मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने केंद्र सरकार, तमिलनाडु सरकार और अन्य पक्षों से मंगलवार तक जवाब देने को कहा है।
चेन्नई के नजदीक समुद्र में हुए तेल रिसाव को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। इस मामले को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सोमवार को एनजीटी ने केंद्र सरकार, तमिलनाडु सरकार और अन्य पक्षों से मंगलवार तक जवाब देने को कहा है। इन याचिकाओं में तेल रिसाव से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने और घटना में शामिल जहाजों को जब्त किये जाने की मांग की गई है।
स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एनजीटी की पीठ ने भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्राण बोर्ड, पोत परिवहन मंत्रालय और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है। गत 28 जनवरी को तमिलनाडु के कामराजर पोर्ट के पास ऑयल व एलपीजी ले जा रहे दो मालवाहन जहाजों की टक्कर के बाद रिसाव शुरू हुआ था। इस घटना ने आपदा प्रबंधन को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के उपायों की कलई खोल दी है। पहले दिन तो तेल रिसाव से ही इंकार किया जाता रहा। इसके बाद जब तटों से तेल हटाने का काम शुरू हुआ तो विभिन्न सरकार एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी नजर आई।
गौरतलब है कि इस प्रकार के तेल रिसाव से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक आपदा प्रबंधन योजना बनायी गई है। तटवर्ती राज्यों को भी इसी प्रकार का प्लान बनाना है। लेकिन पिछले 20 वर्षों में सिर्फ गोवा के प्लान को ही मंजूरी मिल सकी है। तमिलनाडु में यह प्लान लागू नहीं हुआ है।
याचिकाकर्ताओं ने तेल रिसाव से पर्यावरण को हुए नुकसान के आकलन और समुद्र तट से तेल सफाई की निगरानी के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की है। तेल रिसाव की वजह से तटवर्ती क्षेत्र के आसपास मछलियों, कछुओं और कई तरह के समुद्री जीव-जंतुओं को खतरा पैदा होने की आशंका जताई जा रही है। लेकिन घटना से पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को पहुंचे नुकसान को अभी तक कोई सटीक आकलन नहीं हुआ है।
क्या है ताजा स्थिति
तमिलनाडु सरकार का दावा है कि समुद्री तट से 90 फीसदी तेल की सफाई हो चुकी है। तटरक्षक बल के जवान और स्थानीय कार्यकर्ता और मछुवारे तेल हटाने के काम में जुटे हैं। इस घटना के बाद तेल का कितना रिसाव हुआ, इसका अंदाजा नहीं है।
कैसे हुआ हादसा
घटना के कारणों को लेकर भी कई तरह की बातें कही जा रही हैं। आश्चर्य की बात है कि एन्नोर के कामराजर पोर्ट पर जहां यह हादसा हुआ, वहां एक समय में एक ही जहाज पहुंचना चाहिए। इस नियम की अनदेखी कैसे हुई, यह जांच का विषय है। जहाजों के कप्तानों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। नाविक दल के सदस्यों को पूछताछ के लिए चेन्नई में रहने को कहा गया है।
सफाई के प्रयास जारी
चेन्नई के आसपास करीब 74 किलोमीटर लंबे तटवर्ती क्षेत्र में इस हादसे का असर देखा जा रहा है। कच्चे तेल के गोले समुद्र की सतह पर तैरते देखे गए हैं। तटरक्षक बल का कहना है कि प्रभावित क्षेत्र की सफाई के लिए जीवाणुओं यानी बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जाएगा।
हाथों से करनी पड़ी सफाई
इस घटना से आपदा प्रबंधन के उपायों की खामियां भी उजागर हुई हैं। पहले समुद्र में रिसते हुए तेल को पंप के जरिये बाहर निकालने की कोशिश की गई। लेकिन भारी तेल का खींचने में पंप नाकाम रहे तो हाथों से ही तेल निकालना पड़ा। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने समुद्र में बहे तेल के सुरक्षित निरस्तारण के लिए बायो-रिमीडिएशन सामग्री भेजने की बात कही है।
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