कर्जमाफी की राह ताक रहे हैं झारखंड के 17 लाख किसान

लॉकडाउन की वजह से किसानों को नुकसान हुआ है, जिस वजह से वे कर्ज की किस्त तक नहीं भर रहे हैं

On: Monday 08 June 2020
 
Photo: Sugandh Juneja

आसिफ असरार
 
झारखंड के पलामू जिले के बिलासपुर में रहने वाले किसान रंजीत सिंह ने 52 एकड़ में मसूर दाल, चना,अरहर, राहर और गेंहू की फसल की बुआई की थी। लेकिन बेमौसम बरसात ने उनके फसल को खासा नुकसान पहुंचाया है और रही-सही कसर लॉकडाउन ने पूरी कर दी।
 
वह कहते हैं कि, 'बारिश की वजह से मसूर खेत में ही सड़ गया, चना और राहर के फूल झड़ गए। जो थोड़ा बहुत हुआ वो गेहूं ही हुआ है। बारिश के बाद लॉकडाउन के कारण खेत में फसल की कटाई के लिए मजदूर भी नहीं मिले, जिससे नुकसान का दायरा और बड़ा हो गया। कमाई तो दूर की बात है, आधी लागत भी नहीं निकली।'
 
इस साल रंजीत ने साढ़े तीन लाख रुपए फसलों की बुआई में लगाए थे। लेकिन सिर्फ 70 से 80 हजार रुपए की ही फसल उपज पाया। इस हिसाब से उन्हें करीब ढाई लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। वह आगे कहते हैं कि एक तो हमारे ऊपर पहले से 50 हजार रुपए का कर्ज है। उसके बाद इतना बड़ा नुकसान हम सहन नहीं कर पाएंगे।
 
झारखंड विधानसभा चुनाव के वक्त हेमंत सोरेन और कांग्रेस ने सत्ता में आते ही किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था। लेकिन राज्य में जेएमएम-कांग्रेस सरकार गठन होने के 6-7 महीने के बाद भी झारखंड के 17 लाख किसान कर्जमाफी की राह ताक रहे हैं।
 
किसान क्रेडिट कार्ड के आंकड़ों के मुताबिक झारखंड के 17.84 लाख किसानों पर करीब 7,061 करोड़ रुपए का कर्ज है। इस तरह से देखें तो एक किसान पर औसतन 39,580 रुपए का कर्ज होता है। सरकार ने साल 2020-21 के बजट में 2,000 करोड़ रुपए की किसान ऋण माफी का प्रावधान रखा था, इसके तहत पहले उन किसानों का कर्ज माफ किया जाना है, जिनका 50 हजार या इससे कम कर्ज है। 
 
जो किसान मौसम की मार से बच गए उनकी कमर देशव्यापी तालाबंदी के दरमियां सब्ज़ियों की सही कीमत न मिलने से टूट गई। विश्वनाथ महतो रांची ज़िला के किसान हैं, उनके सिर पर 80 हजार से भी ज्यादा सरकारी कर्ज है। इस बार उन्होंने करीब तीन एकड़ में बींस की खेती की थी। लेकिन बाजार में उन्हें बींस का सही दाम न मिलने पर भारी घाटा हुआ है।
 
वह बताते हैं, 'मैं गेहूं लगाना चाहता था, लेकिन मजदूरों के अभाव को देखते हुए अपने खेत में 45 किलो बींस का बीज डाल दिया। रोपाई, खाद, मजदूर और व्यापारी तक पहुंचाने का भाड़ा जोड़ कर करीब दो लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो गए। लेकिन बाजार में मुझे 10 रुपए प्रति किलो का दाम मिला। जिसके वजह से आधी लागत भी नहीं निकल पाई। इस तरह के नुकसान के बाद कोई कैसे कर्ज चुकाए।'
 
झारखंड राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के मुताबिक राज्य में 39 लाख किसान हैं। इसमें से करीब 18 लाख किसानों को केंद्र सरकार प्रायोजित किसान क्रेडिट कार्ड मिल चुका है। इस हिसाब से अभी भी प्रदेश में लगभग 21 लाख किसान इस योजना के लाभ से महरूम हैं।
 
किसान क्रेडिट कार्ड के नियमों के मुताबिक कर्ज पर सात फीसदी ब्याज चुकाना पड़ता है। अगर किसान कर्ज समय पर चुकाते हैं तो उन्हें तीन फीसदी ब्याज देना पड़ता है, लेकिन आमतौर पर आर्थिक तंगी के कारण किसान समय पर कर्ज की अदायगी नहीं कर पाते हैं।
 
झारखंड में किसानों की कर्ज़माफी के मुद्दे पर कृषि विभाग के सचिव अबु बकर सिद्दीकी कहते हैं कि, यह कह पाना मुश्किल है कि सरकार के द्वारा किए गए कर्जमाफी के प्रावधान से कितने किसानों को लाभ मिलेगा। लेकिन हमने 50 हजार तक के कर्ज वाले किसानों की पहचान के लिए एक कमेटी का गठन किया है। इसके बाद हम बैंकर्स के साथ एक मीटिंग करेंगे, तब जा कर कैबिनेट को एक फाइनल रिपोर्ट सौंपी जाएगी। साथ ही अभी यह भी नहीं कहा जा सकता कि इन सब में कितना समय लगेगा।

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