केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने कहा, उज्ज्वला योजना के असफल रहने पर अब सोलर कुकर देने की योजना लॉन्च की जाएगी
केंद्र सरकार ने यह मान लिया है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत दिए गए एलपीजी सिलेंडर को फिर से भराना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है। इसलिए, केंद्र सरकार लोगों को सोलर कुकर देने की योजना पर काम कर रही है। यह जानकारी केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव गोपाल कृष्ण गुप्ता ने दी।
3 अप्रैल, 2019 को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि सरकार ने यह नोटिस किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना के तहत दिए गए एलपीजी सिलेंडर को फिर से भराना आसान नहीं हैं। गुप्ता ने कहा, “यह महसूस किया गया है कि गरीब लोग योजना के तहत उन्हें दिए गए एलपीजी सिलेंडर को रिफिल करने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए, सौर ऊर्जा से खाना पकाने के लिए एक नई योजना पर काम किया जा रहा है।”
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत मई 2016 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से हुई थी। जिसका मकसद खाना पकाने की प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन को स्वच्छ ईंधन में बदलना था।
उस समय सरकार ने 2019 तक पांच करोड़ परिवारों तक सिलेंडर पहुंचना था। सफलता को देखते हुए सरकार ने 2020 तक 8 करोड़ परिवारों को सिलेंडर देने का लक्ष्य बढ़ा दिया। दिसंबर 2018 तक सरकार छह करोड़ एलपीजी सिलेंडर वितरित कर चुकी है।
सरकार इस योजना को अपनी सफलता की कहानी से जोड़ कर देखती है, लेकिन वास्तव में इस योजना का सही लाभ नहीं मिल पाया है। सरकार का दावा है कि 80 फीसदी लोगों ने दोबारा से सिलेंडर भरवाएं, लेकिन हकीकत यह नहीं है। डाउन टू अर्थ ने 2017 में पांच राज्यों का दौरा किया और पाया कि अधिकतर परिवारों ने दोबारा सिलेंडर नहीं भरवाए।
इस योजना की जिम्मेवारी पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की है। इतना ही नहीं, तेल विपणन कंपनियां जैसे हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल इस योजना के तहत सिलेंडर वितरण का काम करती हैं, लेकिन इनके पास पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं। इतना ही नहीं, आरटीआई के तहत सूचना भी नहीं दी गई।
इस मामले में सरकार का जवाब अचरज भरा रहा है। 1 अगस्त 2018 को संसद में दिए एक लिखित जवाब में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि लगभग 80 फीसदी लाभार्थियों ने दोबारा सिलेंडर भरवाया, जबकि इसी दिन ओडिशा के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि 2016-17 में 26.83 फीसदी ने दोबारा सिलेंडर भरवाया, जबकि 2017-18 में 21.16 फीसदी लाभार्थियों ने दोबारा सिलेंडर भरवाए।
इन तथ्यों के अलावा सरकार ने यह नहीं मान रही है कि योजना में खामियां हैं। गुप्ता ऐसे पहले अधिकारी हैं, जिन्होंने स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में समस्या है।
We are a voice to you; you have been a support to us. Together we build journalism that is independent, credible and fearless. You can further help us by making a donation. This will mean a lot for our ability to bring you news, perspectives and analysis from the ground so that we can make change together.
Comments are moderated and will be published only after the site moderator’s approval. Please use a genuine email ID and provide your name. Selected comments may also be used in the ‘Letters’ section of the Down To Earth print edition.