खरपतवार नाशकों के उपयोग से बढ़ रहा है मिट्टी में एंटीबायोटिक प्रतिरोध: अध्ययन

वैज्ञानिकों ने मिट्टी के जीवाणुओं पर ग्लाइफोसेट, ग्लूफ़ोसिनेट और डाइकाम्बा नामक तीन व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले खरपतवार नाशकों के प्रभाव का अध्ययन किया।

By Dayanidhi

On: Wednesday 17 February 2021
 

यॉर्क विश्वविद्यालय के एक नए अध्ययन से पता चला है कि खरपतवार नाशकों का उपयोग मिट्टी में एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवाणुओं के प्रसार को बढ़ा सकता है।

खरपतवार नाशक (हर्बिसाइड्स)  खेती  में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों में से एक हैं। इनका उपयोग खरपतवारों को नष्ट करने के लिए किया जाता है। वे मिट्टी के सूक्ष्म जीवों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जैसे कि बैक्टीरिया और कवक, संभवतः ये सूक्ष्मजीवों के पारिस्थितिक गुणों को बदलते हैं।

चीन और यूके के वैज्ञानिकों ने मिट्टी के जीवाणुओं पर ग्लाइफोसेट, ग्लूफ़ोसिनेट और डाइकाम्बा नामक तीन व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले खरपतवार नाशकों के प्रभाव का अध्ययन किया।

मिट्टी के सूक्ष्मजीवों का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने पाया कि खरपतवार नाशकों ने एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन ले जाने वाले बैक्टीरिया प्रजातियों में बहुत अधिक वृद्धि की। ऐसा इसलिए था क्योंकि खरपतवार नाशक की उपस्थिति में वृद्धि को सुधारने वाले उत्परिवर्तन ने एंटीबायोटिक दवाओं के लिए बैक्टीरिया की सहनशीलता भी बढ़ा दी थी। खरपतवार नाशक के संपर्क में आने से बैक्टीरिया के बीच एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन के लगातार अधिक गतिविधि के कारण ऐसा हुआ।

इसी तरह के स्वरूप चीन के 11 कृषि क्षेत्रों में पाए गए जहां खरपतवार नाशक के उपयोग और मिट्टी में इसके अवशेष, एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीनों के बढ़े हुए स्तर से जुड़े थे।

जीव विज्ञान विभाग के डॉ. विले फ्रिमन ने कहा हमारे परिणामों से पता चलता है कि खरपतवार नाशकों का उपयोग अप्रत्यक्ष रूप से कृषि की जाने वाली मिट्टी के सूक्ष्मजीवों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के विकास को बढ़ा सकता है, जो बार-बार खरपतवार नियंत्रण के दौरान खरपतवार नाशकों के संपर्क में आते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन खरपतवार नाशक की मात्रा अधिक होने पर और अधिक बढ़ रहे थे जो बैक्टीरिया के लिए घातक नहीं थे। इससे पता चलता है कि पहले से ही बहुत कम स्तर के खरपतवार नाशक से मिट्टी की जीवाणु आबादी की आनुवंशिक संरचना में काफी बदलाव आ सकता है। इस तरह के प्रभाव वर्तमान में पारिस्थितिक स्वास्थ्य संबंधी खतरों में शामिल नहीं हो पाते हैं।

जबकि एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन हानिकारक नहीं हैं, वे नैदानिक उपचार के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं के प्रभाव को कम कर देते है। इसलिए प्रतिरोध जीन की आवृत्ति कम रखना एंटीबायोटिक दवाओं की लंबे प्रभाव को बनाए रख सकता है। चूंकि प्रतिरोध जीन वातावरण में आसानी से जा सकते हैं, इसलिए दुनिया भर में कृषि क्षेत्र प्रतिरोध जीन के लिए महत्वपूर्ण स्रोत हो सकते हैं। यह अध्ययन मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एंड एवलूशन में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है कि सूक्ष्मजीवों (माइक्रोबियल) पर इन खरपतवार नाशकों की मात्रा के प्रभावों का एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन की व्यापकता के लिए जुड़े खतरों को पूरी तरह से समझने के लिए पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

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