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पप्पू की ख्वाहिश

बच्चा न हुआ, असेंबल्ड कम्यूटर हो गया। शुक्र मनाओ कि हमने तुमको लेकर इतने सपने नहीं देखे थे...

 
By Sorit Gupto
Published: Wednesday 30 January 2019

बरसों की अनथक कोशिशों, दूर-दराज के रिश्तेदारों, दोस्तों और गुरुजनों के आशीर्वाद से पप्पू की शादी आखिरकार हो जाती है। हनीमून के लिए पप्पू का मन किसी फॉरेन-कंट्री में जाने का था। वह तो रिजर्वेशन करवाने के लिए बाकायदा लाइन में खड़ा भी हो गया पर टिकट की इतनी मारामारी मची हुई थी कि कुआलालंपुर का टिकट नहीं मिला, सो मुजफ्फरपुर का टिकट उसने कटवा लिया।

जब से पप्पू मुजफ्फरपुर से लौटा है, बड़ा खुश दिखता है क्योंकि हाल ही में उसकी बीवी ने उसे एक ‘खुशखबरी’ सुनाई है। पर पिछले कुछ दिनों से उनकी खुशी में खलल पड़ गया है। अभी पिछले इतवार की बात है। सुबह सवेरे छत की धीमी धूप में कम्बल लपेटे चाय की चुस्कियों के साथ अखबार पढ़ रहा था कि अचानक उसकी निगाह एक खबर पर पड़ी कि चीन के एक डॉक्टर ने डिजाइनर बेबी बना डाला है।

“डिजाइनर बेबी?” पप्पू की नजर उस खबर पर वैसे ही बंध जाती है मानो खूंटे से बंधी गाय और वह किसी गाय की ही तरह उस खबर के एक-एक शब्द को धीरे-धीरे चरने लगता है और अंतोगत्वा इस निष्कर्ष पर पहुंच जाता है कि, “हमको भी ऐसा बेबी मांगता!” ऐसा सोचते ही उनके सामने एक चीनी डॉक्टर आ खड़ा होता है।

अरे यह तो साक्षात डॉक्टर ही जिआन्कुई खड़े हैं! वही जिन्होंने हाल ही में लूलू और नाना नाम की दो डिजाइनर बेबी को बनाया है।

“कहो पप्पू, तुमको कैसा बेबी मांगता?” डॉक्टर ही जिआन्कुई पूछते हैं।

“डाक्साब! जिंदगीभर मैं पप्पू का पप्पू बना रहा। पढ़ाई में फिसड्डी , खेलकूद में डिब्बा गोल, अंग्रेजी बोल नहीं पाता, मेरे अंदर कोई भी गुण नहीं है। मुझे मेरे जैसा बेटा नहीं चाहिए डाक्साब। हमको एक ऐसा बेटा चाहिए जो सर्वश्रेष्ठ हो...” पप्पू बोला ।

“ थोड़ा स्पेसिफिकेशन बताएं श्रीमान” डॉक्टर ही जिआन्कुई ने अपने आईपैड पर कुछ लिखते हुए कहा।

पप्पू बोला, “मैं चाहता हूं मेरा बेटा एकदम गोरा चिट्टा हो, बोले तो फिरंगियों की तरह। किसी जापानी की तरह वह हाईटेक हो, किसी अर्जेंटीनाई जैसा फुटबॉल खेल सके, पाकिस्तानी जैसा बॉलर हो, किसी अंग्रेज जैसी फर्राटेदार अंग्रेजी बोले, अमेरिकी जैसा पैसेवाला हो और हां मुझे मेरे बेटे में किसी आम भारतीय जैसा भक्त भी चाहिए।”

अचानक पप्पू ने देखा कि डॉक्टर ही जिआन्कुई का चेहरा उनके पापा जैसा हो गया था। पापा ने पप्पू को एक झापड़ मारते हुए कहा, “नालायक! बच्चा न हुआ, असेंबल्ड कम्यूटर हो गया। शुक्र मनाओ कि हमने तुमको लेकर इतने सपने नहीं देखे थे वरना आज की डेट में तुम इस धरा पर आते ही नहीं।

पप्पू ने हड़बड़ा कर आंखें खोलीं।

“ए जी! नाश्ता कर लीजिए। आपके गाल पर एक मच्छर बैठा था सो मैंने उसे झापड़ मार कर मार दिया जी। आपको ज्यादा जोर से तो नहीं लगी न जी?” सामने उसकी बीवी खड़ी थी।

पप्पू को जाने क्या सूझी वह नाचने लगे। अपनी बीवी से लिपट कर उसने बस इतना ही कहा, “तुमने देखा है न कि दुकानों पर लिखा होता है, फैशन के दौर में गारंटी की इच्छा न करें। पर हम तो एक तुम्हारी जैसी गुड़िया-सी बच्ची चाहते हैं और बस इतनी गारंटी चाहते हैं कि वह स्वस्थ हो!”

“क्या कर रहे हो? कोई देख लेगा न! छोड़ो” मिसेस पप्पू ने लजा कर अपनी साड़ी का पल्लू अपने दांतों में दबा लिया और नीचे भाग गई।

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