Water

बांध सुरक्षा: गुजरात में बांध टूटने से हो गई थी 2000 लोगों की मौत

देश में बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अगस्त 2019 में लोकसभा में बांध सुरक्षा विधेयक पास किया गया है, जानें बांध सुरक्षा से जुड़े दस सवालों के जवाब- 

 
By Bhagirath Srivas
Published: Tuesday 17 September 2019
Photo: Bharat Lal Seth

इन दिनों बांध सुरक्षा की बात क्यों हो रही है?

महाराष्ट्र के रत्नागिरी में इसी साल 2 जुलाई की रात तिवरे बांध टूट गया। हादसे में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई और आसपास के कई गांव डूब गए। इससे पहले 2018 में राजस्थान के झुंझनूं जिले के मलसीसर गांव में भी बांध टूटने की घटना हुई थी। बिहार के भागलपुर में भी 2017 एक नया नवेला बांध टूटा था। इन घटनाओं ने बांध सुरक्षा पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है।

देश में बांधों को सुरक्षित बनाने की दिशा में सरकार ने क्या प्रयास किए हैं?

देश में बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अगस्त 2019 में लोकसभा में बांध सुरक्षा विधेयक पास किया गया है। 16वीं लोकसभा में केंद्र सरकार इस विधेयक को पास नहीं करा पाई थी। सरकार का दावा है कि मौजूदा विधेयक देश में मौजूद 5,264 बड़े और अन्य छोटे और मझौले बांधों की सुरक्षित करेगा।

बांध सुरक्षा विधेयक पर कब-कब बात हुई?

1980 के दशक में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर बांध सुरक्षा पर बहस छिड़ी। 1982 में केंद्रीय जल आयोग की अध्यक्षता में गठित समिति ने 1986 में अपनी रिपोर्ट दी और बांध सुरक्षा पर जोर दिया। 2002 में राज्यों को बांध सुरक्षा विधेयक का मसौदा भेजा गया। 2010 में संसद में यह विधेयक रखा गया। 15वीं लोकसभा में भी संसद भंग होने के कारण यह विधेयक पास नहीं हो पाया।

यह विधेयक इतने लंबे समय से क्यों लटका रहा?

इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है राज्यों का विरोध। राज्यों को लगता है कि पानी राज्यों की विषय सूची में है और कानून बनने के बाद पानी व बाढ़ नियंत्रण पर केंद्र का दखल बढ़ जाएगा। उदाहरण के लिए तमिलनाडु को डर है कि केंद्रीय कानून के बाद वह केरल में स्थित बांधों पर अपना नियंत्रण खो देगा। हालांकि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने स्पष्ट किया है कि केंद्र की मंशा जल, बांधों और उससे उत्पन्न बिजली पर नियंत्रण की नहीं है।

बांधों के साथ क्या समस्या है?

भारत के 293 बांध 100 साल से अधिक पुराने हो चुके हैं। 25 प्रतिशत बांध 50 से 100 साल पुराने हैं और 80 प्रतिशत बांध 25 साल से ज्यादा पुराने हैं। इन्हें सुरक्षित बनाने के लिए तत्काल मरम्मत या नए सिरे से बनाने की जरूरत है ताकि उन्हें विफल होने से बचाया जा सके। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने 2017 में जारी अपनी ऑडिट रिपोर्ट में पाया था कि बड़े बांधों में केवल 349 यानी सात प्रतिशत में ही आपातकालीन कार्ययोजना मौजूद थी। वहीं 231 बांधों यानी पांच प्रतिशत में ही ऑपरेटिंग मैन्युअल थे। सीएजी ने पाया था िक 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केवल दो राज्यों ने ही मॉनसून से पहले बांधों की पूरी जांच कराई। केवल तीन राज्यों ने आंशिक जांच की और 12 राज्यों ने इस मामले में कुछ नहीं किया।

क्या बांध बाढ़ की विभीषिका बढ़ाने में योगदान देते हैं?

हां। भारी बारिश के बीच कई बार बांध का पानी अचानक छोड़ने से बाढ़ आ जाती है। उदाहरण के लिए हाल ही में महाराष्ट्र और कर्नाटक में जब बांध का पानी छोड़ा गया था, बाढ़ की स्थिति और खराब हो गई। महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली और सतारा में आई बाढ़ की विभीषिका उस समय बढ़ गई जब 5 अगस्त को कोयना, राधानगरी और वार्ना के बांध से पानी छोड़ा गया। करीब 100 प्रतिशत पानी भरने के बाद बांध से पानी छोड़ा गया। पिछले साल केरल में आई बाढ़ को भी बांधों से अचानक छोड़े गए पानी ने बढ़ाया। अचानक और लोगों को बिना सूचना दिए पानी छोड़ने पर उन्हें संभलने का मौका नहीं मिल पाता। इससे जानमाल का नुकसान काफी बढ़ जाता है।

किन कारणों से बांध विफल होते हैं?

बांध विफलता का सबसे बड़ा कारण है बाढ़। 44 प्रतिशत बांध तब विफल होते हैं जब बाढ़ का पानी का अचानक भर जाता है। दूसरा बड़ा कारण पानी की निकासी की अपर्याप्त व्यवस्था (25 प्रतिशत) है। इसके अलावा त्रुटिपूर्ण पाइपिंग अथवा निर्माण कार्य के कारण भी बांध विफल होते हैं।

भारत में कुल कितने बांध विफल हुए हैं?

1950 से 2010 के बीच 36 बांध विफल हुए हैं। राजस्थान में सर्वाधिक 11 बांध विफल हुए हैं जबकि मध्य प्रदेश में 10, गुजरात में 5 और महाराष्ट्र में 4 बांध विफल हुए हैं। आंध्र प्रदेश में 2 जबकि तमिलनाडु, उत्तराखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में बांध विफलता की एक-एक घटना हुई है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने हाल ही में संसद मंे बताया कि देश में अब तक 40 बांध विफल हुए हैं।

बांध विफलता की पहली घटना कब हुई?

बांध विफलता की पहली घटना 1917 में मध्य प्रदेश में तब हुई, जब ज्यादा पानी भरने के कारण तिगरा बांध टूट गया। जानमाल को सबसे अधिक नुकसान 1979 में गुजरात का मच्छू बांध टूटने पर हुआ। इस हादसे में करीब 2,000 लोग मारे गए।

बांध सुरक्षा कानून बनने के बाद क्या बदलाव आएगा?

कानून बनने के बाद केंद्रीय स्तर पर बांधों की निगरानी, मरम्मत और निरीक्षण संभव हो सकेगा। बांध सुरक्षा के लिए एक राष्ट्रीय समिति और प्राधिकरण का गठन होगा जो नीतियां बनाएंगे। देश में मौजूद 10 मीटर से ऊंचे सभी बांधों पर यह कानून लागू होगा।

Subscribe to Daily Newsletter :

Comments are moderated and will be published only after the site moderator’s approval. Please use a genuine email ID and provide your name. Selected comments may also be used in the ‘Letters’ section of the Down To Earth print edition.