इस बार और गर्म होने वाली हैं आर्कटिक की सर्दियां

जलवायु में आ रहे परिवर्तन के चलते कहीं तेजी से बदल रहा है मौसम, पूर्वानुमान है कि 2019-2020 में आर्कटिक की सर्दियां औसत से अधिक गर्म रहेंगी

By Lalit Maurya

On: Monday 11 November 2019
 
Photo: Wikimedia commons

आर्कटिक क्लाइमेट फोरम द्वारा किये गए पूर्वानुमान के अनुसार इस वर्ष 2019-2020 में औसत से अधिक गर्म रहने के बाद सर्दियों में भी आर्कटिक के अधिकतर हिस्सों में तापमान के सामान्य से अधिक रहने के कयास लगाए जा रहे हैं। इसके साथ ही फोरम द्वारा वर्षा और बर्फ के सन्दर्भ में भी पूर्वानुमान जारी किये गए हैं।

आंकड़े दर्शाते हैं कि आर्कटिक का तापमान पहले ही वैश्विक औसत से दोगुना अधिक हो चुका है। जबकि पिछले 4 वर्षों (2014-2018) में सतह के पास मौजूद वायु का तापमान 1900 के बाद से रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है। जहां सर्दियों के मौसम में समुद्री बर्फ की मात्रा अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच चुकी है। वहीं 1979 से 2018 के औसत स्तर की तुलना में गत सितंबर माह में आर्कटिक समुद्री-बर्फ की मात्रा में 50 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गयी है। 

क्या कहता है पूर्वानुमान

अभी हाल ही में स्थापित आर्कटिक रीजनल क्लाइमेट सेंटर नेटवर्क जो कि जलवायु और समुद्री-बर्फ के पूर्वानुमान में सुधार के लिए किये जा रहे अंतराष्ट्रीय प्रयासों का हिस्सा है। इसके द्वारा जलवायु में हो रहे परिवर्तनों के विषय में जानकारी पहले ही नीति निर्माताओं और इस विषय पर काम कर रहे लोगों के लिए उपलब्ध करा दी जाती है।

गौरतलब है कि इसके अंतर्गत मई माह में ही समुद्री बर्फ के टूटने और पिघलने एवं अक्टूबर में सर्दियों की शुरुआत में ही बर्फ के जमने संबंधी जानकारी पहले ही उपलब्ध करा दी जाती है। अभी हाल ही में 30 अक्टूबर 2019 को आर्कटिक क्लाइमेट फोरम का चौथा सत्र वीडियो-कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित किया गया था। जिसकी मेजबानी विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा की गयी थी । जिसमें आर्कटिक परिषद के सदस्य देशों के साथ-साथ आर्कटिक शिपिंग और स्थानीय संगठनों ने भी हिस्सा लिए था।

इसके अनुसार आर्कटिक के अधिकांश हिस्सों में पिछली गर्मियां औसत से अधिक गर्म थी, जबकि पूर्वी साइबेरिया का तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था । वहीं इसके विपरीत मध्य एवं उत्तरी कनाडा और रूस के उत्तर-पश्चिमी भाग में सतह के पास मौजूद हवा का तापमान सामान्य से कम गर्म था। जहां 1979 के बाद से गत सितंबर माह में बर्फ का फैलाव दूसरी बार अपने रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर दर्ज किया गया, जबकि 2018 की तुलना में समुद्री बर्फ की मोटाई भी काफी कम थी।

इसके साथ ही किये गए पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले सर्दियों के महीने (नवंबर, दिसंबर 2019 और जनवरी 2020) में सपूर्ण आर्कटिक में सतह पर मौजूद हवा का औसत तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। अनुमान है कि आर्कटिक के अधिकांश हिस्सों में समुद्री बर्फ का जमना सामान्य से बाद में शुरू होगा । जबकि बारेंटस सी में यह सामान्य से पहले और हडसन खाड़ी में सामान्य समय पर शुरू होगा।

यह सच है कि धरती पर जलवायु में बदलाव आ रहा है, और उसका असर हर चीज पर दिखना भी शुरू हो चुका है। आर्कटिक न केवल अपने क्षेत्र विशेष में बल्कि सपूर्ण पृथ्वी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके मौसम में आने वाले बदलाव का पूर्वानुमान न केवल जलवायु के खतरे से निपटने में मददगार हो सकता है, बल्कि साथ ही हमें जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने में भी मददगार हो सकता है। साथ ही यह आर्कटिक जैसे विकट और चुनौतीपूर्ण वातावरण में बसने वाले क्षेत्रों के विषय में नीति निर्माण और बेहतर निर्णय लेने में भी मददगार हो सकता है।

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