अच्छी बारिश बाद में निकली खराब, फसलों के उत्पादन में कमी का अनुमान

एनबीएचसी ने खरीफ सीजन की फसलों के उत्पादन का पहला अनुमान जारी किया है, जो बताता है कि अच्छी बुवाई के बावजूद पिछले साल के मुकाबले उत्पादन कम रह सकता है

By Raju Sajwan

On: Thursday 22 October 2020
 
अगस्त-सितंबर में हुई भारी बारिश के कारण कई राज्यों में फसलों को नुकसान पहुंचा है। फोटो: श्रीकांत चौधरी

खरीफ सीजन की बुवाई के समय हुई ‘अच्छी’ बारिश से यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि इस बार अच्छी फसल होगी, लेकिन जब फसल पकने लगी या पक कर तैयार हुई, उस समय हुई बेमौसमी बारिश ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया। खरीफ सीजन 2020-21 का पहला अनुमान बताता है कि ज्यादातर फसलों का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले कम हो रह सकता है। यह अनुमान नेशनल बल्क होल्डिंग कॉरपोरेशन (एनबीएचसी) ने जारी किए हैं। हालांकि 23 सितंबर 2020 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े इससे अलग है। मंत्रालय ने खरीफ सीजन 2020-21 के पहले अग्रिम अनुमान में फसलों के उत्पादन में वृद्धि का दावा किया था। 

एनबीएचसी की यह रिपोर्ट बताती है कि पिछले सीजन के मुकाबले इस सीजन में धान के बुवाई क्षेत्र में लगभग 6.74 प्रतिशत वृद्धि हुई, लेकिन उत्पादन में 2.20 प्रतिशत की कमी रह सकती है। पिछले सीजन में 382.3 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई की गई थी, लेकिन खरीफ सीजन 2020-21 में 408.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की बुवाई की गई। जहां तक उत्पादन की बात है तो 2018-19 में 10.204 करोड़ टन चावल उत्पादन हुआ था, जबकि 2019-20 में 10.198 करोड़ टन चावल उत्पादन हुआ। इस सीजन में यह घटकर 9.974 करोड़ टन रह सकता है। दिलचस्प बात यह है कि सितंबर में केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी अग्रिम अनुमान में कहा गया था कि इस साल 10.236 करोड़ टन चावल उत्पादन का दावा किया किया गया था।

कहीं ज्यादा तो कहीं कम हुई बारिश

एनबीएचसी की रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त सितंबर में हुई भारी बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचा है। साल 2020-21 के मानसून सीजन में देश भर में सामान्य से 109 फीसदी अधिक बारिश हुई। चार में से तीन महीने सामान्य से अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। जून में सामान्य से 118 प्रतिशत, अगस्त में 127 फीसदी और सितंबर में 104 फीसदी अधिक बारिश हुई, जबकि जुलाई में सामान्य से कम बारिश हुई। अगर क्षेत्रवार देखें तो पूर्वी, उत्तर पूर्वी, मध्य भारत और दक्षिण भारत में सामान्य से अधिक बारिश हुई, जबकि उत्तर पश्चिम भारत में कम बारिश हुई। अच्छी बारिश को देखते हुए इस बार खरीफ की बुवाई भी अधिक हुई। जहां पिछले साल देश में 1085.65 लाख हेक्टेयर में खरीफ की फसलों की बुवाई थी, इस साल यह बढ़ कर 1095.37 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई।

19 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश हुई, जबकि नौ राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश हुई, इनमें बिहार, गुजरात, मेघालय, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और लक्षद्वीप समूह शामिल हैं। सिक्किम में बहुत ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई। जबकि नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर में सामान्य से कम बारिश हुई। लद्दाख में बहुत कम बारिश रिकॉर्ड की गई। दिल्ली में काफी कम बारिश हुई। मानसून के खत्म होने के बाद भी दक्षिण मध्य महाराष्ट्र के कई जिलों में भारी बारिश के बारण बाढ़ आ गई। इससे सोयाबीन, मक्का, गन्ना और तूर की फसल को काफी नुकसान पहुंचा।   

मक्का

2019-20 में 5 लाख टन मक्का का आयात किया गया। ऐसा पॉल्ट्री कारोबार की मांग को देखते हुए किया गया, क्योंकि पिछले साल मक्के का उत्पादन कम हुआ था। इस खरीफ सीजन में बुवाई क्षेत्र की बात करें तो इसमें पिछले साल के मुकाबले 2.31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन मध्य प्रदेश और कर्नाटक में बुवाई के बाद हुई भारी बारिश के कारण मक्के के उत्पादन में 5.71 प्रतिशत की कमी की आशंका है।

ज्वार / बाजरा

इस रिपोर्ट में ज्वार के बुवाई क्षेत्र में 1.17 प्रतिशत की कमी के बावजूद उत्पादन में 9.78 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है। जबकि बाजरा के बुवाई क्षेत्र में 3.71 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद उत्पादन में 14.40 प्रतिशत की कमी हो सकती है।

दलहन

चालू खरीफ सीजन में तूर के बुवाई क्षेत्र में 9.78 प्रतिशत और उत्पादन में 5.48 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। इस की वजह महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना और झारखंड में फसल की स्थिति अच्छी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार उड़द के उत्पादन में भारी वृद्धि का अनुमान है। रिपोर्ट बताती है कि बेशक उड़द के बुवाई क्षेत्र में 1.47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन उत्पादन में 45.38 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। मूंग के बुवाई क्षेत्र में 19.70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन उत्पादन में 3.91 प्रतिशत कमी का अनुमान लगाया गया है। क्योंकि मूंग उपजाने वाले लगभग सभी बड़े राज्यों में फसल को नुकसान पहुंचा है।

तिलहन

एनबीएचसी की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर अक्टूबर में भारी बारिश के कारण सोयाबीन के उत्पादन में 15.29 फीसदी की कमी आ सकती है, जबकि बुवाई क्षेत्र में 8.17 फीसदी की वृद्धि हुई थी। इसी तरह मूंगफली के उत्पादन में 14.69 फीसदी की कमी आने की आशंका है।

नगदी फसल

गुजरात और मध्य प्रदेश में हुई भारी बारिश के कारण कपास के उत्पादन में 4.06 फीसदी नुकसान का आकलन किया गया है। लेकिन गन्ने के उत्पादन में 2.72 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।

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