल और…
नए हाथों में लोकतंत्र की बागडोर कितनी सुरक्षित?
देश के पांच करोड़ से अधिक बच्चे 18 वर्ष की सीढ़ी पर कदम रख …
बर्बर हो जाने का संकेत तो नहीं भीड़ हिंसा!
भारत में “भीड़ के द्वारा हिंसा” कोई नया घटनाक्रम नहीं…
बीमारियां हैं खुदकुशी का बड़ा कारण!
15 वर्षों के दौरान देश में 3.85 लाख लोग विभिन्न बीमािरयों के…
जर्दायुक्त मसाला और भारत में बचपन
अध्ययन से पता चला कि वंचित तबकों के लगभग 325 परिवारों वाले…