2 से 6 सितंबर के दौरान पर्यावरण संरक्षण के लिए अदालतों द्वारा लिए गए अहम फैसले-
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 4 सितंबर, 2019 को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) को निर्देश दिया है कि बाड़मेर जिले के बालोतरा, गांधीपुरा में कार्यरत 23 टैक्सटाइल यूनिट को वायु अधिनियम और जल अधिनियम के तहत दी गई अनुमति वापस ली जाए। राज्य बोर्ड को यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है कि वे अब गैर अधिकृत क्षेत्र में कार्य न करें। सुनवाई की अगली तारीख (23 सितंबर, 2019) तय की गई है।
सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल को सूचित किया गया था कि 23 औद्योगिक इकाइयों में से, गांधीपुरा में केवल 8 इकाइयों को औद्योगिक क्षेत्र, चरण -4 में भूखंड आवंटित नहीं किए गए हैं, क्योंकि उन्होंने कभी भी इसके लिए आवेदन नहीं किया है। ये 8 इकाइयां गैर-अनुरूप क्षेत्र में काम कर रही थीं, इस तथ्य के बावजूद कि उनकी इकाइयों के लिए औद्योगिक भूखंडों के आवंटन के उद्देश्य के लिए वैकल्पिक साइट थी।
गांधीपुरा में इन 23 उद्योगों के संबंध में, जोधपुर में राजस्थान के उच्च न्यायालय के समक्ष भी मुकदमा चलाया गया और 9 मार्च, 2004 को एक आदेश पारित किया गया। उच्च न्यायालय ने कपड़ा इकाइयों के लिए एक औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने का निर्देश दिया था, जो आवासीय क्षेत्रों से उचित दूरी पर स्थित हो। औद्योगिक क्षेत्र को छह महीने की अवधि के भीतर स्थापित करना पड़ा और उद्योगों को स्थानांतरित कर दिया गया। पूरा ऑर्डर देखें
अगले 25 वर्षों के लिए पार्किंग का इंतजाम करना होगा: सुप्रीम कोर्ट
2 सितंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह अगले 25 साल तक वाहनों के लिए पार्किंग की जरूरतों को समझते हुए नीति और योजनाएं बनाएं। इसके लिए पहले व्यापक सर्वेक्षण किया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली नगर निगमों को निर्देश दिया कि वे फुटपाथों से अतिक्रमण हटाए, ताकि पैदल चलने वालों को दिक्कत न हो।
कोर्ट ने कहा कि सरकार और प्राधिकरण देश के नागरिकों को पर्याप्त सार्वजनिक परिवहन प्रदान करने में विफल रहे हैं। जबकि देश में केवल 2 फीसदी लोगों के पास ही निजी वाहन हैं, लेकिन यह 2 फीसदी आबादी चाहती है कि परिवहन के संबंध में सभी संसाधन और बुनियादी ढांचे पर उसका एकाधिकार हो। अदालत का पूरा आदेश देखें-
निर्माणों की जांच के लिए समिति
एनजीटी ने 2 सितंबर, 2019 को एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है, जो राज्य में भवन निर्माण के दौरान पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना, 2006 की पालन न किए जाने के आरोपों की जांच करेगी।
समिति में भुवनेश्वर में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय के प्रतिनिधि और राज्य पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण के प्रतिनिधि शामिल होंगे। एनजीटी में दायर याचिका में कहा गया है कि झारखंड के कई इलाकों खासकर रांची, जमशेदपुर, बोकारो और देवगढ़ शहरों में इमारतों का निर्माण करते वक्त ईआईए अधिसूचना, 2006 के तहत अनिवार्य रूप से पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त किए बिना ही निर्माण किया गया है। जबकि 20,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में बने निर्माण के लिए यह अनिवार्य है। ऑर्डर पढ़ें-
तलोजा प्रदूषण के लिए एमआईडीसी पर 5 करोड़ का जुर्माना
एनजीटी ने 3 सितंबर, 2019 को महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) को 5 करोड़ रुपए का जुर्माना भरने का निर्देश दिया, क्योंकि वह मुंबई के बाहरी इलाके में तलोजा औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण को रोकने में विफल रहा है।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि भले ही इलाके में प्रदूषण को ट्रीट करने के लिए सीईटीपी लगा दिया गया है, लेकिन प्रदूषण बेरोकटोक जारी रहा। कारखानों से निकल रहा प्रदूषित पानी बिना ट्रीट किए एक जलाशय में डाला जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य को खतरा बना हुआ है, साथ ही इको सिस्टम भी प्रभावित हो रहा है।
एनजीटी ने यह भी कहा कि यदि पूर्व आदेशों के अनुसार मुआवजे की शेष राशि और वर्तमान राशि 30 सितंबर, 2019 तक जमा नहीं की जाती है, तो एमआईडीसी के सीईओ , डिप्टी सीईओ (पर्यावरण), और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव का वेतन रोक दिया जाए।
एनजीटी ने कहा कि 15 अक्टूबर, 2019 तक इन अधिकिरयों को एक और अनुपालन रिपोर्ट दायर करनी होगी। इसी तरह निगरानी समिति को भी उसी तारीख तक अपनी अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया है। आदेश पढ़ें -
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