कभी गया जिले में 200 और केवल शहर में 50 तालाब हुआ करते थे, जिनका अपना धार्मिक महत्व था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं
उमेश कुमार राय
धार्मिक कारणों से दुनियाभर में मशहूर गया शहर की एक पहचान यहां के तालाबों को लेकर भी है। यहां के कई तालाबों का धार्मिक महत्व है। मसलन गया शहर के वैतरणी तालाब को वायु पुराण में देव नदी कहा गया है। वायु पुराण में एक श्लोक है, जिसका अर्थ है- देव नदी वैतरणी में स्नान करने से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
इसी तरह सूर्य कुंड और रुक्मिणी तालाब के पास भी धार्मिक स्थल हैं, जो इनके धार्मिक महत्व को रेखांकित करते हैं।
एक अनुमान के मुताबिक केवल गया शहर में कभी 50 से ज्यादा तालाब हुआ करते थे। वहीं पूरे गया जिले में अनुमानतः 200 तालाब थे। इन 200 तालाबों में 50 से ज्यादा तालाबों को अभी पाट दिया गया है। अगर बात करें गया शहर की, तो यहां के सात तालाबों का अस्तित्व खत्म हो चुका है। इनमें से कुछ तालाब तो काफी बड़े थे। इसके अलावा आधा दर्जन तालाबों की स्थिति बेहद खराब है और अगर इनकी देखभाल नहीं की गई, तो ये भी आनेवाले समय में इतिहास बन जाएंगे।
स्थानीय लोग बताते हैं कि नूतननगर कॉलोनी जहां गुलजार है, वहां कभी विशालकाय तालाब हुआ करता था। नूतन नगर में एक छोटा-सा तालाब अब भी बचा हुआ है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, बिसार तालाब उसी बड़े तालाब का बहुत छोटा हिस्सा है, जिस पर आज नूतन नगर कॉलोनी बसी हुई है। कमिश्नरी दफ्तर के पास एक तालाब है, जिसे दिग्घी तालाब कहा जाता है। लोग बताते हैं कि दिग्घी तालाब जुड़वा था। इसके एक हिस्से पर कमिश्नरी दफ्तर बना दिया गया। दूसरा हिस्सा अब भी बचा हुआ है, लेकिन यहां गंदगी का अंबार लगा रहता है। रामसागर तालाब गया का बहुत बड़ा तालाब हुआ करता था। इसका अतिक्रमण कर लिया गया है। अभी बहुत छोटा हिस्सा बचा हुआ है। इसी तरह कठोतर तालाब और कोईली पोखर को भी पाट कर वहां कंक्रीट के जंगल बो दिए गए हैं।
जानकार बताते हैं कि गया में बारिश कम होती है, इसलिए ये तालाब ही भूगर्भ जल को रिचार्ज करते हैं। लेकिन, लगातार पाटे जा रहे तालाब और गया में बढ़ती आबादी ने यहां विकराल जलसंकट खड़ा कर दिया है।
पहले गया शहर में महज 10 फीट की गहराई पर पानी मिल जाता था, लेकिन अब 100 फीट से ज्यादा खोदने पर भी मुश्किल से पानी निकल रहा है। गया शहर में पानी का संकट इतना विकराल रूप ले चुका है कि गया नगर निगम को रोज टैंकरों से पानी की सप्लाई करनी पड़ रही है। गया नगर निगम के सूत्रों ने बताया कि नगर निगम की तरफ से करीब 35 टैंकर (एक टैंकर में 25 हजार लीटर पानी आता है) पानी की सप्लाई हो रही है।
गया नगर निगम के मेयर वीरेंद्र कुमार कहते हैं, ‘भूगर्भ जलस्तर गया शहर में बहुत तेजी से नीचे जा रहा है। अभी 100 फीट से ज्यादा खुदान करने पर भी पानी नहीं निकल रहा है। जहां पानी की बहुत किल्लत है, वहां हमलोग टैंकर से पानी की सप्लाई कर रहे हैं।’
पर्यावरणविद तालाबों को पाटे जाने को गया के मौजूदा जलसंकट से जोड़ कर देखते हैं। गया में पानी को लेकर लंबे समय से काम कर रहे रवींद्र पाठक कहते हैं, ‘पहले गया शहर की आबादी कम थी। उस समय गया में जितने तालाब थे, वे यहां के पेयजल की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त थे। लेकिन, अब आबादी तेजी से बढ़ रही है और जलस्रोत खत्म किए जा रहे हैं। इससे जलसंकट गहराता जा रहा है।’
बताया जाता है कि गया सदियों से धार्मिक केंद्र रहा है जिस कारण यहां हर साल लाखों लोगों का आना-जाना होता रहा था। इन लोगों की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ही यहां बहुत-सारे तालाब खोदे गए थे। लेकिन, गुजरते वक्त के साथ गया शहर में आबादी बढ़ने लगी और जलस्रोत खत्म होने लगे। इसी का खामियाजा आज लोग भुगत रहे हैं।
मेयर वीरेंद्र कुमार ने कहा, ‘फिलहाल नगर निगम की प्राथमिकता ये है कि लोगों को किसी तरह पानी मिले। इसके साथ ही हमलोग इस समस्या का स्थायी समाधान भी तलाश रहे हैं।
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