2022-23 के लिए खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित, धान 2040 रुपए और 6600 प्रति कुंतल में बिकेगी अरहर
फसलों में विविधता के लिए दलहन-तिलहन में भी एमएसपी की दरों को बढाया गया है।
On: Wednesday 08 June 2022
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की खत्म होने वाले कानून को वापस लेने के बाद केंद्र सरकार ने 8 जून, 2022 को खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 के लिए कुल 14 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने 08 जून को नई दरों की सूची जारी की। इस बार खरीफ फसलों में जहां धान पर बीते वर्ष 72 रुपए के मुकाबले 100 रुपए प्रति कुंतल की बढोत्तरी की वहीं, इस बार दलहन और तिहलन में भी दरें बढाई गई हैं।
सरकार ने अपने जारी बयान में कहा है कि नई दरें सिर्फ किसानों को लाभकारी मूल्य देने के लिए ही नहीं बल्कि फसलों की विविधता बढाने के लिए भी मददगार होंगी। (नीचे सारिणी में देखें नई एमएसपी दरें)
विपणन वर्ष 2022-23 के लिए खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य
फसल |
फसल उत्पादन की लागत 2022-23 में |
एमएसपी 2022-23 खरीफ की घोषित ताजा दरें (रुपए प्रति कुंतल) | बीते वर्ष 2021-22 खरीफ एमएसपी की दरें (रुपए प्रति कुंतल) | इस बार एमएसपी में बढ़त कुल रुपए प्रति कुंतल | फसल में लाभ प्रतिशत में |
धान सामान्य | 1360 | 2040 | 1940 | 100 | 50 |
धान ग्रेड ए | 1360 | 2060 | 1960 | 100 | 50 |
ज्वार हाइब्रिड | 1977 | 2970 | 2738 | 232 | 50 |
ज्वार (मालडंडी) | 1977 | 2990 | 2758 | 232 | 50 |
बाजरा | 1268 | 2350 | 2250 | 100 | 85 |
रागी | 2385 | 3578 | 3377 | 201 | 50 |
मक्का | 1308 | 1962 | 1870 | 92 | 50 |
तुअर (अरहर) | 4131 | 6600 | 6300 | 300 | 60 |
मूंग | 5167 | 7755 | 7275 | 480 | 50 |
उड़द | 4155 | 6600 | 6300 | 300 | 59 |
मूंगफली | 3873 | 5850 | 5550 | 300 | 51 |
सूरजमुखी | 4113 | 6400 | 6015 | 385 | 56 |
सोयाबीन (पीली) | 2805 | 4300 | 3950 | 350 | 53 |
तिल | 5220 | 7830 | 7307 | 523 | 50 |
नाइजरसीड | 4858 | 7287 | 6930 | 357 | 50 |
कॉटन (मीडियम स्टेपल) | 4053 | 6080 | 5726 | 354 | 50 |
कॉटन (लांग स्टेपल) | 4053 | 6380 | 6025 | 355 | 50 |
जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि एमएसपी की नई दरें 2018-19 के बजट घोषणाओं के अनुरूप हैं जिसमें तय किया गया था कि किसानों को उनकी लागत का कम से कम 50 फीसदी रिटर्न हासिल हो। इसलिए धान समेत दलहन और तिलहन में रिटर्न 50 से लेकर 85 फीसदी तक तय की गई है। कई वर्षों से तिलहन, दलहन और मोटे अनाजों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ताकि मांग-आपूर्ति में व्यवधान न हो।