हरियाणा सरकार ने हटाई धान की खेती पर पाबंदी

गिरते भूजल स्तर पर अंकुश लगाने के लिए हरियाणा सरकार ने धान की खेती पर पाबंदी लगा दी थी

By Shahnawaz Alam

On: Tuesday 02 June 2020
 
फाइल फोटो: विकास चौधरी

हरियाणा सरकार ने लगातार गिरते भूजल स्‍तर को देखते हुए धान की खेती पर लगाई पाबंदी पर यू-टर्न ले लिया है। अब प्रदेश के किसान धान की खेती कर सकेंगे, लेकिन सरकार किसानों को धान की खेती को हतोत्‍साहित करने के लिए प्रेरित करेगी। किसानों के लिए धान की खेती को स्वैच्छिक कर दिया, लेकिन सरकार ने प्रोत्साहन राशि वाला विकल्प खुला रखा है। पहले जहां किसानों को धान की खेती करने पर जुर्माना लगाने के आदेश दिए गए थे, अब सरकार ने उस पर छूट दे दी है। हालांकि पंचायती जमीन को धान की खेती के लिए पट्टे पर नहीं दिया जाएगा।

07 मई 2020 को हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल ने ‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ योजना की शुरुआत करते हुए कुल 19 ब्‍लॉक का जिक्र किया था, जहां जलस्‍तर 40 मीटर से ज्‍यादा नीचे है और वहां पर धान की खेती पर पाबंदी लगाई थी। इसके अलावा पंचायत की वो जमीनें, जहां 35 मीटर से ज्‍यादा का जल स्‍तर है, वहां धान की खेती पर रोक लगा दी गई। बीते वर्ष इन क्षेत्रों में 1,79,951 हेक्‍टर में धान की खेती हुई थी। बीते पांच वर्षों में भूजल स्‍तर पर पांच मीटर से नीचे गिरा है। इसे देखते हुए सरकार ने यह धान की खेती पर पाबंदी लगाई थी।

इसके बाद से प्रदेश में किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। किसान संगठनों ने नोटिफिकेशन के बाद से ही विरोध करना शुरू कर दिया। 16 मई को भिवानी में किसानों ने प्रदर्शन से इसकी शुरुआत की। फतेहाबाद में 25 मई को किसानों ने योजना का विरोध करते हुए ट्रैक्‍टर रैली निकाली। 29 मई को कुरुक्षेत्र में राज्‍य स्‍तरीय प्रदर्शन हुआ। लगातार प्रदर्शन और किसानों को साथ लेकर हो रहे राजनीतिकरण को देखते हुए प्रदेश सरकार अब यू-टर्न ले लिया है और पाबंदी हटाकर इसे प्रोत्‍साहन के रूप में बदल दिया है।

कृषि विभाग के एक वरिष्‍ठ अधिकारी का कहना है कि इस योजना की शुरुआत के बाद सभी जिले स्‍तर पर कृषि उपनिदेशकों और कृषि विकास अधिकारियों को अपने क्षेत्र में ड्यूटी लगाई थी। किसानों को चेतावनी दी जा रही थी। उन्‍हें धान की खेती करने से मना किया जा रहा था, लेकिन किसानों के विरोध के बाद अब उन्‍हें ‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ योजना के तहत फसल विविधकरण अपनाकर 7000 रुपये प्रोत्‍साहन राशि की बातें बताई जा रही है।

वहीं, किसानों का कहना है इससे पहले सरकार की ‘जल ही जीवन है’ योजना में मक्के के हाइब्रिड बीज दिए गए, जिनसे कोई फायदा नहीं हुआ। पिछले वर्ष भी धान की खेती नहीं करने पर दो हजार रुपये प्रोत्‍साहन राशि की बातें कहीं गई, जो आज तक नहीं मिला। भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी कहते है, बिना किसी सर्वे के सरकार ने 19 ब्लॉक में धान नहीं लगाने का आदेश दे दिया था। प्रोत्साहन राशि 7,000 रुपये की जगह 15,000 करने की मांग की गई थी, लेकिन सरकार ने मना कर दिया।

किसान नेता गुणी प्रकाश ठाकुर कहते है, हरियाणा में गेहूं और धान की सबसे ज़्यादा खरीदारी होती है, तो वो क्यों दूसरी फसलें उगाएगा? सरकार धान-गेहूं की खरीद ज़रूर करती है। ऐसे में किसानों को उम्‍मीद रहती है फसल बिक जाएगी और पैसा भी मिल जाएगा। मक्का या दूसरी फसलों में सरकार खरीदती ही नहीं है। धान में किसानों को ज्‍यादा फायदा होता है।

कृषि विभाग के अतिरिक्‍त मुख्‍य सचिव संजीव कौशल कहते हैं कि किसानों को अब स्‍वैच्छिक से धान की खेती छोड़ने का विकल्‍प दिया गया है। यह योजना पूरे प्रदेश के लिए लागू है। धान की खेती छोड़कर विविधिकरण के तहत फसल की बीज के लिए 2000 और उसके बाद 5000 रुपये का प्रोत्‍साहन राशि दी जाएगी।

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