खनन प्रभावित लोगों के लिए आजीविका और सुरक्षित आय के स्रोत चिंता के सबसे बड़े कारण बने हुए हैं
चतरा जिले (झारखंड) के डीएमएफ (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन) मद से खनन प्रभावित क्षेत्रों में पाइप-जलापूर्ति पर निवेश किया जाना एक सकारात्मक पहल है। हालांकि इस जिले में स्वास्थ्य पर निवेश भी बहुत जरूरी है। यह बात नई दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी संगठन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने चतरा जिले के खनन प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति के अपने विश्लेषण में कही।
संगठन ने अपनी आकलन रिपोर्ट में कहा है कि चतरा जिले में बच्चों के कुपोषण और मृत्यु दर के उच्च स्तर को कम करने पर ध्यान देने की बहुत अधिक जरूरत है। खनन प्रभावित लोगों के लिए आजीविका और सुरक्षित आय के स्रोत चिंता के सबसे बड़े कारण बने हुए हैं। संगठन ने लोगों की आय में वृद्धि के लिए स्थानीय संसाधनों की गुणवत्ता में सुधार और कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए निवेश की जरूरत पर बल दिया है।
वर्तमान में झारखंड में डीएमएफ के तहत 3,200 करोड़ रुपए संग्रहित किए गए हैं। चतरा राज्य के प्रमुख खनन जिलों में से एक है, जहां पांच बड़ी कोयले की खान परियोजनाएं टंडवा ब्लॉक में स्थित हैं। जिला का मौजूदा डीएमएफ संग्रह 425 करोड़ रुपए से अधिक है। अनुमान है कि जिले के डीएमएफ ट्रस्ट में प्रति वर्ष लगभग 150 करोड़ रुपए आएंगे।
सीएसई की श्रेष्ठा बनर्जी ने कहा कि डीएमएफ खनन प्रभावित लोगों के जीवन में सुधार करने का एक बड़ा अवसर प्रदान करता है, जिससे स्वच्छ पेयजल, उचित स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा इत्यादि जैसी बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित किया जा सकता है। खनन प्रभावित समुदायों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने यह बात कही। उनका कहना था कि चतरा वनों से समृद्ध है और इसकी कृषि क्षमता बहुत अधिक है। हालांकि, इससे लोगों की कमाई बहुत कम है। डीएमएफ के माध्यम से लक्षित निवेश से वन उत्पादन और कृषि आधारित आजीविका की संभावना को बखूबी बढ़ाया जा सकता हैं और लोगों के ज्ञान और कौशल को बढ़ावा देकर आय में सुधार किया जा सकता है।
सीएसई का यह विश्लेषण टंडवा और सिमरिया ब्लॉक के खनन प्रभावित क्षेत्रों में आयोजित सर्वे के आधार पर है। दूसरी ओर जिला प्रशासन ने जिले की बुनियादी समस्याओं की पहचान की है और प्रमुख मुद्दों पर अगले 3 वर्षों में उचित निवेश पर विचार कर रहा है। चतरा जिले के कलेक्टर जितेंद्र सिंह ने कुछ अहम पहल शुरू भी कर दी है। उदाहरण के लिए, टंडवा और सिमरिया ब्लॉक में 40 आंगनवाड़ी को अपग्रेड कर दिया गया है। इसके अलावा बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल में सुधार के लिए जिले के सभी गांवों में बुनियादी दवाएं और चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत एक परियोजना आशा किट पर निवेश किया जा रहा है। यहां इस तरह के उपयोग को बेहतर बनाने के लिए डीएमएफ फंड का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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