Governance

पर्यावरण बजट बढ़ा लेकिन हाथी-बाघ व एनजीटी का घटा

पर्यावरण, वन और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के लिए कुल 3175.72 करोड़ रुपए के बजट का प्रस्ताव किया गया है  

 
By Anil Ashwani Sharma
Published: Friday 01 February 2019
Credit: Samrat Mukharjee

अंतरिम बजट में पर्यावरण, वन और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को दिए जाने वाले बजट में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि यह बढ़ोतरी गत वर्ष के मुकाबले केवल 500.3 करोड़ रुपए ही हुई है। लेकिन कई अन्य महत्वपूर्ण मदों में बजट नहीं बढ़ाया गया है। उदाहरण के लिए वायु गुणवत्ता सुधार में जहां कुल बढ़े हुए पर्यावरणीय बजट का लगभग 82 फीसदी आबंटित किया गया है, वहीं दूसरी ओर वन्यजीवों में हाथी और बाघों के लिए बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। इसके अलावा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को दिए जाने वाले बजट में भी कटौती की गई है। हां नदियों के संरक्षण के लिए अवश्य बजट में बढ़ोतरी की गई है।  

अंतरिम बजट भाषण में कार्यवाहक वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए वैश्विक नेतृत्व कर रहा है। वहीं, प्रदूषण से निपटने के लिए भी कारगर कदम उठाए जा रहे हैं। यही कारण है कि अगले पांच वर्षों में दिल्ली-एनसीआर समेत कुल 102 शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार करने और जल व ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के कुल बजट में 500.3 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की गई है। वहीं, पहली बार कुल 460 करोड़ रुपए का बजट प्रस्ताव सिर्फ प्रदूषण नियंत्रण के लिए किया गया है, जिसका बड़ा हिस्सा राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम (एनसीएपी) की फंडिग के लिए होगा। एनसीएपी के तहत दिल्ली और आस-पास शहरों के अलावा उत्तर प्रदेश के बरेली, इलाहाबाद, वाराणसी और कानपुर शहर भी शामिल हैं। 

पर्यावरण के लिए कुल 3175.72 करोड़ रुपए

इस बार पर्यावरण, वन और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के लिए कुल 3175.72 करोड़ रुपए के बजट का प्रस्ताव किया गया है। जबकि बीते वित्त वर्ष में मंत्रालय के लिए अनुमानित बजट 2675.42 करोड़ रुपए ही था। कुल 500.3 करोड़ रुपए की वृद्धि इस बार की गई है। 

बाघ और हाथी के लिए नहीं बढ़ा बजट

जिन मदों में बजट बढ़ाया गया है उनमें प्रदूषण नियंत्रण के बाद वानिकी और वनों के संरक्षण के लिए कुल बजट में 30 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की गई है। बीते वित्त वर्ष (2018-19)नेशनल मिशन फॉर ग्रीन इंडिया के लिए 210 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था जबकि इस बार 240 करोड़ रुपए का प्रस्ताव रखा गया है। वन्यजीवों में हाथी और बाघों के लिए बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। वहीं, वन्यजीवों के पर्यावास को विकसित करने के लिए 10 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की गई है। 
 
एनजीटी का बजट घटा 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के लिए इस बार कुल 42 करोड़ रुपए बजट का प्रस्ताव किया गया है। जबकि बीते वित्त वर्ष में एनजीटी के लिए 45 करोड़ रुपए का बजट प्रस्ताव किया गया था। इस प्रकार से इस मद में 3 करोड़ रुपए कम किए गए हैं।

प्रदूषण नियंत्रण के तहत इन्हें होगी फंडिग 

एनसीएपी के लिए पहली बार प्रदूषण का नियंत्रण (कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) को लेकर बजट में मद तैयार किया गया है। वहीं, इस मद को लेकर कहा गया है कि प्रदूषण नियंत्रण का मकसद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रदूषण नियंत्रण समितियों और नेशनल स्वच्छ हवा कार्यक्रम (एनसीएपी) को फंडिंग करने के अलावा अन्य योजनाओं जैसे : राष्ट्रीय जल निगरानी कार्यक्रम, राष्ट्रीय ध्वनि निगरानी नेटवर्क और अन्य सहयोगी कार्यक्रमों को भी फंड दिया जाएगा। जबकि बीते वर्ष सरकार की ओर से पराली के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए बड़ा ऐलान किया गया था। 

नदियों के संरक्षण को लेकर बढ़ा बजट 
नदियों को संरक्षित करने के लिए इस बार बजट में 23 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की गई है। इस मद में कुल बजट 146 करोड़ रुपए बजट का प्रस्ताव किया गया है। जबकि बीते वित्त वर्ष में इस मद के लिए 123.50 करोड़ रुपए का बजट था। वहीं, प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए कुल बजट का प्रस्ताव 86 करोड़ है। बीते वित्त वर्ष के मुकाबले 6 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। 

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