नासा के वैज्ञानिकों की खोज के मुताबिक ब्रह्मांड का विस्तार अनुमान से करीब 9 फीसदी ज्यादा तेज गति से हो रहा है।
इस ब्रह्मांड का विस्तार तय अनुमान से भी अधिक तेज गति से हो रहा है। नासा के वैज्ञानिकों ने हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी के जरिए आकलन के बाद यह दावा किया है। ब्रह्मांड के फैलाव को हबल कांस्टेंट के जरिए मापा जाता है। बहरहाल, नासा के वैज्ञानिकों की खोज के मुताबिक ब्रह्मांड का विस्तार अनुमान से करीब 9 फीसदी ज्यादा तेज गति से हो रहा है। वहीं, अब इसे अनायास कहकर खारिज नहीं किया जा सकता।
यह बात भी कही जा रही है कि अभी हमारे ब्रह्मांड संबंधी ज्ञान में कुछ कमियां है जिसके कारण हम यह ठीक से बता पाने में असक्षम हैं कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति के सिद्धांत महाविस्फोट (बिग-बैंग) के बाद असल में क्या घटित हुआ था। वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्रह्मांड के तेज गति से विस्तार की कहानी तब सामने आई जब पर्यवेक्षण में यह ज्ञात हुआ कि अंतरिक्ष में तारों का समूह (गैलेक्सी) अपनी जगह से काफी दूर घूम रहा है। ब्रह्मांड का विस्तार आकाशगंगाओं के दूर जाने के कारण होता है। इस फैलाव की गति को हबल कोस्टेन्ट के जरिए ज्ञात किया जाता है।
2011 में भौतिकी वैज्ञानिक एडम रीस, साल परलम्यूटर और ब्रायन पी स्कमिड को भौतिकी में नोबल सम्मान से नवाजा गया था। इन वैज्ञानिकों ने इस बात के सबूत दिए थे कि इस ब्रह्मांड का फैलाव तेजी से हो रहा है। हालांकि, फैलाव की गति की दर के सही आकलन में समस्या थी। वहीं, 2016 में नासा ने कहा था कि ब्रह्मांड का विस्तार अनुमान से करीब 6 से 9 फीसदी ज्यादा तेजी से हो रहा है।
नोबेल से सम्मानित वैज्ञानिक एडम रीस ने उस वक्त कहा था कि ब्रह्मांड के विस्तारित होने की दर संबंधी यह विसंगति बिंग-बैंग के बाद अनुमानित प्रक्षेप-पथ से जुड़ी हो सकती है। यदि हम सही से इस ब्रह्मांड के तत्वों यानी डार्क एनर्जी, डार्क मैटर आदि के बारे में जानते तब भौतिकी का सही इस्तेमाल कर बिग-बैंग के बाद की स्थिति को बहुत जल्द समझा जा सकता था। इससे यह भी सही रूप में पता चला सकता है कि यह ब्रह्मांड वाकई में कितना तेज गति से विस्तारित हो रहा है।
यूरोपियन अंतिरक्ष एजेंसी के प्लैंक सेटेलाइट के जरिए शुरुआती ब्रह्मांड के आकलन और पर्यवेक्षण ब्रह्मांड के विस्तारित होने की दर का अनुमान देते हैं लेकिन हबल कास्टेंट के जरिए ब्रह्मांड के विस्तारित होने की दर के आंकड़ों से मेल नहीं खाते हैं। एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित एक शोत्रपत्र में ब्लूमबर्ग जांस हाप्किंस यूनिवर्सिटी में भौतिकी और खगोलशास्त्र के प्रोफेसर रीस और उनके सहयोगी ने ब्रह्मांड के विस्तारित होने की दर संबंधी आंकड़े में आने वाले अंतर को लेकर कहा था कि यह अंतर बढ़ता ही जा रहा है। इस अंतर को शायद नहीं खत्म किया जा सकता। हम इस मुद्दे पर नहीं उलझना चाहते हैं। यह मामला सिर्फ दो प्रयोगों के बीच असहमतियों का नहीं है। हम कुछ ऐसा मापने की कोशिश रहे हैं जो बुनियादी तौर पर बिल्कुल अलग है।
आज के समय में ब्रह्मांड कितना तेजी से विस्तारित हो रहा है यह एक माप और आकलन का विषय है। दूसरा विषय शुरुआती ब्रह्मांड के लिए भौतिकी के अनुमान पर आधारित है, जिसमें यह पता किया जाना है कि ब्रह्मांड को कितना तेज विस्तारित होना चाहिए। यदि दोनों के माप और आकलन में फर्क है तो हम जरूर कुछ बहुत ही अहम ऐसा नहीं पकड़ रहे हैं जो ब्रह्मांड की गुत्थी को समझा सके।
हमारे सबसे पड़ोसी आकाशगंगा में तारों के समूह को नई विकसित तकनीकी के जरिए देखा गया है। इसके जरिए नए तारों के समूह को भी भविष्य में देखा और परखा जाएगा। इससे ब्रह्मांड के विस्तारित होने की सही दर के और पुख्ता सबूत मिल सकेंगे। निष्कर्ष अभी यही है कि ब्रह्मांड तेजी से फैल रहा है लेकिन इसकी असल दर क्या है यह अभी गुत्थी है।
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