अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और यूरोफाउंड ने 41 देशों में मजदूरों की दशा पर व्यापक सर्वेक्षण किया है। यह रिपोर्ट जेनेवा में जारी की गई।
दुनिया भर के देशों में 10 फीसदी श्रमिक ऐसे हैं, जो खाली समय में काम करते हैं। हालांकि अलग-अलग देशों में काम के घंटों की संख्या अलग-अलग है, लेकिन कम पढ़े लिखे श्रमिकों की स्थिति अच्छी नहीं है और उन्हें कौशल विकास के लिए भी पर्याप्त समय नहीं मिलता। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और यूरोफाउंड द्वारा किए गए संयुक्त अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है।
यह अध्ययन 41 देशों में किया गया। इनमें सोवियत संघ के 28 के अलावा चीन, कोरिया गणराज्य, तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका, स्पेनिश भाषी मध्य अमेरिका, अर्जेंटीना, चिली और उरुग्वे शामिल हैं। यह रिपोर्ट 6 मई को जेनेवा में जारी की गई।
इस अध्ययन में नौकरी की गुणवत्ता के सात आयामों को शामिल किया गया। इनमें भौतिक वातावरण, कार्य की तीव्रता, काम के समय की गुणवत्ता, सामाजिक वातावरण, कौशल और विकास, संभावनाएं और कमाई शामिल हैं।
सर्वेक्षण के दौरान पाया गया कि अलग-अलग देशों में काम के घंटे अलग-अलग हैं। जैसे कि, यूरोपीय संघ के देशों में हर छठवां मजदूर प्रति सप्ताह 48 घंटे से अधिक काम करते हैं, जबकि कोरिया गणराज्य, तुर्की और चिली में लगभग आधे श्रमिक ऐसा करते हैं। सर्वेक्षण में पाया गया कि शामिल देशों में, कम से कम 10 प्रतिशत श्रमिक अपने खाली समय के दौरान काम करते हैं।
वहीं, कोरिया गणराज्य में लगभग 70 प्रतिशत श्रमिक अवपने व्यक्तिगत व पारिवारिक देखभाल के लिए एक या दो घंटे का समय निकाल पाते हैं। जबकि इसकी तुलना में अमेरिका, यूरोप और तुर्की में 20-40 प्रतिशत श्रमिक ऐसा कर पाते हैं।
यूरोपीय संघ के देशों में एक तिहाई श्रमिकों को काम पूरा करने की समय सीमा कम होने के कारण तेजी से काम निपटाना पड़ता है और उसके अनुभवी हैं, लेकिन अमेरिका, तुर्की, अल साल्वाडोर और उरुग्वे में अनुभवी श्रमिकों की संख्या आधे से अधिक है।
सर्वेक्षण में पाया गया कि श्रमिकों को अपने कौशल विकास के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। काम के दौरान नई चीजें सीखने वाले श्रमिकों का अनुपात अमेरिका, यूरोपीय संघ और उरुग्वे में 72 और 84 प्रतिशत के बीच है, लेकिन चीन (55 प्रतिशत), तुर्की (57 प्रतिशत) और कोरिया गणराज्य (30 प्रतिशत)। में यह अनुपात कम है।
एक चौथाई श्रमिकों ने कहा कि उन्हें उच्च तापमान में काम करना पड़ता है तो कई श्रमिकों ने कहा कि कार्यस्थल का तापमान कम होता है और उन्हें उसी तापमान में काम करना पड़ता है।
सर्वेक्षण के दौरान पाया गया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में काफी कम कमाती हैं। 12 प्रतिशत से अधिक श्रमिकों ने कहा कि उन्हें काम के दौरान मौखिक दुर्व्यवहार, अपमानजनक व्यवहार, बदमाशी, अवांछित यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
लगभग सभी देशों में श्रमिकों ने कहा कि नौकरी को लेकर असुरक्षा की भावना हमेशा बनी रहती है। लगभग 30 प्रतिशत श्रमिकों को नहीं लगता कि उनके कैरियर की आगे कोई संभावना है।
रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि काम के दौरान जोखिमों को कम करके नौकरी की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। साथ ही, काम के दौरान सकारात्मक सामाजिक वातावरण, साथियों और प्रबंधन व कर्मचारियों के बीच के बीच सामाजिक संवाद स्थापित करके भी नौकरी की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है।
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