स्थानीय आंकड़ों के सही उपयोग से कई गुणा बढ़ सकती है फसल की पैदावार

शोध के मुताबिक मौसम, मिट्टी और फसल प्रबंधन संबंधी स्थानीय आंकड़ों के सही से उपयोग करने से पैदावार बढ़ाने संबंधी चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है।

By Dayanidhi

On: Tuesday 19 October 2021
 
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स

खाद्य सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों और बनाई गई नीतियों के आधार पर मौजूदा फसल उगाने वाली भूमि पर उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है। जंगलों, आर्द्रभूमि और सवाना जैसे प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों पर अतिक्रमण किए बिना मौजूदा फसल उगाने वाली भूमि यानी खेतों पर भोजन की मांग को पूरा करना वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।

इस चुनौती को पूरा करने के लिए कृषि अनुसंधान और विकास (एआर एंड डी) पर कहां सबसे अच्छा निवेश किया जाए इस बारे में जानकारी की आवश्यकता है। इस बात का पता लगाया जाए कि वर्तमान खेती वाले क्षेत्र में फसल की पैदावार बढ़ाने के सबसे बड़े अवसर कहां मौजूद हैं।

संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों, सरकारों और व्यवसायों द्वारा अपनाई गई खाद्य सुरक्षा नीतियां कुछ हद तक वैश्विक मॉडलों पर निर्भर करती हैं जो कि वर्तमान और संभावित फसल पैदावार का आकलन करती हैं। अब वैगनिंगन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च (डब्ल्यूयूआर) और नेब्रास्का-लिंकन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इन वैश्विक टॉप-डाउन मॉडल में कुछ कमियां हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि मॉडल मौसम, मिट्टी और फसलों के संबंध में अनुमानित आंकड़ों पर बहुत अधिक भरोसा करते हैं और जिनमें स्थानीय आंकड़ों का उपयोग बहुत कम होता है। शोधकर्ता स्थानीय रूप से एकत्र किए गए आंकड़ों के संरचनात्मक प्रयोग के माध्यम से और स्थानीय प्रयोगों के साथ मॉडल का अधिक नियमित रूप से परीक्षण करके इन अनुमानों में सुधार करने का सुझाव देते हैं।

इस शोध में शोधकर्ताओं ने अपने स्वयं के नीचे से ऊपर की ओर (बॉटम-अप) वाले दृष्टिकोण में वैश्विक फसल के अंतर वाले एटलस (यील्ड गैप) के साथ आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले टॉप-डाउन मॉडल जिसे वैश्विक कृषि-पारिस्थितिकी क्षेत्र और कृषि मॉडल इंटर कंपैरिजन एंड इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट कहते है, की क्षमता की तुलना की है।  

कम अनुमान

सह-शोधकर्ता प्रोफेसर मार्टिन वैन इटर्सम कहते हैं कि संयुक्त राज्य या पूरे महाद्वीप जैसे बड़े देश के लिए वैश्विक टॉप-डाउन मॉडल द्वारा प्रदान किए गए अनुमान हमेशा तो नहीं लेकिन अक्सर सटीक होते हैं। लेकिन जब आप विशिष्ट क्षेत्रों या छोटे देशों को देखते हैं, तो परिणाम विश्वास करने लायक नहीं होते हैं। वास्तव में, किसी देश के लिए अनुमानित कृषि उत्पादन अक्सर पिछले वर्षों में प्राप्त वास्तविक उत्पाद से कम होता है।

उदाहरण के तौर पर, एशिया में चावल के लिए वैश्विक मॉडल और उप-सहारा अफ्रीका में मक्का के परिणामों की ओर इशारा करते हैं तो एशिया में चावल के लिए, टॉप-डाउन मॉडल द्वारा किए गए संभावित उपज का अनुमान व्यवस्थित रूप से बहुत कम होता है, जबकि मॉडल उप-सहारा अफ्रीका में मक्के के लिए अधिक और कम संभावित उपज वाले देशों के बीच सही अंतर नहीं बता सकते हैं।

सही आंकड़ों का अभाव और परीक्षण की कमी

टॉप-डाउन मॉडल में कमियां डेटाबेस के आंकड़ों का सही न होने या ब्रॉड-ब्रश दृष्टिकोण अपनाने के कारण होती हैं। इस तरह के आंकड़े और उनसे निकले परिणाम मौसम के आंकड़ों या फसल कैलेंडर के बारे में धारणाओं पर आधारित होते हैं। उदाहरण के लिए वे हमेशा इस बात का सही अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि किसी विशेष क्षेत्र में फसल कब बोई और काटी जाएगी। वैश्विक अध्ययन भी फसलों की एक विस्तृत श्रृंखला और पूरी दुनिया के लिए एकल मॉडल का उपयोग करते हैं, भले ही मॉडल को स्थानीय स्तर पर अच्छी तरह से प्रयोग करके परीक्षण किया गया हो या नहीं।

वैन इटरसम कहते हैं इसलिए किसी विशेष क्षेत्र में संभावित फसल की पैदावार वास्तव में टॉप-डाउन मॉडल में किए गए अनुमानों की तुलना में कई फीसदी अधिक हो सकती है। निवेशक, बीज उत्पादक और अन्य हितधारक इन मॉडलों के आधार पर आंशिक रूप से निर्णय लेते हैं, इसलिए वहां इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। हम अफ्रीका या दुनिया के अन्य हिस्सों में खाद्य सुरक्षा में सुधार के अपने प्रयासों में गलत निर्णय लेने का खतरा नहीं उठा सकते हैं। क्योंकि हम उन प्रयासों के रूप में भूमि और पानी जैसे दुर्लभ संसाधनों का उपयोग करते हैं।

स्थानीय आंकड़ों का उपयोग

शोधकर्ताओं के अनुसार, दुनिया भर में किए गए अध्ययनों में स्थानीय आंकड़ों का संरचनात्मक उपयोग करके समस्या का समाधान किया जा सकता है। यह स्थानीय आंकड़े जिसमें मौसम, मिट्टी और फसल प्रबंधन आदि शामिल हैं। सिमुलेशन पहले से ही उपलब्ध हैं, 2011 से ग्लोबल यील्ड गैप एटलस प्रोजेक्ट (जीवाईजीए) में व्यवस्थित रूप से दर्ज किए गए हैं, जिसे वैन इटरसम द्वारा प्रबंधित किया गया है। यह शोध नेचर फूड में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि हमने इस परियोजना को नेब्रास्का-लिंकन विश्वविद्यालय के साथ मिलकर शुरू किया था क्योंकि हमने पाया कि विशिष्ट देशों और क्षेत्रों के लिए वैश्विक मॉडल अक्सर काफी गलत पाए गए थे। अब हम स्थानीय विशेषज्ञों की मदद से लगभग 70 देशों के लिए उच्च-गुणवत्ता और स्थानीय रूप से प्रासंगिक आंकड़े जमा करने में सक्षम हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि अब हम जानते हैं कि दुनिया के 80 फीसदी सतह क्षेत्र पर कुछ प्रमुख कृषि फसलों के उपज में क्या अंतर है। बॉटम-अप दृष्टिकोण बहुत मांग वाला है, लेकिन यह इस मुद्दे पर काम करने वाले नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण जानकारी उत्पन्न करता है। इसके उपयोग से भविष्य में विभिन्न देश और महाद्वीप में खुद की खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने में किस तरह सक्षम होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

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