छत्तीसगढ़ में दिखा किसानों के गांव बंद का असर
किसान संगठनों ने 8 जनवरी को गांव बंद का आह्वान किया था, इसका असर केवल छत्तीसगढ़ के गांवों में ही देखने को मिला
On: Wednesday 08 January 2020
देश के किसान और श्रमिक संगठनों ने 8 जनवरी को भारत बंद के साथ गांव बंद का आह्वान किया था। किसानों की लंबित मांगों को लेकर देशभर के 250 किसान संगठनों ने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के बैनर तले इसका आयोजन किया। शहरी इलाके और कस्बों में कई जगह सांकेतिक विरोध प्रदर्शन हुए लेकिन इस बंद का असर गांवों में देखने को नहीं मिला। मध्यप्रदेश के मंडियों में अनाज, सब्जियों की आवक सामान्य रही और बंद का असर दूध के आपूर्ति पर भी देखने को नहीं मिला। छत्तीसगढ़ में दो हजार गांवों में गांव बंद का असर देखने को मिला, जिसमें से कई गांवों में किसान अपनी मांग को लेकर सड़कों पर भी उतरे। डाउन टू अर्थ ने ग्रामीण किसानों से बातचीत की जिससे पता चला कि सुदूर गावों के किसानों को इस बंद के बारे में पता ही नहीं था। कुछ किसानों मौसम में हो रहे बदलाव को देखते हुए अपने रबी फसल की तीमारदारी में लगे रहे।
मध्यप्रदेश के नीमच जिले के भारत राठौर ने बताया कि उन्हें गांव बंद के बारे में पता नहीं चल पाया। वे सुबह सामान्य दिन की तरह अपने लहसुन के खेत का हाल लेने गए। एक दिन पहले तापमान माइनस में होने की वजह से उन्हें खेत में पाला पड़ने की चिंता सता रही है और रात में वे खेत में पानी देने का इंतजाम करने में लगे हैं। वहीं, सीहोर जिले के किसान मुकेश मीणा ने बताया कि खबर में उन्होंने गांव बंद का आह्वान सुना था लेकिन सुबह किसानों ने सब्जियां और फल बाजार पहुंचाए हैं और दूध की सप्लाई भी सामान्य रही। मुकेश पपीपा की खेती करते हैं और वे दिनभर खेत पर ही काम करते रहे। हरदा जिले के किसानों भी खेत पर गेहूं में पानी लगाने में व्यस्त रहे। छतरपुर के किसान देवेंद्र मिश्रा बताते हैं कि उन्होंने अपने गांव में बंद जैसी कोई स्थिति नहीं देखी।
गांव बंद के साथ मजदूर संघों के केंद्रीय संगठनों ने भी केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ भारत बंद का ऐलान किया है। केंद्रीय श्रमिक संगठनों की 12 सूत्रीय प्रमुख मांगों में देश में मजदूरों के लिए लागू हुए नए श्रम कानून को लेकर है और सरकार से उनकी मांग है कि वह इस कानून को वापस ले। इस भारत बंद में 19 केंद्रीय ट्रेड यूनियन शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ के गांव प्रभावित
छत्तीसगढ़ में गांव बंद को जनआंदोलन से जुड़े संस्थाओं का सहयोग भी मिला था। संस्थाओं के बीच समन्वय करने वाले छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में कुछ गांवों में इसका असर देखने को मिला। उन्हें लगभग 2 हजार गावों में इसका असर दिखने की खबर मिली है और एक हजार गांवों में किसानों के सड़क पर उतरने की भी खबर है। वे बताते हैं कि दुर्ग में किसानों ने सड़कों पर आकर मजदूर संगठनों के साथ नारे लगाए। धमतरी में किसानों ने गिरफ्तारी भी दी है।