Natural Disasters

राजस्थान में बदल रहा है बारिश का पैटर्न, बने बाढ़ जैसे हालात

राजस्थान में होने वाली बारिश का औसत बढ़ा है, जिससे कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं

 
By Anil Ashwani Sharma
Published: Tuesday 30 July 2019
Photo: Flikr

पिछले डेढ़ दशक से राजस्थान के पूर्वी और पश्चिमी भाग में बारिश में लगातार बदलाव देखने में आ रहा है। इसके पीछे राजस्थान में जलवायु परिवर्तन का असर दिख रहा है। इसी के नतीजतन यहां बारिश के स्वरूप में तेजी से बदलाव देखने में आया है। यहां एक दिन में होने वाली बारिश का औसत बढ़ा है।

पिछले 15 सालों से यहां बारिश 15 फीसदी की दर से बढ़ रही है। लेकिन 2016 में 849.2 मिमी तो यहां औसत से 300 फीसदी अधिक बारिश हुई। 2017 में औसत से 200 फीसदी से अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। इसी प्रकार से पिछले 24 घंटे की बात की जाए तो जिन स्थानों पर 10 सेंटीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई। उनमें पूर्वी राजस्थान के बस्सी में 21 सेमी, चाकसू में 18 सेमी, भिनाय में 17 सेमी, बनेड़ा में 15 सेमी, कोटड़ी में 14 सेमी, पलसाग में 13 सेमी, खांडर और सांगानेर में 11-11 सेमी बारिश दर्ज की गई।

वहीं, वनस्थली, निवाय, जमवारामगढ़ और फागी में 10-10 सेमी बारिश दर्ज की गई। उधर, पश्चिमी राजस्थान में इसी दौरान मेड़ता सिटी में  13  सेमी, रायपुर पाली में 9 सेमी और जैतारण में 7 सेमी बारिश हुई। मौसम विभाग का कहना है कि शनिवार को जयपुर में 38.8 मिलीमीटर और कोटा में 31.4 मिमी. बारिश दर्ज की गई।

राजस्थान में अतिवृष्टि  का कारण है हवा के स्वरूप (विंड पैटर्न) में तेजी से बदलाव  यह क्षेत्र समुद्र से बहुत अधिक दूरी (यह दूरी लगभग 350 सौ किलोमीटर) पर नहीं है। इसके कारण वातावरण में तेजी से आर्द्रता आ रही है। मानसून का स्वरूप अब पश्चिम की ओर हो रहा है। इसकी वजह से इस पश्चिमी भाग में बहुत ज्यादा तूफान आ रहे हैं। यही नहीं इस इलाके के तापमान में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। यह बात राजस्थान विश्व विद्यालय में इंदिरा गांधी पर्यावरण विभाग के टीआई खान ने बताई।

राजस्थान के पाली जिले में पर्यावरणीय मामलों पर आधा दर्जन से अधिक जोधपुर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने वाले वकील प्रेम सिंह राठौर कहते हैं कि राजस्थान के शुष्क क्षेत्र में भारी बारिश हुई। राजस्थान में अतिवृष्टि हुई। राजस्थान की सरकारी योजनाओं ने भी राजस्थान में आधिक बारिश मुसीबत का कारण बन जाती है। पिछली भाजपा सरकार की एक योजना जिसका नाम था मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के अंतर्गत “अपना पानी-अपने खेतों में” ही संग्रह करने के लिए मेड़ पश्चिमी राजस्थान के आधे दर्जन जिलों के ग्रामीणों ने बनाई थी और अब तेज बारिश के कारण खेतों में बनी इन मेड़ों के कारण और बारिश और भयंकर रूप ले लेती है।

राज्य में पिछले दो दशकों से हुई लगातार भारी बारिश ने बरसाती नदियों को ऐसी मतवाली बना दिया कि वे अपनी धारा ही बदल बैठीं। धारा बदल कर आधा दर्जन से अधिक नदियां पश्चिमी राजस्थान के गांवों में जा घुसीं हैं। जालोर जिले का होती गांव ऐसा ही एक गांव है। जहां हर साल बारिश के बाद नदी का पानी गांव में आ घुसता है।

गांव के किसान मनोहर सिंह कहते हैं कि इसे कुदरत का कहर कहें या जलवायु परिवर्तन, अपने जीवन में इस प्रकार से बारिश से नुकसान होते तो मैंने न देखी थी। मेरे बचपन से बड़े होने तक इस गांव की फिजा से लेकर नदियां तक दिशा बदल चुकी हैं। वे कहते हैं, राज्य सरकार को पता नहीं क्यों यह नहीं सूझता कि अब यहां का वातावरण बदल रहा है तो यहां पानी संग्रह की योजनाओं का क्रियान्वयन करना अब बेमानी है।

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