मसूरी, नैनीताल जैसे पुराने हिल स्टेशन पर पर्यटकों की जबरदस्त भीड़ पहुंच रही है। ऐसे में जरूरी हो गया है कि भीड़ को मैनेज किया जाए।
देश भर में पड़ रही प्रचंड गर्मी से त्रस्त लोग बड़ी तादाद में हिल स्टेशन की ओर रुख कर रहे हैं। पहाड़ों की रानी मसूरी भी इस समय पर्यटकों से खचाखच भरी है। एक अनुमान के मुताबिक यहां रोजाना पांच से 6 हजार पर्यटक आ रहे हैं। वीकेंड पर इनकी संख्या काफी बढ़ जाती है।
लेकिन क्या एक छोटा सा हिल स्टेशन पर्यटकों की इतनी बड़ी तादाद की मेज़बानी करने के लिए तैयार है। मसूरी होटल एसोसिएशन के सदस्य संदीप साहनी कहते हैं कि यही हमारी कमाई का समय है, जिस पर हम साल पर निर्भर करते हैं। वे कहते हैं कि यहां सबसे बड़ी दिक्कत पार्किंग को लेकर है। क्योंकि ज्यादातर पर्यटक अपनी बड़ी गाड़ियों से पहाड़ों की यात्राएं करते हैं। साहनी कहते हैं कि यदि मसूरी से एक किलोमीटर की दूरी पर बसे अन्य पर्यटक स्थलों जैसे धनौल्टी, चकराता,यमुना घाटी को पर्यटन के लिहाज से और बेहतर बनाया जाए, एक तरह से मसूरी सर्किट बनायी जाए, तो शायद मुख्य मसूरी में पर्यटकों का दबाव कम होगा और पर्यावरण भी बेहतर होगा।
मसूरी में प्राकृतिक जल स्रोतों से पीने का पानी मुहैया कराया जाता है। संदीप साहनी कहते हैं कि पार्किंग के बाद पेयजल यहां दूसरी बड़ी समस्या है। पीने के पानी की डिमांड और सप्लाई में आधे से अधिक का फर्क है। लेकिन टैंकर जैसी व्यवस्थाएं कर पीने के पानी का जुगाड़ किया जा रहा है।
इसके साथ ही इस समय मसूरी में होटलों के सारे कमरे भरे हुए हैं। ऐसे में स्थानीय लोग अपने घरों के कमरे पर्यटकों को ठहरने के लिए दे रहे हैं, इससे उनकी भी आमदनी हो जाती है।
मसूरी नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी मिठ्ठनलाल शाह कहते हैं कि पीक पर्यटन सीजन में हमने साफ-सफाई के लिए नाइट शिफ्ट भी शुरू कर दी है। करीब 40 सफाई कर्मचारी रात में शहर का कचरा साफ करते हैं ताकि दिन के समय पर्यटक हिमालय की वादियों का लुत्फ उठा सकें।
उत्तराखंड में इस बार पिछले वर्षों की तुलना में 3 से 4 गुना अधिक पर्यटक आए हैं। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के निदेशक एनएस क्यूरीलाल कहते हैं कि ये हमारे लिए अप्रत्याशित था। इस बार की स्थिति को देखते हुए और अगली बार बेहतर सुविधाओं के लिए परिषद प्रस्ताव तैयार कर रहा है। पीडब्ल्यूडी और विशेषज्ञों की मदद से तैयार प्रस्ताव केंद्र और राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा। ताकि पर्यटन के लिहाज से बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए कार्य किये जा सकें।
एनएस क्यूरीलाल कहते हैं कि हमारे यहां पर्यटक मसूरी, हरिद्वार, नैनीताल, अल्मोड़ा की ओर ज्यादा आते हैं। हम कोशिश कर रहे हैं कि जो हमारे 13 नए डेस्टिनेशन हैं या जो हिडेन डेस्टिनेशन हैं, वहां भी पर्यटक जाएं। इससे इन हिल स्टेशन पर बोझ कम पड़ेगा।
मसूरी में आवाजाही के लिए अगले दो साल में गुरुकुल गांव से रोपवे भी शुरू हो रहा है। उम्मीद है कि इससे गाड़ियों का दबाव शहर पर कम होगा। जिससे प्रदूषण भी कम होगा।
गढ़वाल मंडल के आयुक्त बीवी आरसी पुरूषोत्तम का कहना है कि जिस तरह से हम भूस्खलन और डेंजर ज़ोन को चिन्हित करते हैं। उसी तरह ट्रैफिक जाम वाले क्षेत्र भी चिन्हित किये जाएंगे। ताके आने वाले समय में उन स्थानों पर सुगम यातायात के लिए कार्य किया जा सके। इसके लिए पुलिस के साथ प्रशिक्षित पीआरडी जवानों को भी लगाया जा सकता है।
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