Climate Change

प्राकृतिक आपदाओं से लगातार बढ़ रहा है जानमाल का नुकसान

जलवायु परिवर्तन भारत में जानमाल काे भारी नुकसान पहुंचा रहा है। पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक के राज्य इसकी चपेट में हैं

 
By Bhagirath Srivas
Published: Wednesday 13 March 2019

स्रोत: मौसम विज्ञान विभाग

मौसम में आए बदलाव पिछले कुछ सालों से देश और दुनिया को चकित कर रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर में 7 फरवरी को एक अजब नजारा दिखा। इन दिन इतने ओले गिरे कि सड़कों पर सफेद चादर-सी बिछ गई। लोग शिमला और कश्मीर से दिल्ली-एनसीआर की तुलना करने लगे। कड़ाके की ठंड, भीषण गर्मी और अप्रत्याशित बारिश की घटनाओं को जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान से जोड़कर देखा जा रहा है। वेदर, क्लाइमेट एंड केटास्ट्रोफ इनसाइट 2018 रिपोर्ट बताती है कि साल 2018 में प्राकृतिक आपदाओं ने दुनियाभर में 225 बिलियन डॉलर की क्षति पहुंचाई है। यह तीसरा लगातार साल था जब प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान 200 बिलियन डॉलर पहुंचा। साल 2000 के बाद 10 बार इतनी क्षति हुई है। इन प्राकृतिक आपदाओं में चक्रवात, जंगलों में आग, गंभीर सूखा और बाढ़ मुख्य रूप से शामिल है।

रिपोर्ट बताती है कि साल 2018 में एशिया पैसिफिक में 89 बिलियन डॉलर की क्षति पहुंची है। यह नुकसान 21वीं शताब्दी के औसत से अधिक है। बाढ़ से अकेले भारत में 5.1 बिलियन डॉलर के बराबर नुकसान पहुंचा है। अगस्त 2018 में केरल में आई बाढ़ सदी की सबसे भीषण बाढ़ थी। एक तरफ जहां केरल भीषण बाढ़ का गवाह बना वहीं देश के अधिकांश हिस्सों में बारिश में कमी आई जिसने सूखा को बढ़ाने में भूमिका निभाई। भारत के मौसम विज्ञान विभाग ने भी कहा है कि 2018 में 117 सालों में छठी बार सबसे कम बारिश दर्ज की गई है। यह इसलिए चिंता का विषय है क्याेंकि भारतीय अर्थव्यवस्था और एक बड़ी आबादी अब भी खेती के लिए मॉनसून पर निर्भर है। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, भारत में बाढ़ और भारी बारिश ने भारी नुकसान पहुंचाया है जबकि ओडिशा और तमिलनाडु जैसे तटीय राज्यों पर चक्रवात तूफान भी कहर बनकर टूटे हैं। 2018 में धूलभरी आंधी ने भी कुछ राज्यों बहुत क्षति पहुंचाई है।

Subscribe to Daily Newsletter :

Comments are moderated and will be published only after the site moderator’s approval. Please use a genuine email ID and provide your name. Selected comments may also be used in the ‘Letters’ section of the Down To Earth print edition.