चारे का संकट: क्या दान में मिले भूसे से पलेंगी गौशाला की गायें?

उत्तर प्रदेश प्रशासन ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि वे गौशाला में पल रहे छुट्टा मवेशियों के लिए भूसे का इंतजाम करें

By Arvind Shukla

On: Monday 30 May 2022
 
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले की एक गौशाला। फोटो : अमन गुप्ता

पशुओं का मुख्य चारा भूसा पिछले साल लगभग तिगुने दाम पर बिक रहा है। यूपी समेत पूरे उत्तर भारत में गेहूं की कम पैदावार के चलते भूसा भी कम पैदा हुआ है, ऐसे में दाम बढ गए हैं। भूसे की किल्लत को देखते प्रदेश में निराश्रित गोवंश के लिए भूसा दान अभियान के जरिए भूसा एकत्र किया जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने साल मौजूदा बजट में निराश्रित गोवंश के भरण पोषण के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

फिरोजाबाद के उरांव ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी ने अपने सुंकल शिक्षकों के लिए जारी आदेश में कहा कि जनपद में संचालित गौआश्रम स्थलों में संरक्षित गोवंश के पूरे साल के भरण पोषण के लिए 70000 क्विंटल भूसे की जरुरत है। ऐसे में उनसे (एक संकुल शिक्षक के अंतर्गत कई ग्राम पंचायतों के लिए प्राथमिक स्कूल हो सकते हैं) अपेक्षा की जाती है कि वो अपने क्षेत्र में भ्रमण के दौरन क्षेत्रीय जनता को प्रेरित कर विभाग के लिए निर्धारित गोवंश आश्रय स्थल उखरेंड के लिए 200 क्विंटल भूसा दान कराएं।

इसके आगे लिखा गया है कि इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रति न्याय पंचायत 3  क्विंटल भूसा दान कराया जाए। इस काम में सहायक संकुल शिक्षक और प्रधान अध्यापकों का सहयोग लें।

इसी तरह का आदेश पूर्वांचल के संतकबीर नगर जिले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपने खंड शिक्षा अधिकारी को दिया है। जिसके अंतर्गत खलीलाबाद मंडी में बने भंडारण केंद्र में प्रति अधिकारी कर्मचारी न्यूनतम 1 क्विंटल भूसा दान करने को कहा गया है।

डाउन टू अर्थ से बात करते हुए फिरोजाबाद की जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अंजली अग्रवाल ने कहा, “भूसा दान कराने के लिए कोई आदेश नहीं दिया गया है, सिर्फ सहयोग की अपेक्षा की गई है। कोई अनिवार्यता नहीं है। दानदाता कोई भी हो सकता है। अपेक्षा की गई है कि वो जनसमुदाय के सहयोग से भूसा दान अभियान में सहयोग करें।”

फिरोजाबाद के कई ब्लॉक में इससे पहले बिजली विभाग के कर्मचारियों को भी भूसा दान कराने को कहा गया, लेकिन कुछ कर्मचारियों के विरोध के बाद जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने कहा था कि भूसा दान पूर्णरुप से स्वैच्छिक है, किसी अधिकारी, कर्मचारी या सामान्य व्यक्ति पर कोई दबाव नहीं है। उन्होंने फिरोजाबाद में बिजली विभाग के एक अधिशासी अभियंता द्वारा जारी आदेश को भी 24 मई को निरस्त कर दिया था। वहीं सीतापुर के एक शिक्षक नेता ने कहा, “शिक्षा विभाग में आदेश सिर्फ 2-4 जिलों के कुछ विकासखंडों में ही जारी किए हैं। हम लोगों को फिलहाल शामिल नहीं किया गया है।”

उत्तर प्रदेश के मुताबिक प्रदेश में 6195 गोआश्रय स्थलों (गौशालाओं) में 9 लाख 67 हजार 923 गोवंश हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत 1 लाख 31 हजार से अधिक गोवंश इच्छुक लोगों ने पालन के लिए लिया है, जिन्हें प्रति गोवंश 30 रुपए प्रति दिन के हिसाब से 900 रुपए महीने दिए जाते हैं। आने वाले दिनों चारे का संकट बढ़ सकता है, क्योंकि पिछले साल जो भूसा गेहूं की कटाई के दौरान (अप्रैल-मई) में 400-600 रुपए कुंटल बिक रहा था वो इस बार सीजन में ही 1000-1500 के ऊपर बिक रहा है। 

प्रदेश में संचालित गोशालाओं के लिए पंचायती राज विभाग के पास अहम जिम्मेदारी है, लेकिन इस योजना को शामिल कई विभाग हैं। हालांकि जमीन पर मुख्य दारोमदार प्रधान और पशुचिकित्सक पर होता है। मई के पहले हफ्ते में प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह निराक्षित पशुओं के लिए भूसा संग्रहण में लापरवाही पर 27 मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों पर जवाब मांगने के लिए अपर मुख्य सचिव पशुधन डॉ रजनीश दुबे को निर्देशित किया था।

उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा संघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार डाउन टू अर्थ को बताते हैं, ““भूसा दान में आम लोग दें, इमसे किसी भी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। टार्गेट नहीं मिलना चाहिए। हम लोग (प्रदेश के पशु चिकित्सक) पहले ही सिर्फ इन पशुओं की दवा में अपने 9-10 करोड रुपए खर्च कर चुके हैँ। सारे डॉक्टर ने मिलकर ये पैसा अपने वेतन से खर्च किया है। दवा के मद में सरकार ने एक भी रुपया नहीं दिया। जो ओपीडी की दवाए हैं वो सिर्फ 2 महीने के लिए पर्याप्त है। सरकार चाहती है कि 17 रुपए एक गाय का सालभर इलाज हो, जो संभव नहीं। इसलिए कंपनियां जो सैंपल दे उनसे इलाज होता है। क्योंकि गोशाला प्रबंधन के लिए योजना के क्रियान्वयन में दिक्कत है।”

वो आगे कहते हैं, “भूसे की किल्लत तो सालभर पहले ही रहती थी, अब तो इस बार सीजन में महंगा है। पहले बाद में महंगा होता था तो सरकार की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा भूसा दान के जरिए सीजन पर मिल जाए। लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरा है। गोशालाओं में 9 लाख से ज्यादा पशु हैं। जिनके पोषण के लिए सालभर काफी भूसा, हरा चारा चाहिए लेकिन इसकी व्यवस्था कहां हो पाती है।”

26 मई को अपने बजट में राज्य सरकार ने गोवंश पर संरक्षण बढ़ाने का ऐलान किया। सरकार गोवंश के भरण पोषण के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसके अलावा गोवंश संरक्षण के लिए संचालित योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए एक सेंट्रल प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट के गठन का ऐलान किया है। इस यूनिट का काम समीक्षा व डाटा बेस तैयार करना होगा, इस मद में 53.70 लाख का ऐलान किया गया। हालांकि कई किसान भूसा दान पर कहते हैं यहां अपने पशुओं के लिए चारा मुश्किल है दान कहां से करेंगे।

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