अधिवक्ता संजय पारेख ने बताया कि जनवरी महीने में आए कोर्ट के आदेश के बाद चारधाम परियोजना के तहत जारी निर्माण कार्यों की आड़ में नई-नई जगह खुदाई कर दी गई है
उत्तराखंड में हर मौसम में यातायात योग्य सड़क बनाने के लिए सर्दी-गर्मी और बरसात में भी मशीनें पहाड़ों को काटने में लगी हैं। निर्धारित समय सीमा (मार्च 2019) को पहले ही पार कर चुकी चारधाम सड़क परियोजना अब अगली समय सीमा (मार्च 2020) तक भी पूरी हो सकेगी, इस पर केंद्रीय परिवहन राज्य मंत्री मनसुख मंडविया लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पहले ही संदेह जता चुके हैं। चारधाम सड़क मार्ग पूरा करने की तेज रफ्तार में सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेश की भी अवहेलना का आरोप लग गया है।
बिना पर्यावरणीय अनुमति के चारधाम सड़क परियोजना में नए कार्य कैसे शुरू किए गए और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कैसे की गई। 15 मार्च को अवमानना के नोटिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से 30 दिनों में जवाब मांगा है।
11 मार्च 2019 को दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चारधाम सड़क परियोजना के तहत जारी निर्माण कार्यों के पूरे करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा किसी भी नए कार्य के शुरू करने से पहले पर्यावरणीय अनुमति लेनी होगी। साथ ही आठ हफ्ते के भीतर अदालत को “ऑन गोइंग प्रोजेक्ट” के बारे में जानकारी देने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संजय पारेख ने बताया कि जनवरी महीने में आए कोर्ट के आदेश के बाद फरवरी महीने में चारधाम परियोजना के तहत जारी निर्माण कार्यों की आड़ में नई-नई जगहें भी खुदाई शुरू कर दी गई और पेड़ काटे जा रहे हैं। संजय पारेख का कहना है कि ये अदालत के आदेश की अवमानना है। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि इस परियोजना के तहत जहां भी थोड़ा-बहुत कार्य हो गया है, उसी कार्य को करेंगे, नए कार्य शुरू नहीं करेंगे।
इसके बाद सिटीजन फॉर ग्रीन दून ने केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की याचिका दाखिल की।
याचिका में बताया गया कि संवेदनशील हिमालयी जोन में चारधाम यात्रा मार्ग बिना पर्यावरणीय अनुमति पहाड़ काटे जा रहे हैं और पेड़ों को गिराया जा रहा है। एनएच-94 पर 76 किलोमीटर से 144 किलोमीटर के स्ट्रेच में (चंबा-धरासूं मार्ग) पर जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक कोई कार्य नहीं चल रहा था, वहां फरवरी महीने में बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि ऑन गोइंग प्रोजेक्ट की आड़ में उससे जुड़े मार्गों पर नए कार्य शुरू किए गए हैं।
सिटिजन फॉर ग्रीन दून संस्था के हिमांशु अरोड़ा कहते हैं कि 90 डिग्री के एंगल पर पहाड़ काटे जा रहे हैं, जिससे नए लैंड स्लाइड जोन सक्रिय हो गये हैं। फिर पहाड़ काटकर जो मलबा उड़ेला जा रहा है, उसमें जो नए पौधे बन रहे थे, पेड़ों के काटने में उनकी कोई गिनती नहीं होती। वह बताते हैं कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 25 हजार पेड़ काटे गए, जबकि उनकी रिपोर्ट के मुताबिक चारधाम सड़क परियोजना के लिए 40 हजार पेड़ काटे जा चुके हैं। हिमालयी पर्वत श्रृंखला में इस महामार्ग के लिए कुल एक लाख पेड़ों के काटने की बात कही गई थी।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी पहले ही कह चुके हैं कि अदालतों में कुछ वाद दाखिल होने के चलते चारधाम परियोजना में देरी हुई है। उन्होंने वर्ष 2020 में इस परियोजना के पूरी होने की उम्मीद जताई है।
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