लॉकडाउन के कारण हरियाणा के 92,734 किसानों को मुआवजे का इंतजार

ओलावृष्टि से हुए नुकसान के बाद सरकार ने मुआवजे का ऐलान किया था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से सर्वे तक नहीं हो पाया है

By Shahnawaz Alam

On: Tuesday 14 April 2020
 
File Photo: Agnimirh Basu

कैथल के गांव फरल के किसान गुणी प्रकाश ने 12 एकड़ में गेंहू की बिजाई की थी। मार्च महीने में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं को नुकसान हो गया। करीब 70 फीसदी गेहूं की फसल खराब हो गई। उस समय प्रदेश के मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल ने हर मंच से कहा कि किसानों को बेमौसमी बारिश से हुए नुकसान का मुआवाजा मिलेगा। दो मार्च को विधानसभा सत्र में जल्‍द गिरदावरी कर मुआवजा देने की बात कही, लेकिन इसी बीच देश में कोरोनावायरस के बढ़ते दायरे के कारण 25 मार्च से देश में लॉकडाउन हो गया। पूरा सरकारी अमला कोरोना संक्रमण को कम करने और राहत पहुंचाने में लगे होने की बात कहकर अब किसानों की तरफ से मुंह मोड़ लिया है।

गुणी प्रकाश कहते है, अब तक तो उनके खेत का सर्वे भी नहीं हुआ तो मुआवजे की रकम कब तय होगी पता नहीं। मुआवजा मिलेगा या नहीं, पता नहीं। कोई कुछ नहीं बताता। व्‍यवस्‍था पर सवाल उठाते हुए कहते है, अब तो बची फसल कटने को है। फसल कट जाएगी तो सर्वे वाले आकर भी क्‍या देखेंगे। अब तो मुआवजा मिलने की उम्‍मीद भी नहीं है।

हरियाणा सरकार ने बीते वर्ष ओलावृष्टि से फसल को नुकसान होने पर प्रति एकड़ 12 हजार रुपये मुआवजा देने की बात कही थी, लेकिन अब किसानों को महज कोरा ऐलान लगता है। खुद हरियाणा सरकार के आंकड़े कहते हैं कि मुआवजे के ऐलान के बाद हिसार से 24007, महेंद्रगढ़ से 16749, भिवानी से 11661, फतेहाबाद से 6532, चरखी दादरी से 6375, पलवल से 4783, रोहतक से 2700, सोनीपत से 4465, कुरुक्षेत्र से 3868, जींद से 2520, करनाल से 2090 साहित प्रदेशभर से 92734 किसानों ने आवेदन किया है। जबकि कृषि विभाग की ओर से 22 मार्च तक महज 4425 किसानों के खेतों का सर्वे हुआ है। यानी चार फीसदी किसानों के खेतों तक जांच के लिए गठित टीमें पहुंची है।

27 मार्च को हरियाणा सरकार के ओलावृष्टि से हुए फसल मुआवजे के लिए आवश्‍यक सेवा मानते हुए टाइम बाउंड सर्कुलर जारी किया, लेकिन अब तक यह कागजों में सिमटा हुआ है। कृषि विभाग के एक अधिकारी का कहना है, लॉकडाउन की वजह से दिक्‍कत आ रही है। सर्वे के दौरान न तो बीमा कंपनियों का स्टाफ फील्ड में पहुंच पा रहा है और न ही किसान। कई गांव में तो बाहरी लोगों की एंट्री पर मनाही है, नहीं आने के बोर्ड तक लगा दिए गए हैं। इस वजह से अब तक सर्वे का काम अटका हुआ है।

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्‍यक्ष गुरणाम सिंह कहते है, सरकार ने किसानों को मुआवजा देने में भी कई पेंच लगा दिए हैं। क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट, क्रॉप बुकिंग और स्थानीय सर्वे यानी तीन चरणों में बांट क‍र उलझा दिया है। अभी लॉकडाउन की बहाना बनाकर सर्वे नहीं कर रहे है और आगे जो स्थिति दिख रही है, उसमें तो किसानों को मुआवजा मिलना ही मुश्किल है। सभी इंडस्‍ट्री को राहत पैकेज मिल रहा है, हमें तो मुआवजा भी नहीं मिल रहा।

किसानों का कहना है, सरकार इस सर्वे को ड्रोन के माध्यम से करवाएं या जिन किसानों ने फसल मुआवजे के लिए आवेदन किया है, उन किसानों को सरकार तुरंत प्रभाव से मुआवजा दें। कोई भी किसान संकट की इस घड़ी में मुआवजे के नाम पर झूठ नहीं बोलेगा।

इस मसले पर कृषि विभाग के अतिरिक्‍त मुख्‍य सचिव संजीव कौशल से संपर्क किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उनके दफ्तर से मिली जानकारी के मुताबिक, बारिश के कारण खराब हुई फसल के कृषि विभाग के कार्यालय में फार्म जमा करवाए गए थे। फार्म की जांच के आधार पर गठित टीम जिलेभर के गांव-गांव जाकर सर्वेक्षण कर रही है। टीम में कृषि विभाग से एक अधिकारी, इंश्योरेंस पॉलिसी कंपनी का एक अधिकारी व पटवारी शामिल है।

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