किसानों की नई मुसीबत: लौट आए टिड्डी दल, अब वनस्पति और बाजरे को नुकसान
मई 2019 से पश्चिमी राजस्थान में टिड्डियों का आना शुरू हुआ था, जो फरवरी 2020 तक 12 जिलों में फैल गए। नौ माह में 20 हजार से ज्यादा टिड्डी दल देश में आए
On: Thursday 07 May 2020
उत्तरी और पश्चिमी राजस्थान में एक बार फिर टिड्डियों का आना शुरू हो गया है। अप्रैल के आखिरी दिनों से भारी संख्या में पाकिस्तान की तरफ से टिड्डी दल आ रहे हैं। श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ और पंजाब के फाजिल्का जिले की तरफ से टिड्डी दलों का आना हुआ है। इसके अलावा पश्चिमी राजस्थान में जैसलमेर से प्रवेश कर बाड़मेर और जोधपुर जिले तक टिड्डी पहुंच चुकी हैं।
टिड्डियों का ये हमला जैसलमेर के चांधन, लाठी, रामगढ़, तनोट और किशनगढ़, बाड़मेर के शिव, चौहटन, बायतु, मुनावाब और गडरा ब्लॉकों में हुआ है। पश्चिमी राजस्थान में इस वक्त बाजरा और हरा चारा बड़ी मात्रा में बोया हुआ है। इसके अलावा रेगिस्तानी वनस्पति, कैर-सांगरी और कई जगह अनार की खेती को टिड्डी नुकसान पहुंचा रहे हैं। पिछली बार नवंबर से फरवरी माह तक हुए टिड्डियों के हमल में पश्चिमी राजस्थान के किसानों को काफी नुकसान हुआ था।
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टिड्डी नियंत्रण संगठन (एलडब्ल्यूओ) के जोधपुर स्थित मुख्यालय में उपनिदेशक केएल गुर्जर ने डाउन-टू-अर्थ को बताया कि थार के अलावा इस बार श्रीगंगानगर और पंजाब बॉर्डर से भी टिड्डी आए हैं। जैसलमेर से आए टिड्डी दल ने बाड़मेर जिले के मुनावाब, चौहटन और बायतु में भी प्रवेश कर लिया है। इसके साथ ही जोधपुर जिले के फलौदी और ओसियां में भी गुलाबी रंग के टिड्डी देखे गए हैं।
गुर्जर का कहना है, ‘इस बार तेज आंधियों की वजह से हवा के साथ बड़ी संख्या में टिड्डी आ रही हैं। ईरान सहित खाड़ी के अन्य देशों और पाकिस्तान में टिड्डी दल अब भी बड़ी संख्या में सक्रिय हैं। इनका ग्रीष्म प्रजनन सीजन शुरू हो चुका है, इसलिए खतरा बरकरार है। आने वाले वक्त में भी टिड्डियों के कई स्वार्म आने की आशंका है।’
बचाव कार्य का जिक्र करते हुए गुर्जर ने बताया, ‘एलडब्ल्यूओ और राजस्थान कृषि विभाग की 50 गाड़ियां मेलाथियान केमिकल का छिड़काव कर रही हैं। विभाग के 120 लोगों का स्टाफ इसी काम में लगा है। इसके अलावा 100 और लोगों को हमने जोड़ा है जो अलग-अलग जगहों पर केमिकल छिड़काव कर रहे हैं। साथ ही सर्वे का काम भी चल रहा है। 30 अप्रैल तक 85 स्थानों का सर्वे किया गया है और 31 स्थानों पर 1970 हेक्टेयर क्षेत्र में नियंत्रण कार्य किया गया है।’
विभाग के लोगों को लॉक डाउन में खाने-पीने की समस्या
के.एल गुर्जर ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते लॉक डाउन में हमारे स्टाफ को खाने-पीने की भी समस्या आ रही हैं, क्योंकि केमिकल छिड़काव के चलते स्टाफ को अलग-अलग जगह जाना पड़ रहा है। हमने जिला प्रशासन से इस संबंध में बात की है और टिड्डी नियंत्रण में लगे लोगों की व्यवस्था करने को कहा है।
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पिछली बार 12 जिलों में फैला था टिड्डियों का आतंक
इससे पहले मई 2019 से पश्चिमी राजस्थान में टिड्डियों का आना शुरू हुआ था, जो फरवरी 2020 तक 12 जिलों में फैल गया। फरवरी तक 20 हजार से ज्यादा टिड्डी स्वार्म (दल) देश में आए। एक स्वार्म में लाखों की संख्या में टिड्डी होते हैं। इस हमले से हजारों किसानों की जीरे, ईसबगोल, अरण्डी, सरसों और गेहूं की फसलों को नुकसान पहुंचा। बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर,गंगानगर, हनुमानगढ़, नागौर, पाली, उदयपुर, सिरोही और डूंगरपुर जिलों में टिड्डियों का हमला हुआ है।
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राजस्थान सरकार ने सिर्फ 6 जिलों (बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, जालौर और पाली) के किसानों को ही मुआवजा दिया. इन जिलों के 59, 878 किसानों को 90.16 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया. करीब 1,43,268 हेक्टेयर कृषि भूमि पर 33 प्रतिशत से ज्यादा फसल खराब हो गई थीं।