सेबों को ओलों से बचाने पर 50 करोड़ रुपए खर्च करेगी हिमाचल सरकार

बेमौसमी ओलावृष्टि से हिमाचल के सेब किसानों को हर साल काफी नुकसान हो जाता है

By rohitsinghprashar@gmail.com

On: Friday 06 March 2020
 

ओलावृष्टि से बचाने के लिए सेब किसान इस तरह के हेलनेट लगाते हैं। फोटो: रोहित पराशर

रोहित पराशर

फलों की टोकरी कहे जाने वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के सेब और अन्य फलों को ओलों से बचाने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने एंटी हेलनेट की खरीद पर 50 फीसदी की सब्सिडी देने का निर्णय लिया है। 6 मार्च को हिमाचल सरकार के बजट में कृषि उत्पाद संरक्षण (एंटी हेलनेट) योजना की शुरूआत करने की घोषणा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने की है।

इस योजना के तहत फलों को ओलों से बचाने के लिए एंटी हेलनेट की खरीद के साथ उसे लगाने के लिए बांस या स्टील के स्थाई स्ट्रक्चर को बनाने के लिए किसान-बागवानों को 50 फीसदी का अनुदान दिया जाएगा। इस योजना के कार्यान्वन के लिए मुख्यमंत्री ने इसके लिए 50 करोड़ रूपये के बजट का प्रावधान किया है।

गौरतलब है कि कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यतः पांच जिलों में सेब बागवानी बड़ी तेजी से बढ़ रही है और वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में सेब बागवानी का चार हजार करोड़ रुपए का कारोबार है। बागवानी विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस साल हिमाचल में सेब की 4 करोड़ पेटियों का उत्पादन होने का अनुमान लगाया जाता है, जबकि ओलों के कारण हर साल सेब किसानों को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है। वर्ष 2019 में 2.75 करोड़ सेब की पेटियों का उप्तादन हुआ है, जबकि वर्ष 2017 में ये 1.73 करोड और 2018 में 1.42 करोड़ सेब की पेटियों का उत्पादन हुआ है।

इसके अलावा बजट में सेब की स्टोरेज क्षमता को बढ़ाने के लिए बागवानी विकास परियोजना के तहत तीन कोल्ड स्टोर गुम्मा, जरोल टिक्कर और रोहडू को 2000 टने से बढ़ाकर 5700 टन करने का दावा गया है। सेब के साथ हिमाचल के बागवानों में अब चैरी की भी अहम भूमिका है। चैरी के लिए हाईड्रोकूलिंग की व्यवस्था करने के लिए पहली बार जरोल में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। यदि कोई  बागवान 1 हजार सेब की पेटी का उत्पादन करता है तो उसे अपने बगीचे को ओलों से बचाने के लिए लगभग 2 लाख रूपये के एंटी हेलनेट लगाने का खर्च उठाना पड़ता है। ऐसे में सरकार की ओर से शुरू की गई इस योजना से किसान-बागवानो को बहुत लाभ पहुंचेगा।

यंग एडं यूनाइटेड ग्रोवर ऐसोसिएशन हिमाचल प्रदेश के सचिव और प्रगतिशिल किसान प्रशांत सेहटा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में ओलावृष्टि से सबसे अधिक नुकसान सेब को होता है। ऐसे में सरकार की ओर से कृषि उत्पाद सरंक्षण योजना बहुत लाभदायक सिद्ध होगी। लेकिन इस योजना के तहत बजट का बहुत ही कम प्रावधान किया गया है। सेब बागवानों की सुविधा के लिए इसमें और अधिक वृद्धी करने की जरूरत है।

बागवानी विकास अधिकारी डाॅ किशोर शर्मा का कहना है कि सेब के पौधों पर ओलों का बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है, सेब के पौधों को फ्लावरिंग स्टेज से लेकर हार्वेस्टिंग स्टेज तक ओलों से बचाने के लिए केवल एंटी हेलनेट से ही बचाया जा सकता है। ऐसे में सरकार की ओर से शुरू की गई इस योजना से फल उत्पादकों को बहुत लाभ मिलेगा।

इसके अलावा बजट में हिमाचल प्रदेश के हरित क्षेत्र को वर्ष 2030 तक 27.72 फीसदी बढ़ाकर 30 फीसदी तक करने के लिए पौधरोपण कार्यक्रम चलाने की बात कही गई है। वहीं, पिछले साल के मुकाबले कृषि में सिंचाई की व्यवस्था के लिए दिए जाने वाले बजट में 136 करोड़ रूपये की कटौती की गई है।

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