Neighborhood

नागरिक मुक्त देश

“अगर तुम्हारा नाम एनआरसी में रहा तो बल्ले-बल्ले। अगर नाम नहीं रहा तो कम से कम रोजगार तो मिल रहा है कि नहीं?”

 
By Sorit Gupto
Published: Sunday 13 October 2019

सोरित / सीएसई

एक स्कूल के साथ वाले मैदान में कभी मनरेगा से एक तालाब बनवाया गया था जो अब सूखकर फिर से मैदान बन गया था। मैदान के एक ओर कुछ आवारा पशु घूम रहे थे, दूसरी ओर बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे। मास्साब बड़ी लगन से नन्हे को सूखी जमीन पर फावड़ा चलाते देख रहे थे।

अचानक वह चीखे, “अरे जल्दी-जल्दी काम करो, बहुत-सा काम बाकी है।” नन्हे ने मास्साब से पूछा, “मास्साब यह डिटेंशन कैंप क्या बला है? और यह एनआरसी क्या होता है मास्साब?”

मास्साब बोले, “एनआरसी बोले तो नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन। इससे यह पता चलेगा “हम किस देश के वासी हैं?”

नन्हे बोला, “यह कौन-सी बड़ी बात है? मैं तो अपने गांव का नाम जानता हूं और तुम्हारे गांव का भी, क्योंकि हम दोनों एक ही गांव में रहते हैं।”

मास्साब ने नन्हे को प्यार से झिड़कते हुए कहा, “बुड़बक! साथ-साथ रहने खाने-पीने से कुछ नहीं होता। असली पहचान तब है जब तुम्हारा नाम एनआरसी में हो। जिसका नाम एनआरसी में है वह इस देश का नागरिक है, जिसका नहीं है वह नागरिक नहीं है।”

नन्हे बोला, “मगर हम पहचानेंगे कैसे कि कौन घुसपैठिया है?”

मास्साब ने अपने झोले से एक मुड़ा-तुड़ा अखबार निकाल लिया। नन्हे को लगा कि वह शायद उसे कुछ पढ़कर सुनाएंगे, पर मास्टर ने अखबार जमीन पर बिछा दिया। फिर उस पर बैठ गए और बीड़ी सुलगा ली (धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ) और बोले, “यह तो बहुत आसान है। जो पड़ोसी देश के लोग सीमा पार से चोरी-छिपे आए, सब विदेशी हैं। हमें उन लोगों से भी खतरा है जो इस देश के विकास और परंपरा में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं!”

नन्हे ने फावड़ा चलाना रोक दिया और मास्साब से ज्ञान लेने लगा।

मास्साब बोलते रहे, “लाखों करोड़ों आदिवासी लोगों ने हमारे जंगलों और उसके नीचे दबी खनिज संपदा पर कब्जा जमाया हुआ है। इन खनिजों के बिना हम अपना विकास कैसे करेंगे? कैसे एफडीआई आएगा? जीडीपी कैसे सुधरेगा? आदिवासियों का नाम एनआरसी से हटाया जाना चाहिए!”

नन्हे ने पूछा, “आदिवासियों को जंगल से निकाल कर कहां रखोगे?”

मास्साब बोले, “हम उन्हें कैंपों में रखेंगे। सलवा जुडूम से हमें बहुत सीख मिली है।” नन्हे बोला, “ व्हाट एन आइडिया सरजी!”

मास्साब बोले, “अभी बहुत काम बाकी है। नीची जातियों के लोग काफी दिनों से बराबरी की मांग कर रहे हैं जो हमारी परंपरा के खिलाफ है। उनकी देखा-देखी अब महिलाएं भी शिक्षा, स्वास्थ्य, नौकरी में बराबरी की मांग उठाने लगीं हैं। इन सब का नाम एनआरसी से हटाया जाना चाहिए।

नन्हे ने पूछा, “इतने सारे लोगों को आप कहां भेजोगे मास्साब?’

मास्साब बोले, “ इसी के लिए तो डिटेंशन कैंप बनाए जा रहे हैं। तुम अभी एक डिटेंशन कैंप ही बना रहे हो प्यारे!” नन्हे ने डरते हुए पूछा,“मास्साब मेरा और मेरे परिवार का नाम तो एनारसी में रहेगा न?”

मास्साब हंसते हुए बोले, “क्यों टेंशन लेते हो? अगर तुम्हारा नाम एनआरसी में रहा तो बल्ले-बल्ले। अगर नाम नहीं रहा तो कम से कम रोजगार तो मिल रहा है कि नहीं?”

उस रात नन्हे जब घर लौटा तो उसे सपना आया कि वह एक बहुत ऊंची दीवार बना रहा है, जो लगातार ऊंची होती जा रही है। पहले नन्हे की झोपड़ी फिर उसका गांव, उसके बाद खेत और फिर उसने पूरे देश को अपने अंदर समा लिया।

नन्हे खुश था क्योंकि दीवार के दूसरी और उसका प्यारा देश अपने नागरिकों से मुक्त होकर अब पूरी तरह सुरक्षित था।

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