17 साल से लगातार कृषि क्षेत्र में कम हो रहा है सरकारी निवेश

आम धारणा के विपरीत, वैश्विक अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान लगातार बढ़ रहा है

By Richard Mahapatra

On: Thursday 25 July 2019
 
Photo: Agnimirh Basu

ऐसे समय में जब हम निकट भविष्य में बढ़ती आबादी के लिए पर्याप्त भोजन के उत्पादन करने की चुनौती का सामना कर रहे हैं, तब यह बात सामने आ रही है कि कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए दुनिया भर की सरकारों का प्रयास नाकाफी है। दुनिया भर में कृषि क्षेत्र में केंद्र सरकारों के निवेश के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले 18 वर्षों से सरकारों के निवेश में लगातार कमी आ रही है।


फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) के नवीनतम आकलन के अनुसार, 2001 से लेकर 2017 तक कृषि क्षेत्र में सरकारों के खर्च में स्थिरता रही, जो 1.6 फीसदी के आसपास थी।

हालांकि एशिया और अफ्रीकी देशों ने दूसरे देशों के मुकाबले अधिक खर्च किया, लेकिन समग्र अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र के योगदान को ध्यान में रखकर देखा जाए तो यह खर्च भी कम है। एफएओ के पास कृषि क्षेत्र में सरकारी खर्च के लिए एग्रीकल्चर ओरिएंटेशन इंडेक्स (एओआई) नामक एक माप उपकरण है जो देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि और उसके हिस्से पर खर्च को मापता है। यह सरकार की नीति के इरादे को इंगित करता है क्योंकि आमतौर पर खर्च उस क्षेत्र में उच्च होता है जो अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक योगदान देता है।

इस इंडेक्स गाइडलाइन के मुताबिक, यदि एओआई 1 से कम रहता है तो अर्थव्यवस्था में कृषि के योगदान के मुकाबले केंद्र सरकार द्वारा कम ध्यान दिए जाने की ओर इंगित करता है, जबकि एओआई 1 से अधिक रहने पर यह पता चलता है कि देश की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र के योगदान के मुकाबले सरकार ज्यादा ध्यान दे रही है।

एफएओ की नई रिपोर्ट बताती है कि 2001 से लेकर 2017 तक वैश्विक स्तर पर एओआई में गिरावट दर्ज की गई। 2001 में एफएओ 0.42 था, जो 2017 में घटकर 0.26 रह गया। उपमहाद्वीपों के हिसाब से देखा जाए तो उप सहारा अफ्रीका में एओआई सबसे कम है। इसका मतलब यह भी है कि विश्व सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) का लक्ष्य 2ए हासिल नहीं कर पाएगा, जिसमें कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की बात कही गई है।

2008 में जब दुनिया भर में अभूतपूर्व खाद्य मूल्य संकट छाया हुआ था, तब तक सरकारें अपने कुल खर्च का 1.6 फीसदी हिस्सा कृषि क्षेत्र पर कर रही थीं। यहां तक कि 2001 के बाद 2008 में सरकारों ने सबसे अधिक खर्च किया, लेकिन तब भी वह अधिकतम 1.85 फीसदी ही था।

लेकिन इसी दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़ता गया। 2001 में कृषि क्षेत्र का योगदान 2001 में 4.13 फीसदी था, जो 2017 में बढ़कर 6.15 फीसदी पहुंच गया। इसका अर्थ है कि अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र के कुल योगदान के मुकाबले सरकार का खर्च लगभग एक तिहाई रहा।

एफएओ से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, अन्य महाद्वीपों के मुकाबले एशिया और प्रशांत देश की केंद्र सरकारों का खर्च अधिक था, लेकिन इसमें भी कमी आ रही है। यह 2001 में 3.85 प्रतिशत था जो 2017 में 3.03 प्रतिशत हो गया। इसी प्रकार अफ्रीका में कृषि पर व्यय 2001 में 3.66 प्रतिशत से घटकर 2017 में 2.30 प्रतिशत हो गया है।

दुनिया के विकसित क्षेत्रों में यूरोप और कनाडा और अमेरिका जैसे देश कृषि पर सबसे कम खर्च करते हैं। वे अपना लगभग 1 प्रतिशत कृषि पर खर्च करते हैं। कृषि पर सबसे अधिक खर्च करने वाले देशों में मलावी सबसे ऊपर है और अपने कुल खर्च का 16.4 प्रतिशत खर्च करता है। भारत के तीन पड़ोसी - दुनिया के सबसे गरीब देशों में गिने जाते हैं - भूटान, नेपाल और बांग्लादेश में कृषि पर केंद्र सरकार का खर्च काफी है, जो शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं। 2017 में भूटान ने 13 प्रतिशत जबकि बांग्लादेश ने 8.7 प्रतिशत कृषि पर खर्च किया।

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