कर्ज में डूबा ग्रामीण भारत : 50 फीसदी से अधिक कृषि परिवारों पर कर्ज का भार

औसत बकाया ऋण के मामले में कुल 28 राज्यों में आंध्र प्रदेश (एपी) पर सबसे अधिक औसत बकाया 2.45 लाख रुपये का ऋण था।

By Shagun

On: Saturday 11 September 2021
 

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण में जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि  2019 में 50 प्रतिशत से अधिक कृषि परिवार कर्ज में थे और प्रत्येक कृषि परिवार पर बकाया ऋण की औसत राशि 74,121 रुपये थी। 

10 सितंबर को एनएसओ की ओर से जारी 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019' के निष्कर्ष में यह बात कही गई है। रिपोर्ट का निष्कर्ष 1 जनवरी, 2019 से 31 दिसंबर, 2019 के बीच किए गए एनएसओ के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित हैं। इस अवधि के दौरान 45000 से अधिक कृषि परिवारों का सर्वेक्षण किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक छह साल पहले 2013 में पेश किए गए सर्वेक्षण की तुलना में कर्ज में डूबे परिवारों का प्रतिशत 51.9 फीसदी से थोड़ा कम हुआ है वहीं, प्रत्येक कृषि परिवार ऋण की औसत राशि में 57 फीसदी की वृद्धि हुई है। छह साल पहले (2013) में औसत कर्ज 47,000 रुपये था।

औसत बकाया ऋण के मामले में कुल 28 राज्यों में आंध्र प्रदेश (एपी) पर सबसे अधिक औसत बकाया 2.45 लाख रुपये का ऋण था। इसके अलावा कर्ज में डूबे कृषि परिवारों के मामले में भी यह राज्य शीर्उष (93.2 प्रतिशत) था। आंध्र प्रदेश के बाद कर्ड में डूबे कृषि परिवारों के मामले में  तेलंगाना (91.7 प्रतिशत) और केरल (69.9 प्रतिशत) का स्थान है।

कम से कम 11 राज्यों में कृषि परिवारों का बकाया ऋण राष्ट्रीय औसत 74,121 रुपये से अधिक है। इनमें से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, केरल, राजस्थान और तमिलनाडु के पास 1 लाख रुपये से अधिक की ऋण राशि थी।

एनएसओ के 77वें सर्वेक्षण में कृषि वर्ष जुलाई 2018 - जून 2019 के दो हिस्सों की प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सैंपल हाउसहोल्ड के एक ही सेट से दो यात्राओं में जानकारी एकत्र की गई थी। पहली यात्रा जनवरी-अगस्त 2019 के दौरान और दूसरी सितंबर-दिसंबर 2019 के दौरान की गई।

सर्वेक्षण के लिए एक कृषि परिवार को कृषि गतिविधियों से उपज के मूल्य के रूप में 4000 रुपये से अधिक प्राप्त करने वाले परिवार के रूप में परिभाषित किया गया था (उदाहरण के लिए, खेत की फसलों की खेती, बागवानी फसलों, चारा फसलों, वृक्षारोपण, पशुपालन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, सुअर पालन , मधुमक्खी पालन, वर्मीकल्चर, सेरीकल्चर, आदि) और पिछले 365 दिनों के दौरान कृषि में कम से कम एक सदस्य स्व-नियोजित या तो प्रमुख स्थिति में या सहायक स्थिति में रहा हो।

रिपोर्ट के मुताबिक कृषि परिवारों की औसत आय 2013 में 6,426 रुपये से बढ़कर 2019 में 10,218 रुपये हो गई। कुल औसत आय में सबसे अधिक हिस्सा 4,063 रुपये की मजदूरी से आय का था।सर्वेक्षण के अनुसार कृषि वर्ष जुलाई 2018-जून 2019 के दौरान अनुमानित कृषि परिवारों की संख्या 9.3 करोड़ (93.09 मिलियन) थी।

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