बिना चर्चा के पारित हुआ कृषि कानूनों को निरस्त करने का विधेयक

दोनों सदनों में बिना चर्चा के कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला विधेयक पारित कर दिया गया

By DTE Staff

On: Monday 29 November 2021
 
21 नवंबर 2021 को संसद में कृषि कानून निरस्त विधेयक 2021 को पारित कर दिया गया। फोटो: विकास चौधरी

तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने का विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया गया। 29 नवंबर 2021 से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन यह प्रस्ताव पारित कर दिया गया। 

कृषि कानून निरस्त विधेयक, 2021 को दोपहर 12.09 बजे लोकसभा में पेश किया गया और दोपहर 12:13 बजे तक पारित कर दिया गया, जबकि विपक्ष ने चर्चा की मांग की थी।

वहीं, राज्यसभा में संक्षिप्त चर्चा के बाद विधेयक को पारित कर दिया गया। सदन में हंगामा भी हुआ, जिसने सितंबर 2020 में बिना किसी उचित चर्चा के विधेयकों को पारित किए जाने की याद दिला दी।

ये तीन कृषि कानून थे: मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता; कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020।

विपक्ष के हंगामे के बीच सदन को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वैधानिक गारंटी पर चर्चा की मांग की गई, जो प्रदर्शनकारी किसानों की प्रमुख मांगों में से एक है।

समाचार एजेंसी एएनआई ने मल्लिकार्जुन खड़गे के हवाले से कहा, "हम कृषि कानून निरस्त विधेयक, 2021 पर चर्चा चाहते हैं। लेकिन लोकसभा में इस विधेयक को जल्दबाजी में पारित कर वे (सरकार) सिर्फ यह साबित करना चाहते हैं कि वे किसानों के पक्ष में हैं।" 

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा: “कृषि विधेयकों को पारित करने के दौरान, पर्याप्त चर्चा हुई थी। आज पूरे विपक्ष ने कानूनों को निरस्त करने की मांग की। लेकिन जब हम कानून निरस्त करने गए तो विपक्ष ने हंगामा किया। मैं विपक्ष से पूछता हूं, उनकी मंशा क्या है"?

एक साल के लंबे विरोध और कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा दिल्ली की सीमाओं पर लगातार धरने के बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को घोषणा की कि उनकी सरकार तीनों कानूनों को रद्द कर देगी

उधर, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि एमएसपी पर चर्चा होने तक किसान धरना स्थल से नहीं हटेंगे।

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