कोरोना संक्रमण : बर्बाद हो रहे अंगूर किसान, 17 हजार करोड़ रुपए नुकसान के आसार

अंगूर पैदा करने वाले किसानों के लिए 15 मार्च से 15 अप्रैल की अवधि बेहद खास होती है

By Vivek Mishra

On: Thursday 26 March 2020
 
Photo: needpix12jav.net

 

कोरोनावायरस संक्रमण से बचाव के लिए देश लॉकडाउन में है लेकिन यह समय किसानों पर बेहद भारी बीत रहा है। देश का सबसे बड़ा अंगूर उत्पादक महाराष्ट्र का किसान इन दिनों परेशान है। अंगूर पैदा करने वाले किसानों के लिए 15 मार्च से 15 अप्रैल की अवधि बेहद खास होती है। अंगूर की हार्वेस्टिंग के लिए यह पीक अवधि है।  किसी भी हाल में उन्हें अपने खेतों को खाली करना है। उनका साथ निभाने के लिए लॉक डाउन व पुलिस से भय होने के कारण ट्रांसपोर्ट ठप हैं। किसानों की पैदावार बागों में ही बर्बाद हो रही है। महाराष्ट्र के नासिक में अंगूर किसान इस अवधि में शुरुआती करीब 17 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन कर रहे हैं।

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष और कृषि आर्थिक समिति से जुड़े शंकर दरेकर ने डाउन टू अर्थ से कहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते खूब असमय वर्षा हुई है और पहले ही उत्पादन में करीब 30 से 40 फीसदी का नुकसान था। अब कोरोना संक्रमण के फैलाव और भय के बाद अंगूर की सप्लाई नहीं हो पा रही है। मांग सुस्त होने के कारण बाजार भाव भी निचले स्तर पर हैं। हमें इस बंदी से करीब 30 फीसदी नुकसान उठाना पड़ रहा है। भाव न होने के कारण इस बार लागत निकालना भी मुश्किल होगा। हम लोग इस वक्त मजदूरों की अनुपस्थिति में खुद ही ट्रकों में माल लोडिंग के लिए तैयार हैं लेकिन ट्रांसपोर्ट तैयार नहीं हो रहे।  हमारी खेती अगले पांच साल के लिए बर्बाद हो गई है।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस वक्त देश में 2017-18 के दौरान कुल अंगूर का उत्पादन 29.20 लाख टन हुआ। इसमें महाराष्ट्र में 1.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर 22.86 लाख टन उत्पादन हुआ। इसके अलावा दूसरे स्थान पर सर्वाधिक कर्नाटक में 5.24 लाख टन अंगूर उत्पादन हुआ। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवांस्ड मल्टीडिस्पलिनरी रिसर्च (2016) में प्रकाशित शोध पत्र के मुताबिक पश्चिमी महाराष्ट्र में नाशिक, पुणे, कोल्हापुर और मराठवाड़ा में औरंगाबाद व  लातूर जिले में अंगूर की खेती होती है।

शंकर दरेकर ने बताया कि उनके पास पांच एकड़ अंगूर की खेती है। एक एकड़ में अंगूर के लिए करीब 1.5 लाख रुपये की लागत लगी है। वहीं, एक एकड़ में 10 से 12 टन अंगूर तैयार हुआ है। मौजूदा हालत मे करीब तीन टन अंगूर बर्बाद हो जाएगा। प्रति एकड़ में करीब 9 टन अंगूर मेरे पास बिक्री के लिए बचेगा। अंगूर का नुकसान हो जाने से अब मेरी प्रति किलो अंगूर की लागत 20 रुपये से बढ़कर करीब 32 रुपये प्रति किलो हो रही है। प्रति किलो 12 रुपये का नुकसान हो चुका है। मुंबई और गुजरात की लोकल मंडी में हमें 32 रुपये प्रति किलो जबकि दिल्ली, हरियाणा से 40 से 45 रुपये और कोलकाता व वाराणसी में 50 रुपये प्रति किलो का दाम मिलता है। ऐसे में ट्रांसपोर्ट ठप होने के कारण दूर का माल तो अब जाएगा नहीं। स्थानीय मंडियों तक अंगूर पहुंचने में भी देरी हो रही है।

महाराष्ट्र में स्वाभिमान मंच के किसान नेता राजू शेट्टी ने डाउन टू अर्थ से कहा कि अंगूर किसान बेहतर दाम के लिए दूर-दराज के राज्यों को अंगूर पहुंचाते रहे हैं। सांगली में अंगूर किसान परेशान हैं। एक किसान का दो ट्रक लोड किया गया अंगूर चेन्नई तक जाना है लेकिन प्रशासन ने इजाजत नहीं दिया है। किसान पुलिस से काफी भयभीत है। गुड़ी पड़वा जैसे पर्व पर भी किसान अपने खेतों में नहीं जा सके। उन्हें जून की नई फसल के लिए अभी खाद-दवा आदि के छिड़काव के लिए काफी काम करने हैं। ऐसे में जरूरी है कि किसानों को उनके खेतों तक जाने और उन्हें सहयोग का आश्वासन दिया जाए। क्योंकि किसान पूरी तरह लोगों पर निर्भर है। वह अपनी पूरी पूंजी निवेश कर चुका है ऐसे में कुछ न मिलने की हताशा उसे ज्यादा परेशान कर रही है।

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