पिछले 15 दिन में हरियाणा के दो गांवों में प्रशासन द्वारा बीटी बैंगन की फसल को नष्ट किया गया है। जबकि जीएम फसल का जाल पूरे देश में अपने पैर पसार चुका है।
हरियाणा के फतेहाबाद के बाद अब सिरसा जिले में बीटी बैंगन की खेती का मामला सामने आया है। हालांकि स्थानीय प्रशासन ने पुष्टि किए बिना बैंगन की खेती को बर्बाद कर दिया। सिरसा का मामला गांव रंगड़ीखेड़ा गांव का है। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रतिबंध के बावजूद देश में कई जगह से भारत में अनुवांशिक रूप से संवर्धित (जीएम) खाद्य फसलों की खेती करने के आरोप लग रहे हैं। डाउन टू अर्थ ने अगस्त 2018 में इस बारे में एक व्यापक रिपोर्ट शोधपरक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। डाउन टू अर्थ की जांच में यह बात निकलकर आई है कि अनुवांशिक रूप से संवर्धित खाद्य फसलों की भारत में अवैध रूप से घुसपैठ हो चुकी है। लैब रिपोर्ट में यह बात निकलकर आई है कि 32 प्रतिशत खाद्य पदार्थों में जीएम के अंश मिले हैं,जबकि इससे आमजन मानस अंजान है। ऐसे कई आरोप हैं कि भारत में अनुवांशिक रूप से संवर्धित खाद्य फसलों की खेती बड़े पैमाने पर होती है। भारत में किन-किन स्थानों पर, कौन-कौन सी जीएम फसलों की खेती करने का आरोप है, यह सब जानने के लिए डाउन टू अर्थ की टीम ने व्यापक स्तर पर लोगों से और विशेषज्ञों से बात की और कानूनी दस्तावेज खंगाले।
बैंगन :
हरियाणा में चावल के बाद अब बीटी बैंगन का मामला भी सामने आया है। बुंदेलखंड के इलाके में जन जल जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह का कहना है कि बीटी बैंगन की खेती उत्तर प्रदेश के झांसी, ललितपुर और मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ और छतरपुर में पिछले दो तीन साल से की जा रही है। वहीं, भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के नेता अतुल अंजान का कहना है कि इन इलाकों के अलावा पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में भी तेजी से जीएम बीटी बैंगन बीज का उपयोग किया जा रहा है। चौधरी चरण सिंह विश्व विद्यालय में शोध कर चुके अनिल चौधरी ने बताया कि पश्चिम बंगाल के मिदिनापुर व दक्षिण व उत्तरी 24 परगना जिले में जीएम बैंगन की फसल गैर कानूनी तरीके से लगाई जा रही है। वे कहते हैं कि यह तब हो रहा है जबकि राज्य सरकार के कृषि आयोग ने 15 अप्रैल, 2008 से राज्य में किसी भी प्रकार की जीएम फसल के परीक्षण पर रोक लगाई हुई है। बीटी बैंगन केरल, पश्चिम बंगाल, उडिसा, छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश और बिहार में इसकी खेती चोरी-छुपे हो रही है।
सोयाबीन: भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा कि जीएम सोयाबीन बीज का गैर कानूनी तरीके से महाराष्ट्र के विदर्भ व मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। महाराष्ट्र के विदर्भ में विशेषकर यवतमाल, अकोला, वर्धा, अमरावती और मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के मंदसौर व नीमच में जीएम सोयाबीन की खेती की जा रही है। युद्धवीर सिंह सहित अन्य सभी की बात तब और विश्वसनीय हो जाती है जब भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक शरद पवार कहते हैं कि जीएम सोयाबीन का महाराष्ट्र में एक भी ऐसा संस्थान नहीं है, जहां जीएम एचटी सोयाबीन का परीक्षण किया जा सके। इसके बावजूद यह राज्य के कम से कम चार जिलों में गैर कानूनी रूप से उगाने की लगातार सूचनाएं आती रहती हैं।
भिंडी: बुंदेलखंड के इलाके में जन जल जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने बताया कि इस इलाके में जीएम भिंडी लगाने की बात पिछले एक साल से आ रही है। वे कहते हैं विशेषतौर पर उत्तर प्रदेश के झांसी, ललितपुर और मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ और छतरपुर में चोरी-छुपे जीएम भिंडी का उत्पादन किया जा रहा है।अतुल अंजान ने कहा कि बिहार के दो जिलों में भी जीएम भिंडी लगाने के प्रमाण मिले हैं। ये जिले हैं छपरा और खगडिया। वे कहते हैं देश के कम से कम आधा दर्जन राज्यों में जीएम भिंडी का गैर कानूनी तरीके से उपयोग किया जा रहा है। ये राज्य हैं- मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार,झारखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और गुजरात।
चावल: युद्धवीर सिंह ने कहा कि नवबंर, 2008 में हमने करनाल में एक कंपनी द्वारा जीएम चावल की गैर कानूनी तरीके से किए जा रहे ट्रायल को पकडा था। इस कंपनी ने राज्य सरकार के कृषि अधिकारी को इस ट्रायल के बारे में जानकारी नहीं दी थी। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने हम पर ही मुकदमा दायर कर दिया और मामला अब तक हम पर चल रहा है। वे कहते हैं कि जीएम चावल हरियाणा के करनाल के अलावा कई और जिलों में उपयोग किया जा रहा। इसकी जानकारी अभी मेरे पास नहीं है। यही नहीं उन्होंने कहा जीएम चावल आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में भी गैर कानूनी तरीके से लगाया जा रहा है।
मिर्ची: अतुल अंजान ने कहा कि उत्तर प्रदेश में झांसी के दो, ललितपुर के तीन और मध्य प्रदेश के टिकमगढ़ और छतरपुर के एक-एक गांव में जीएम मिर्ची लगाई जा रही है। संजय सिंह ने कहा कि यह सच है कि इन इलाकों में जीएम मिर्ची सचमुच में उगाई जा रही है।
मक्का: बिहार में जीएम मक्का बीज का तेजी से उपयोग पिछले दो सालों से हो रहा है। और यह राज्य के भागलपुर, खगडिया, सीतामढ़ी और समस्तीपुर में हो रहा है। अतुल कुमार अंजान कहते हैं कि इन राज्यों में यह बीज मोनसेंटो द्वारा गैर कानूनी तरीके से उपलब्ध कराया जा रहा है।
सरसो: युद्धवीर सिंह ने कहा कि जीएम सरसों बीज पंजाब और राजस्थान (जयुपर) व पश्चिम बंगाल में उपयोग किए जाने की सूचना है। हालांकि अभी स्थान विशेष की जानकारी नहीं है। जीएम सरसों पर लगातार शोध करने वाले भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक शरद पवार ने बताया कि मैं यह दावे से कह सकता हूं कि जीएम सरसों के बीज का उपयोग भारत में गैर कानूनी तरीके से हो रहा है।
गोभी: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में 2006 में जीएम गोभी की फसल करने का मामला भी सामने आया था।
We are a voice to you; you have been a support to us. Together we build journalism that is independent, credible and fearless. You can further help us by making a donation. This will mean a lot for our ability to bring you news, perspectives and analysis from the ground so that we can make change together.
Comments are moderated and will be published only after the site moderator’s approval. Please use a genuine email ID and provide your name. Selected comments may also be used in the ‘Letters’ section of the Down To Earth print edition.