इस साल पटाखों ने बहुत खराब की हवा की गुणवत्ता

सीएसई के अध्ययन में कहा गया है कि 15 सितंबर से 27 अक्टूबर तक प्रदूषण को रोकने के लिए किए गए सभी प्रयासों के बावजूद दिवाली के पटाखों ने सब 'किए धरे पर पानी' फेर दिया 

By Anil Ashwani Sharma

On: Tuesday 29 October 2019
 
Photo: Twitter @sohinigr

दिवाली के दिन चले पटाखों ने 15 सितंबर से 27 अक्टूबर तक वायु प्रदूषण से निपटने के लिए चलाई गई तमाम मुहीमों को चौपट कर दिया। यह बात  सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में दिल्ली और शहरों के रियल टाइम डेटा का विश्लेषण में पाया गया है। इसके लिए दिवाली की रात के वायु प्रदूषण को बताने के लिए गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा और गाजियाबाद को शामिल किया गया है। ध्यान रहे कि इस बार दिवाली के दिन चले पटाखों ने इस मौसम में पहली बार वायु प्रदूषण को अपनी चरम सीमा पर पहुंचा दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि 15 सितंबर से 27 अक्टूबर की अवधि के दौरान वायु प्रदूषण को कम करने में मिली सफलता को 15 सितंबर से 27 अक्टूबर तक वायु प्रदूषण को कम करने के लिए की गई तमाम कोशिशों को दिवाली की रात ने बदल दिया। क्योंकि दिवाली रात के पूर्व राजधानी और एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए चल रही सभी प्रकार की आपातकालीन उपायों और अन्य कोशिशों ने कुछ हद तक सफलता हासिल की थी।

राजधानी और एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करने की कोशिशों को सबसे पहला झटका गाजियाबाद ने दिया। क्यों कि इस 24 घंटे पहले ही औसत से अधिक गंभीर प्रदूषण की सीमा को छू लिया। जबकि उम्मीद थी इस शहर की आबोहवा दिवाली के बाद खराब होगी।

सीएसई ने अपने विश्लेषण में पाया है कि 2019 में वायु प्रदूषण का स्तर 2018 के मुकाबले लगभग बराबर ही था। लेकिन गत वर्ष की तुलना इस बार प्रदूषण का मानके तेजी से बदला। क्यों कि दिवाली के दिन एक से पांच बजे के तक तो ठीक थी लेकिन रात दस बजे के बाद अत्याधिक तेजी से वायु प्रदूषण (2.5 पीएम) में बढ़ोतरी दर्ज की गई। यह बढ़ोतरी लगभग दस गुना थी। जहां तक एक बजे से दोपहर तीन बजे के बीच के समय में प्रदूषण की बात करें तो यह स्तर गत वर्ष की तुलना इस बार लगभग बराबर ही रहा। बल्कि यह कह सकते हैं कि इस वर्ष यह समय गर्म रहा।  जहां तक पिछले साल की बात है तो तब वायु प्रदूषण सुबह आठ बजे तक बना रहा था लेकिन इस बार सुबह तीन बजे के बाद तेजी से कम हुआ। 

जहां तक दोनों वर्षों के साप्ताहिक तुलना में यह बात निकलकर आई हैकि पिछले साल के मुकाबले इस बार दिवाली के पहले का सप्ताह में अधिक स्वच्छ हवा थी। यह मानक इस बात की ओर इंगित करता है कि वायु प्रदूषण को इस बार अत्याधिक गंभीर बनाने में पटाखे की भूमिका अहम थी। यह भी ध्यान देने की बात हैकि इस बार दिवाली के पहले कोई भी ऐसा दिन नहीं था जिसे गंभीर प्रदूषण की संज्ञा दी जाए। जबकि गत वर्ष दिवाली के पहले ही कई ऐसे दिन  थे जिसे गंभीर प्रदूषण की श्रेणी में रखा गया था। इ स साल केवल गाजियाबाद में ही 24 घंटे पहले गंभीर प्रदूषण के दिन देखे गए। हालांकि इस बार इस बात के संकेत मिले हैं कि आने वाले समय में हवा की गुणवत्ता में कुछ हद तक कमी हो सकती है।

इस साल वायु प्रदूषण के गंभीर और बहुत गंभीर प्रदूषण वाले दिनों  की शुरूआत 10 अक्टूबर से हो गई है। जबकि गत वर्ष 26 सितंबर से ही शुरू हो गए थे। यहां तक सभी एनसीआर शहरों में दिवाली से एक हफ्ते पूर्व ही शुरू हो गए थे।

इसमें कोई शक नहीं है कि इस बार अनुकूल मौसम और वायु प्रदूषण के रोकने के लिए किए  गए तमाम उपायों ने प्रदूषण काफी कम किया है। इस बार हवा के रूख ने भी प्रदूषण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। क्योंकि पिछले साल के मुकाबले इस बार हवा की तेजी में कमी ने प्रदूषण को फैलने से रोका।

वायु गुणवत्ता का विश्लेषण से पता चलता है कि इस बार रात दस बजे के बाद चले पटाखों ने वायु की गुणवत्ता को पिछले साल के बराबर ही कर दिया था। हालांकि इस बार दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता पिछले साल के मुकाबले बेहतर स्थिति में है।

Subscribe to our daily hindi newsletter