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अरावली में एक और कूड़े के पहाड़ की तैयारी, विरोध में उतरे लोग

गुड़गांव के बंधवाड़ी इलाके में खड़े कूड़े के पहाड़ का हल अभी नहीं निकला है, लेकिन अब पाली गांव में कूड़ा डंपिंग ग्राउंड बनाने की योजना है

 
By Malick Asgher Hashmi
Published: Tuesday 26 November 2019
अरावली में बनते कूड़े के पहाड़। फोटो: मलिक असगर हाशमी

देश की राजधानी दिल्ली और इससे लगते एनसीआर सहित देश के तमाम बड़े शहरों के हरित और पहाड़ी क्षेत्र धीरे-धीरे कचरे के पहाड़ में तब्दील हो रहे हैं। एनसीआर में सर्वाधिक अरावली की पहाड़ियां इसकी जद में हैं। कचरे के पहाड़ों की बढ़ती संख्या के चलते देश के सभी बड़े शहरों की हवाएं न केवल जहरीली हो गई हैं, इससे लगते इलाकों में यह गंभीर बीमारियों का महत्वपूर्ण कारक भी बन गए हैं। इस कड़ी में अब हरियाणा की कलपुर्जों की नगरी फरीदाबाद के पाली और मोहबताबाद गांव की अरावली से लगती 30 एकड़ भूमि पर ठोस कचरे का एक और बड़ा पहाड़ खड़ा करने की तैयारी है। हालांकि इसके विरोध में आवाजें बुलंद होने लगी हैं। इसके बावजूद फरीदाबाद नगर निगम अपनी योजना को अमली रूप देने में लगा है।

दिल्ली से सटे हरियाणा के दो बड़े शहरों गुरूग्राम और फरीदाबाद का तकरीबन 1600 मीट्रिक टन कूड़ा रोज बंधवाड़ी में डाला जाता है। दोनों नगर निगमों के प्रयास से 2010 में गांव के बाहर 76 करोड़ रुपए की लागत से ठोस कचरा निस्तरण प्लांट शुरू किया गया था। तब गांव वालों का विरोध शांत करने के लिए उन्हें यहां डंप किए जाने वाले कचरे से बिजली बनाकर सस्ते दरों पर घरों में देने, कूड़े से सस्ती ईंटें आदि बनाने के साथ रोजगार के अवसर मुहैया कराने के सब्ज-बाग दिखाए गए थे। मगर इनमें से अब तब कुछ नहीं हुआ है। उलटे दोनों शहरों का कूड़ा गांव वालों के लिए जान लेवा बन चुका है। पिछले तीन वर्षों में बंधवाड़ी के 17 से अधिक लोग कैंसर से जान गंवा चुके हैं, जबकि 11 लोग अभी इससे पीड़ित हैं।

जापान से मंगाई गईं प्लांट की कचरा निस्तारण मशीनें एक अग्नि कांड के बाद से पूरी तरह खराब पड़ी हैं। 2013 से कचतरा निस्तारण प्लांट बिल्कुल बंद है। इसके बावजूद दोनों शहरों का घरेलू सार्वजनिक कचरा डालने का क्रम आज भी निर्बाध जारी है। बंधवाड़ी में कचरे का निस्तरण नहीं होने से  आसपास की जमीनें पूरी तरह दल-दल और भूगर्भीय जल जहरीला हो चुका है। पहले कूड़े से उठने वाली दुर्गंध रोकने के लिए केमिकल का छिड़काव किया जाता था। कई वर्षोंं से यह भी बंद है। तेज हवाओं से कूड़ उड़कर गुरूग्राम-फरीदाबाद एक्सप्रेसवे पर न फैले, इसके लिए कचरे के पहाड़ के एक हिस्से को काले प्लास्टि शीट से ढक दिया गया है, जो नाकाफी है।

पर्यावरणविद विवेक कंबोज और अमित चौधरी की ओर से दायर एक याचिका के आधार पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दोनों शहरों के नगर निगमों के आयुक्तों को अगले 25 महीने में बंधवाड़ी का 25 लाख टन कूड़ा हटाकर वहां केमिकल ट्रिटमेंट के बाद एक बॉय-डाइवर्सिटी पार्क स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। इस वर्ष जुलाई में एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने हरियाणा सरकार को कूड़ा का पहाड़ हटाने के लिए एक कमेटी बनाकर 20 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।

इस कमेटी में दोनों नगर निगमों फरीदाबाद एवं गुरूग्राम के आयुक्त, केंद्रीय व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधियों और कुछ तकनीकी लोगों को रखने के भी आदेश दिए हैं। एनजीटी ने प्रदेश सरकार को इस काम में इंदौर नगर निगम के आयुकत एवं इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी सैयद असद अली से भी सहयोग लेने का सुझाव दिया है। उनके बारे में कहा जाता है कि वे घरेलू ठोस कचरा निस्तरण में माहिर हैं। उन्होंने इंदौर के कूड़े के पहाड़ को कुछ महीने में ही निपटा दिया था।

एनजीटी के बंधवाड़ी से कचरे का पहाड़ हटाने के निर्देश के बाद ही फरीदाबाद नगर निगम पाली-मोहबताबाद में नया कूड़े का पहाड़ खड़ा करने की प्लानिंग में लगा है। 19 नवंबर को ग्रामीणों से आपत्तियां मांगी गई थीं। वर्षों पहले अरावली से लगती दोनों गांव की 2585 एकड़ जमीन नगर निगम ने अपने राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवा लिया था। उक्त जमीन के 30 एकड़ के भूखंड पर कचरा निस्तरण प्लांट लगाया जाना है, जिसका इलाके के लोग विरोध कर रहे हैं।

अरावली को बचाने की लड़ाई लड़ने वाले स्वंय सेवी संगठन ‘सेव अरावली’ के संस्थापक सदस्य जितेंद्र भड़ाना आशंका जाहिर करते हैं कि यह प्लांट पर्यावरण के साथ अरावली की गोद में पलने वाले वन्य जीवों को भी भारी नुकसान पहुंचाएगा। इसके अलावा यहां से उठने वाली दुर्गंध पाली, मोहबताबाद के अलावा बड़खल, अनखीर, भाखड़ी नवादा, नंगला, अनंगपुर, मांगर, डबुआ, बाजरी, नेकपुर, नया गांव, पाखल, खेड़ी, धौज, एसजीएम नगर, अरावली विहार आदि में रहने वालों की जिंदगी नर्क बना देगी। मोहबताबाद-पाली में चीन की कंपनी ई-को ग्रीन कचरा निस्तारण प्लांट लगाएगी।

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