अनानास उगाने वाले किसान ढूंढ रहे हैं मंडी, लॉकडाउन ने किया था बर्बाद

सरकार के द्वारा अनानास फल को स्पेशल क्रॉप के रूप में चिन्हित किया गया लेकिन इसके प्रोत्साहन से जुड़ी योजनाएं धरातल पर नहीं आ सकीं। 

By Rahul Kumar Gaurav

On: Monday 08 August 2022
 
Photo : किशनगंज में अनानास की खेती ; राहुल कुमार गौरव

बिहार के पूर्वोत्तर छोर पर स्थित किशनगंज जिला को चाय और अनानास की खेती खास बनाती है लेकिन लॉकडाउन का धक्का खाने वाले किसान अब मंडी की कमी के चलते सही भाव नहीं हासिल कर पा रहे हैं। अब इलाके में एक प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का प्रस्ताव भेजा गया है ताकि अनानास उगाने वाले किसानों को उनकी उपज का सही दाम हासिल हो सके। 
 
किशनगंज में मुख्य रूप से ठाकुरगंज और पोठिया प्रखंड के किसान अनानास की खेती करते हैं। किशनगंज जिला के कृषि विभाग के मुताबिक पूरे जिले में 25000 एकड़ में अनानास की खेती होती हैं और 5 हजार किसान इस खेती से जुड़ चुके हैं। पूशा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक शंकर झा बताते हैं कि, "भौगोलिक स्थिति व जलवायु अनुकूल होने के साथ-साथ सीमांचल की मिट्टी में अम्लीय गुण रहता है। साथ ही बरसात के वक्त भरपूर पानी रहती है। इसलिए यहां की मिट्टी अनानास की खेती के लिए उपयुक्त है।"
 
स्थानीय मंडी नहीं होने से किसान चिंतित
 
किशनगंज के ठाकुरगंज प्रखंड में तीन बीघा अनानास की खेती करने वाले कन्हैया (30 वर्ष) बताते हैं "एक बीघा (20 कट्ठा) में करीब 6000 अनानास का पौधा लगता है, जिसे लगाने के लिए लगभग 40 से 45 हजार रुपए की लागत लगती है। लागत के साथ -साथ मंडी तक ले जाने के भाड़ा को हटा दिया जाए तो एक बीघा से सालाना 60 से 70 हजार रुपए का फायदा होता है। वहीं, अगर सरकार के द्वारा प्रोसेसिंग यूनिट लगा दिया जाएं और स्थानीय मंडी की व्यवस्था कर दी जाए तो सलाना कम से कम एक लाख रुपए का फायदा होगा।" 
 
वहीं शैलेंद्र सिंह चुरली किशनगंज में अनानास के बड़े किसान हैं। वो बताते हैं कि, "अनानास को किशनगंज के किसान लगभग 18 रुपए प्रतिफल बेचते हैं, जबकि प्रोसेसिंग प्लांट हरिद्वार को यह फल 25 रुपए खरीद पड़ता है। सोचिए यह प्लांट किशनगंज में बन जाए तो सोचिए किसानों को कितना लाभ होगा।" शैलेंद्र सिंह चुरली प्रोसेसिंग प्लांट के लिए कई बार धरना दे चुके हैं‌। 
 
बिचोलिया करते हैं परेशान 
 
अनानास उत्पादन करने वाले किसान अजय सिंह बताते हैं कि, "अगर किशनगंज में मंडी होती तो अच्छे दाम मिल जाते। सरकार और प्रशासन के द्वारा मंडी और प्रोसेसिंग यूनिट नहीं लगने के कारण पश्चिम बंगाल के विधाननगर, सोनापुर आदि मंडियों में व्यापारियों को औने पौने दाम में बेचना पड़ता है। वहां बंगाल में बिचोलिया के द्वारा बिहार के किसानों के साथ भेद-भाव भी किया जाता हैं।"
 
लॉकडाउन अनानास के किसानों को 10-15 साल पीछे धकेल दिया
 
किशनगंज के पोठिया ब्लॉक में स्थित अनानास उत्पादक सत्यम साहू बताते हैं कि, "हम अपनी उपज बंगाल में पूरे विक्रेताओं को बेचते हैं और इसे दिल्ली सहित कई राज्यों में भेजा जाता है। लेकिन लॉकडाउन के कारण परिवहन की वजह से खरीदार बिल्कुल नहीं था। गर्मी के वक्त में फल तेजी से खराब होता हैं। स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि फल के टुकड़े खेतों में बिना टूटे पड़ा रहता था। हम लगभग ₹2 लाख निवेश किए थे, लेकिन फल के लिए 2 रुपये भी नहीं मिल रहा था।" 
 
वहीं किसान दुलाल सिंह बताते हैं कि, "लॉकडाउन में हुआ व्यापारिक घाटा ने अनानास के किसानों को 10-15 साल पीछे धकेल दिया। करोड़ों का नुक़सान हुआ चाय और अनानास के किसानों का। मुआवजा के नाम पर भी कुछ नहीं मिला। अगर मंडी या फूड प्रोसेसिंग यूनिट किशनगंज में होता तो इतना घाटा नहीं होता।" 
 
आर्थिक स्थिति में होगा बदलाव 
 
किसान मोर्चा के अध्यक्ष बिजली सिंह बताते हैं कि, "शुरुआत में किसान को सरकार के तरफ से कोई भी मदद नहीं मिला था। वो पुल्ली (अनानास के छोटे पौधे) को असम या अन्य दूसरे जगह से मंगाते थें। जब अनानास की खेती वृहत पैमाने पर होने लगी तो बिहार सरकार के द्वारा अनानास फल को स्पेशल क्रॉप (विशेष फसल) के रूप में चिन्हित किया साथ ही किसानों को उत्साहित करने के लिए कुछ योजना बनाई जो धरातल पर आ ही नहीं सकी।"
 
"वर्ष 2012 में सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी ठाकुरगंज में अनानास किसानों से मिलने के दौरान कहा था कि जल्द ही यहां फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जाएगा। पर चुनाव जीतने के बाद वही ढाक के तीन पात वाली कहावत देखने को मिलती है। बिहार राज्य के एकमात्र अनानास उत्पादक क्षेत्र किशनगंज जिले के किसान दिन-रात मेहनत कर अनानास की फल को तैयार करते हैं लेकिन किसी भी तरह की सरकारी सहयोग इस क्षेत्र में उपेक्षित हैं।" आगे बिजली सिंह बताते है।
 
अनानास फूड प्रोसेसिंग यूनिट का प्रस्ताव भेजने का निर्देश
 
किशनगंज उद्योग विभाग के निदेशक पंकज दीक्षित बताते हैं कि, "किसानों को अनानास के बाजार मूल्य नहीं मिलने एवं उपयुक्त खपत नहीं होने के कारण काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। बैंक के पदाधिकारी एवं जीविका के प्रबंधक को अनानास से संबंधित फुड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का प्रस्ताव विभाग को भेजने का निर्देश हमने दे दिया है।" गौरतलब हैं कि जीविका की टीम किशनगंज जिले में चाय और अनानास की खेती पर लंबे समय से काम कर रही है। 

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