Governance

दाभोलकर की हत्या को छह बरस, अब सोशल मीडिया पर हो रहा हमला

सोशल मीडिया पर जारी अभियान में महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के खिलाफ 20 अगस्त, 2019 को जमकर हमला हुआ। समिति ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है। 

 
By Vivek Mishra
Published: Tuesday 20 August 2019
डॉ. दाभोलकर का फाइल फोटो: Creative commons

धार्मिक अंधविश्वास के खिलाफ और वैज्ञानिक चेतना प्रसार की लड़ाई लड़ने वाले डॉ नरेंद्र दाभोलकर की हत्या को छह बरस पूरे हो गए। 20 अगस्त, 2019 को एक तरफ महाराष्ट्र में उनकी पुण्यतिथि मनाई गई तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया (ट्विटर) पर उनकी संस्था महाराष्ट्र अंधश्रद्धा उन्मूलन निर्मूलन समिति के खिलाफ हैशटैग एएनएस एक्सपोज्ड के नाम से खूब हमला किया गया। यह ट्विट्रर पर ट्रेंडिग टॉपिक भी बन गया। आरोप लगाया गया है कि यह समिति विदेशी फंड लेकर संचालित की जा रही है और भ्रष्टाचार में लिप्त है। वहीं, समिति की ओर से दाभोलकर की हत्या के छह बरस बीत जाने के बाद भी पक्के सबूत नहीं बटोरे जा सके हैं। करीब छह लोग गिरफ्तार किए गए हैं। शासन और प्रशासन की उदासीनता के खिलाफ ट्विटर पर हैशटैग जवाब दो सूत्रधार कौन? अभियान भी चलाया गया है। 

महाराष्ट्र अंधश्रद्धा उन्मूलन निर्मूलन समिति के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने डाउन टू अर्थ को बताया कि सोशल मीडिया पर जवाब दो सूत्रधार कौन अभियान को दस दिन तक चलाया जाएगा। वहीं, 20 अगस्त से 21 सितंबर तक राष्ट्रीय वैज्ञानिक दृष्टिकोण दिवस  मनाया जाएगा। 21 सितंबर, 1995 को गणेश की मूर्तियों के जरिए दूध पीने का मामला सामने आया था। इस अंधविश्वास के खिलाफ यह मुहीम 21 सितंबर तक चलाई जाएगी। उन्होंने सोशल मीडिया पर समिति के खिलाफ लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोप को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि विदेशी फंड लेने और भ्रष्टाचार के जितने भी आरोप लगाए जा रहे हैं उन सभी मामलों की जांच हो चुकी है। आरोप लगाने वालों को कुछ भी नहीं मिला। अब वे सोशल मीडिया पर छवि धूमिल कोशिश करने का प्रयास कर रहे हैं।  

महाराष्ट्र अंधश्रद्धा उन्मूलन निर्मूलन समिति के संस्थापकों में शामिल माधव बावगे ने डाउन टू अर्थ को बताया कि समिति पर लगाए जा रहे सारे आरोप बेबुनियाद हैं। यह एक तरह की साजिश है। डॉ दाभोलकर को अमेरिका में महाराष्ट्र फाउंडेशन की ओर से बेहतरीन सामाजिक कार्य के लिए दस लाख रुपये पुरस्कार के तौर पर दिए गए थे। उन्होंने यह राशि समिति को दे दी थी। इसके अलावा हमारा हर वर्ष जून, जुलाई और अगस्त के महीने में ऑडिट भी होता है। यह रिपोर्ट सामाजिक न्यास में जमा भी होती है। उन्होंने कहा कि समिति चलाने का सिर्फ दो जरिया है। पहला लोगों से मिलने वाला  डोनेशन और दूसरा वार्षिक अंक में छापा जाने वाला विज्ञापन। इसके अलावा समिति को कोई फंड नहीं मिल रहा है।

रुढ़िवादी परंपराओं और अंधी श्रद्धा के खिलाफ वैज्ञानिक लड़ाई लड़ने वाले डॉ नरेंद्र दाभोलकर की हत्या 20 अगस्त, 2013 को की गई थी। वे महाराष्ट्र में लंबे समय से धार्मिक अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे। मजदूरों और आम जनों के बीच लगातार वैज्ञानिक चेतना का प्रसार कर रहे थे। पेशे से चिकित्सक दाभोलकर इस अंधविश्वास की लड़ाई को धर्मचिकित्सा कहते थे।

महाराष्ट्र अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के संस्थापक माधव बावगे बताते हैं कि इस मामले की जांच पहले महाराष्ट्र पुलिस कर रही थी, फिर यह केस एटीएस को सौंपा गया उसके बाद अभी सीबीआई के जरिए इसकी जांच हो रही है। कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। लेकिन अभी तक यह मामला निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंच पाया है। दाभोलकर और उनकी विचारधारा के खिलाफ एक लंबी साजिश रची गई है। कुछ हिंदू अतिवादी संस्थाओं के लोग इसमें शामिल हैं। यही लोग गोविंद पानसरे, एमएम कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या से भी जुड़े हैं।  

2013 से लेकर 2018 तक अंधविश्वास और धार्मिक पोगापंथी व कट्टर विचारधारा के खिलाफ आवाज उठाने वालों की सिलसिलेवार हत्या पर आनंद पटवर्धन ने विवेक (तर्क) नाम से दस वीडियो की सीरीज बनाई। इसकी पहली कड़ी डॉ दाभोलकर पर ही केंद्रित है। इस छोटी अवधि वाली डॉक्यूमेंट्री में डॉ नरेंद्र दाभोलकर की पत्नी शैला दाभोलकर नवंबर, 2015 के दौरान बताती हैं कि महाराष्ट्र के सतारा में 90 वर्ष पहले उनके ससुर यहां रहने आए थे। उन्होंने एक छोटा सा चिकित्सालय खोला था। मैं इसे अभी तक चलाती हूं। वे बताती हैं कि महाराष्ट्र श्रद्धा उन्मूलन समिति की स्थापना के शुरुआती 17 वर्ष काफी अहम रहे। पानी की बराबरी के हक की लड़ाई हो या जातिवाद के खिलाफ लड़ाई। सब जारी रहा।

वहीं, समिति के संस्थापक माधव बावगे बताते हैं कि जो लोग यह सोच रहे थे कि डॉ दाभोलकर की हत्या से अंधविश्वास के खिलाफ जारी मुहीम खत्म हो जाएगी। वे विचारधारा को समझ नहीं पाए। आज महाराष्ट्र में दस हजार लोग इस समिति से जुड़े हैं। दाभोलकर की हत्या के बाद से 180 शाखाएं अब 364 शाखाओं में बदल गई हैं। युवा बहुत ही तेजी से उनकी विचारधारा से जुड़ रहा है।

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