समर्थन मूल्य से आधे में मक्के की फसल बेचने के मजबूर मध्य प्रदेश के किसान

मध्य प्रदेश के किसानों ने सोयाबीन से निराश होकर मक्के पर दांव लगाया था, लेकिन समर्थन मूल्य न मिलने की वजह से नुकसान झेल रहे हैं

By Shuchita Jha

On: Friday 15 October 2021
 
मध्य प्रदेश में मक्के की फसल की कटाई शुरू हो गई है। फोटो: मुकेश मीणा

“पहले बारिश ने मक्के की फसल खराब की और जो रही बची कसर थी वह मंडी ने पूरी कर दी। फसल की कटाई होने लगी है लेकिन कीमत कम मिलने की वजह से इसे मंडी ले जाने की हिम्मत नहीं हो रही,” यह कहना है मध्य प्रदेश के हरदा जिले के किसान राकेश भावसार का।

“अतिवृष्टि से मक्के की फसल ने दाने काफी कम आए। साथ ही, कीड़े लगने की वजह से भी फसल तबाह हो गई है,” राकेश कहते हैं।

कई आपदा झेलने के बाद भी राकेश के 2.5 एकड़ खेत में 30 क्विंटल मक्का का उत्पादन हुआ। हालांकि, मुसीबत अब भी जाने का नाम नहीं ले रही। अब नई मुसीबत है फसल का सही दाम न मिलना।

“मंडी में फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य से आधा भी नहीं मिल रहा है। इसलिए इसे बेचने की हिम्मत नहीं कर पा रहा हूं,” राकेश ने डाउन टू अर्थ से बातचीत में बताया।

"हमारे यहां 1000 से 1050 में ही मक्के की खरीदी हो रही है। इस तरह मेरी लागत और मजदूरी भी नहीं निकलेगी," उन्होंने कहा।

इस बार किसानों ने काफी मात्रा में मक्का लगाया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में इस वर्ष लगभग 15.150 लाख हेक्टेयर में मक्के की बोनी हुई थी। पिछले पांच वर्ष का औसत रकबा 12.63 लाख हेक्टेयर है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा, लेकिन नहीं होगी सरकारी खरीदी

सरकार ने खरीफ फसल वर्ष 2021-22 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1870 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। सरकार के मुताबिक इस वर्ष मक्के का लागत मूल्य 1246 प्रति क्विंटल है। पिछले साल सरकार ने मक्का का लागत मूल्य 1213 रुपए और न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 निर्धारित किया था।

इस तरह सरकार ने मक्के पर बढ़े हुए लागत को स्वीकारते हुए समर्थन मूल्य भी बढ़ाया है, लेकिन मध्य प्रदेश के किसानों को लागत मूल्य के बराबर भी कीमत नहीं मिल पा रही। प्रदेश में खरीफ सीजन 2021-22 के लिए फसल की सरकारी खरीदी में मक्का शामिल नहीं किया गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर सरकारी खरीदी में मक्के को शामिल करने की अपील की है। उन्होंने पत्र मे लिखा कि सरकारी खरीदी में ज्वार, बाजरा, धान को ही शामिल किया गया है, जबकि मध्य प्रदेश में मुख्य फसल मक्का है। इस वर्ष सोयाबीन के बीज की कमी होने के कारण किसानों द्वारा मक्का की फसल बोई गई है।

नहीं मिल रहा समर्थन मूल्य

मध्य प्रदेश के खरगोन के महेश्वर तहसील के किसान नरेंद्र बरफा को 1521 रुपए क्लिंटल की दर मिली। हालांकि, वे इसे भी घाटे का सौदा बताते हैं। उन्होंने इस वर्ष 8 एकड़ में मक्का लगाया था जिससे 150 क्विंटल की पैदावार हुई है। डाउन टू अर्थ से बातचीत करते हुए नरेंद्र ने कहा, “किसान की कौन सुनता है? पिछले साल भी समर्थन मूल्य से कम में ही मक्का बिका था। हमारे पास मक्का स्टोर करने की जगह नहीं है, इसलिए मजबूरी में औने-पौने दाम में घाटा सहकर इसे बेचना पड़ रहा है,"

सीहोर जिले से मुकेश मीणा बताते हैं कि उन्होंने अपने इलाके में 800 रुपए प्रति क्विंटल में मक्का बिकते देखा है।  

मुकेश बोले ,"मेरी फसल की कटाई चल रही है पर मंडी के दाम देख कर अपने नुक्सान का आंकलन कर रहा हूं। दो एकड़ जमीन पर 25 क्विंटल मक्का हुआ है। इस मूल्य पर बेचना पड़ा तो मुझे मात्र 20,000 रुपए ही मिलेंगे।  इस से ज़्यादा तो मैंने बीज, कीटनाशक, कटाई, बिजली और लेबर पर खर्च कर दिए हैं। एक एकड़  में 15 -16 हज़ार का खर्च आया है। पर मजबूरी है कि दूसरी फसल के लिए खेत तैयार करना है तो काम दाम पर भी बेचना तो पड़ेगा ही,"

किसानों ने मक्का के समर्थन मूल्य के लिए पिछले वर्ष एक महीने तक किसान सत्याग्रह चलाया था। हालांकि, सरकार ने कीमत दिलाने के लिए अबतक कोई प्रयास नहीं किया है।

Subscribe to our daily hindi newsletter