बंजर होते भारत में झारखंड सबसे ऊपर, मरुस्थलीकरण की जद में 68.98 फीसदी हिस्सा

झारखंड में 60 से 70 फीसदी जमीन जबरदस्त अम्लीय है। ऐसे में प्रति हेक्टेयर 3 से 4 कुंतल डोलामाइट के जरिए इस अम्लीयता को खत्म करने की कोशिश हो रही है।

By Vivek Mishra

On: Monday 02 September 2019
 
Photo : डाउन टू अर्थ

देश के भीतर बंजर होती जमीनों के मामले में सबसे वीभत्स स्थिति झारखंड की है। इस सूबे की कुल भूमि का 54987.26 वर्ग किलोमीटर  यानी 68.98 फीसदी हिस्सा मरुस्थलीकरण की जद में है। झारखंड का कुल भौगोलिक क्षेत्र 79,714 वर्ग किलोमीटर है।

राज्यों की बंजरता का यह अनुमान बंजर भूमि के फीसदी पर आधारित है। इस आंकड़े को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) ने  मरुस्थलीकरण एवं भू-क्षरण पर केंद्रित एटलस के जरिए जारी किया था। इस एटलस के मुताबिक, देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का करीब 30 फीसदी हिस्सा (लगभग 96.40 मिलियन हेक्टेयर जमीन ) की उर्वरता खत्म हो रही है।

80 फीसदी खेती वर्षाजल पर आधारित

झारखंड के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के रिसर्च डायरेक्टर डीएन सिंह बताते हैं कि सूबे में करीब 38 लाख हेक्टयर  क्षेत्र कृषि योग्य है लेकिन यहां 28 लाख हेक्टयर पर खेती होती है। वहीं, 80 से अधिक फीसदी कृषि वर्षाजल पर आधारित है। ऐसे में जिस वर्ष वर्षा कम होती है उत्पादन कम हो जाता है। वर्ष भर में झारखंड औसत 1200 मिलीमीटर बारिश हासिल करता है जो कि राज्य के लिए काफी है।

60 से 70 फीसदी जमीन अम्लीय

डीएन सिंह जमीन की गुणवत्ता को लेकर डाउन टू अर्थ से बताते हैं कि वे मरुस्थलीकरण के बारे में इसरो के आंकड़ों से वे संतुष्ट नहीं हैं लेकिन 60 से 70 फीसदी जमीन में तांबे और लोहे के कारण मिट्टी में अम्लीय तत्व काफी ज्यादा है। इसके बावजूद पोषण के जरूरी तत्व मौजूद हैं। मिट्टी में अम्लीयता को खत्म करने के लिए 3 से 4 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष डोलामाइट का इस्तेमाल काफी है। यह हमने कई वर्षों के प्रयोग के बाद जाना है। ऐसे में सरकार की ओर से भी ब्लॉक और पंचायत स्तर पर किसानों को सब्सिडी के साथ यह मुहैया कराया जा रहा है।

बंजर की चपेट में सबसे ज्यादा प्रभावित गिरिडीह जिला

नीति आयोग की ओर से जारी एक रिपोर्ट में भी झारखंड के कम उत्पादन की वजहें गिनाई गई थीं। रिपोर्ट के मुताबिक बरसात आधारित कृषि, मिट्टी की सेहत का खराब होना, तरह-तरह की कृषि पद्धतियों जैसी वजहों ने मिलकर कृषि उत्पादन को कम किया है। झारखंड में सर्वाधिक खरीफ की फसल होती है। राज्य में सबसे ज्यादा वहीं, 2015 में जारी नीति आयोग की एक रिपोर्ट में झारखंड के बारे में कहा गया था कि बरसात आधारित कृषि, मिट्टी की सेहत का खराब होना, तरह-तरह की कृषि पद्धतियों ने मिलकर उत्पादन को कम किया है। झारखंड में सर्वाधिक खरीफ की फसल होती है। राज्य में गिरिडीह जिले में 358183 हेक्टेयर भूमि बंजर की चपेट में है।

Subscribe to our daily hindi newsletter