राजस्थान से मध्यप्रदेश में घुसा टिड्डी दल, तीन जिलों के किसान परेशान

मध्यप्रदेश में 27 साल बाद रेगिस्तानी टिड्डियों का हमला हुआ है, बल्कि पिछले साल भी इन इलाकों में टिड्डियां नहीं पहुंच पाई थी। विशेषज्ञ इसे खतरे का संकेत बता रहे हैं

By Manish Chandra Mishra

On: Tuesday 19 May 2020
 
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में छिड़काव के बाद मरी हुई टिड्डियां। फोटो: मनीष चंद्र मिश्र

18 मई की सुबह से ही मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के सुजानपुरा, कुंतलखेड़ी, बाबुल्दा, दुधाखेड़ी सहित करीब दर्जभर गांवों में अफरातफरी मची रही। यहां के किसान खेत की तरफ कनस्तर, थाली, ढोल, डीजे और तरह-तरह की कर्कश आवाज पैदा कर सकने वाले साधनों के साथ खेतों की तरफ दौड़े। यहां तक कि मंदिरों में लगी लाउडस्पीकर की मदद से भी तेज आवाज पैदा की जा रही थी। इसकी वजह रही, राजस्थान से खतरनाक टिड्डी दल का गांवों में आना। तकरीबन पांच किलोमीटर के इलाके में टिड्डी दल ने डेरा डाल लिया और खेतों में लगी हरी फसल चट करने लगे। ऐसा ही कुछ हाल नीमच जिले के गांवों का भी रहा। यहां राजस्थान से सटे मनासा भानपुरा क्षेत्र तक टिड्डी दल पहुंच चुका है। देर रात तक किसान अपने खेतों से टिड्डी को भगाने में लगे रहे। 

हालांकि, इस समय इन इलाकों के अधिकतर खेत खाली हैं, लेकिन कुछ किसानों ने जानवरों के चारे के लिए ज्वार-बाजरा, साल की तीसरी फसल मूंग या तिल्ली और सब्जियों की खेती की है। किसानों के बगीचों की हरियाली को भी टिड्डी दल से खतरा है।

मध्यप्रदेश में साधारण डिड्डी (ग्रास हूपर) का हमला तो सामान्य रहा है, लेकिन रेगिस्तानी टिड्डी (डेजर्ट लोकस्ट) का यह हमला तकरीबन 26 साल बाद हुआ है। इससे पहले यहां 1993 में यह हमला हुआ था। लोकस्ट विशेषज्ञ अनिल शर्मा ने बताया कि रेगस्तानी टिड्डे, ग्रास हूपर्स के मुकाबले अधिक दूरी तय करते हैं और काफी तबाही मचाते हैं। वे अपने रास्ते में आने वाली हरियाली को चट कर जाते हैं। अनिल शर्मा के मुताबिक राजस्थान से टिड्डे हवा के बहाव के साथ उत्तरप्रदेश, बिहार और पंजाब का रुख करते हैं, लेकिन संभव है मौसम में बदलाव की वजह से वे इस बार मध्यप्रदेश की तरफ पहुंच गए हों। 

मंदसौर में छिड़काव, रतलाम में बनाया कंट्रोल रूम

जिला स्तर पर टिड्डी दल के आक्रमण से निपटने की कई कोशिशें हो रही है। मंदसौर के कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि सेंट्रल लोकस्ट की एक टीम टिड्डी दल के नियंत्रण में लगी है, जिसके साथ जिला प्रशासन की टीम भी दवा छिड़काव कर रही है। प्रशासन सेंट्रल लोकस्ट के द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों के मुताबिक छिड़काव कर स्थिति से निपट रहा है।

जिले के किसान कल्याण और कृषि विकास के उपसंचालक अजीत सिंह राठौर ने डाउन टू अर्थ से साथ बातचीत में कहा कि पहली बार जिले में टिड्डी दल का आक्रमण हुआ है। उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की कि यह रेगिस्तानी टिड्डी ही है। उन्होंने कहा कि जिले में राजस्थान की ओर से टिड्डी दल भानपुरा और गरोठ ब्लॉक के गावों में फैला है।

वह कहते हैं कि वर्तमान में कोई भी कृषि फसल प्रभावित नहीं होने के कारण ज्यादा प्रकोप की कोई आशंका नहीं हैं। इस इलाके में उद्यानिकी फसलों में मुख्य रूप से संतरा पाया जाता है जिसे अबतक कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। टिड्डी के बचाव से किसानों को जागरूकता के लिए विभाग ने 76 हजार किसानों को एसएमएस और वॉट्सएप पर संदेश भेजे हैं।

नीमच और मंदसौर के बाद टिड्डी दल रतलाम जिले में भी पहुंच गया है। रतलाम कलेक्टर रुचिका चौहान ने इसके लिए जिला स्तरीय कंट्रोल रुम स्थापित किया है। कंट्रोल रुम का नम्बर 07412-267211 पर फोन कर 24 घंटे में कभी भी किसान इसकी जानकारी दे सकते हैं।

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कीट विशेषज्ञ एके भौमिक ने बताया कि टिड्डी दल का हमला मध्यप्रदेश की कृषि पर एक बड़ा संकट है और इससे निपटने के लिए सरकारी स्तर पर व्यापक प्रबंध करना होगा। छोटे किसान जबतक दवाई खरीदकर छिड़काव की तैयारी करेंगे, तबतक उनका खेत खराब हो जाएगा। सरकार को ड्रोन के माध्यम से हवा में दवा का छिड़काव करना चाहिए और टिड्डी दल के आगमन का पूर्वानुमान लगाकर ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

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