किसानों पर मंडराती आसमानी आफत

पिछले तीन दशकों में 1993 के बाद यह पहला मौका है जब टिड्डियों ने भारत के इतने बड़े हिस्से पर अपना कहर बरसाया है|

2019 में टिड्डियों ने करीब 200 से भी ज्यादा बार हमला किया है| आइये जानते हैं कि क्या जलवायु में आ रहे बदलाव से बढ़ रहे हैं देश में टिड्डियों के हमले? साथ ही जानते है कि देश को इन 2 ग्राम के कीटों से कितना खतरा है:

ललित मौर्य, अनिल कुमार; फोटो: विकास चौधरी


 

आमतौर पर देश में औसतन टिड्डी दल 10 से कम बार हमले करता है| पर 2019 से लेकर अब तक उसके हमले बढ़ते ही जा रहे हैं| अंतराष्ट्रीय खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा 2014 में जारी एक रिपोर्ट से पता चला है कि इससे पहले 1993 में टिड्डी दल ने इतने बड़े पैमाने पर अपना आतंक फैलाया था| तब उनके हमलों की संख्या 172 आंकी गयी थी| पाकिस्तान से हर वर्ष टिड्डी दल राजस्थान और गुजरात पहुंचता है। आमतौर पर एक टिड्डी का जीवनकाल 90 दिन का होता है। यह जुलाई में आती हैं, अंडे देती हैं और अक्टूबर तक इनकी नई पीढ़ी पाकिस्तान-ईरान को रवाना हो जाती है। टिड्डियों के यह दल हरियाली का पीछा करते हैं और उन इलाकों पर हमला करते हैं, जहां मॉनसून को गुजरे ज्यादा वक्त न हुआ हो, क्योंकि इससे उन्हें आसानी से खाना मिल जाता है, जोकि उनके विकास और प्रजनन करने में मदद करता है।






 

 

पाकिस्तान से हर वर्ष टिड्डी दल राजस्थान और गुजरात पहुंचता है। आमतौर पर एक टिड्डी का जीवनकाल 90 दिन का होता है। यह जुलाई में आती हैं, अंडे देती हैं और अक्टूबर तक इनकी नई पीढ़ी पाकिस्तान-ईरान को रवाना हो जाती है। टिड्डियों के यह दल हरियाली का पीछा करते हैं और उन इलाकों पर हमला करते हैं, जहां मॉनसून को गुजरे ज्यादा वक्त न हुआ हो, क्योंकि इससे उन्हें आसानी से खाना मिल जाता है, जोकि उनके विकास और प्रजनन करने में मदद करता है।


 
स्रोत: अंतराष्ट्रीय खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ)

इन टिड्डियों से है कितना खतरा

टिड्डियां कृषि और खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा हैं| दुनिया में टिड्डियों की 10 प्रजातियां सक्रिय हैं, जिनमें से चार प्रजातियां समय-समय पर भारत में देखी गई हैं। इनमें से सबसे खतरनाक रेगिस्तानी टिड्डी होती है। इस बार जो प्रजाति सक्रिय है, वह भी रेगिस्तानी टिड्डियां हैं। एक व्यस्क टिड्डी की रफ्तार 12 से 16 किलोमीटर प्रति घंटा बताई गई है। टिड्डियों का एक झुंड कितना बड़ा हो सकता है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक टिड्डी दल में 10 अरब तक टिड्डियां हो सकती हैं, जोकि सैकड़ों किलोमीटर में फैल जाती हैं। वो एक दिन में 200 किमी तक की दूरी तय कर सकती हैं और अपने सामने आने वाले हर पेड़ पौधे को चट कर जाती हैं| एफएओ के अनुमान के अनुसार रेगिस्तान टिड्डी किसी न किसी रूप में धरती के हर 10 में से एक इंसान की आजीविका को प्रभावित करती है| जोकि इसे दुनिया का सबसे खतरनाक प्रवासी कीट बना देता है|

ये टिड्डियां किस कदर नुकसानदायक हो सकती हैं, इसका अनुमान ऐसे लगाया जा सकता है कि इन टिड्डियों का एक छोटा दल, एक दिन में 10 हाथी और 25 ऊंट या 2500 आदमियों के बराबर खाना खा सकता है। एक व्यस्क टिड्डी का वजन करीब 2 ग्राम होता है| जोकि हर रोज अपने वजन के बराबर ही फसलों को खा सकती है| जबकि एक वर्ग किलोमीटर में फैला टिड्डी दल करीब 35 हज़ार लोगों के खाने के बराबर फसलों और पौधों को चट कर सकता है|



 

भारत में अब तक टिड्डी दल उत्तर पश्चिमी राजस्थान, उत्तरी पंजाब, पश्चिमी गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश तक पहुंच चुके हैं। जहां उन्होंने बड़े पैमाने पर फसलों को नष्ट कर दिया है| इसके अलावा उत्तरप्रदेश में भी इनके हमलों के समाचार सामने आ रहे हैं| जबकि बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली सहित कई अन्य राज्यों पर भी इनके संभावित हमले की आशंका जताई जा रही है। भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में भी इन रेगिस्तानी टिड्डियों ने कथित तौर पर बड़े पैमाने पर हमला किया है| जो ईरान से होती हुई पाकिस्तान पहुंची हैं| अनुमान है कि पाकिस्तान के सभी प्रांतों में 60 से अधिक जिलों में इन्होने फसलों को नुकसान पहुंचाया है|

भारत के लिए एक और परेशानी की वजह यह है कि केन्या से आने वाले टिड्डी दलों के कारण भारत को दूसरा बड़ा हमला झेलना पड़ सकता है।

आमतौर पर, जून के मध्य में केन्या से टिड्डियां चलती हैं जो पाकिस्तान और ईरान होते हुए भारत पहुंचती हैं। एफएओ ने अपने 21 मई को जारी बुलेटिन में बताया है कि ईरान और दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान में टिड्डियों का वसंत प्रजनन जारी है| जोकि जुलाई के आस पास भारत-पाकिस्तान सीमा पर दोबारा से पहुंच जाएंगी।
 


 

 

 

देश में क्यों बढ़ रहे हैं टिड्डियों के हमले

खाद्य और कृषि संगठन के साथ मिलकर टिड्डियों पर निगरानी रखने वाले वरिष्ठ अधिकारी कीथ क्रेसमेन कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत-पाकिस्तान में हवा के स्वरूप में बदलाव आ रहा है तथा हिन्द महासागर में बार-बार आने वाले चक्रवातों की वजह से टिड्डियों के प्रजनन के लिए अनुकूल परिस्थितियां बन रही हैं। चक्रवात से तटीय गुजरात, अरब प्रायद्वीप, सोमालिया और उत्तर पूर्वी अफ्रीका में बारिश हुई है। इससे टिड्डियों प्रजनन की अच्छी दशाएं बनती हैं। इतिहास बताता है कि ये प्लेग चक्रवाती हवाओं से फैलते हैं। जिससे भारत में भी इनके हमलों का खतरा बढ़ता जा रहा है|



आंकड़ों का स्रोत:

✿  अंतराष्ट्रीय खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ)
✿  1993 से बड़ा है टिड्डी दल का हमला, एक दिन में खा जाती हैं 2500 लोगों के बराबर खाना, डाउन टू अर्थ
✿  अब उत्तर प्रदेश में टिड्डी दल का आतंक, सब्जियां बर्बाद की, डाउन टू अर्थ
✿  टिड्डी हमला: क्या खरीफ फसल की बुआई नहीं कर पाएंगे किसान?, डाउन टू अर्थ