50 साल पहले की तुलना में 3 गुना अधिक बढ़ी प्राकृतिक आपदाएं: एफएओ

कृषि से दुनिया भर में 2.5 अरब से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है

By Dayanidhi

On: Saturday 20 March 2021
 
Picture: FAO

इतिहास में पहले कभी भी कृषि-खाद्य प्रणालियों को इतने बड़े खतरों का सामना नहीं करना पड़ा है। इन खतरों में जलता जंगल, मौसम में अत्यधिक बदलाव, बढ़ते रेगिस्तान, टिड्डियों के झुंड से खतरा और बढ़ते जैविक खतरे शामिल हैं।   

कृषि से दुनिया भर में 2.5 अरब से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है, इसके प्रभावित होने से इन सभी को असर पड़ता है, इनमें से अधिकांश कम आय वाले विकासशील देशों के लोग हैं। कोविड-19 महामारी ने इसमें सोने में सुहागा का काम किया। पिछले सालों में उन्हें कोविड को लेकर अनेक तरह की परशानी का सामना करना पड़ा।

ये आपदाएं कृषि से संबधित आजीविका को तबाह करने के लिए काफी हैं, जिससे घर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक बहुत बुरे आर्थिक समस्याएं सामने आई हैं, जिसके परिणाम आने वाली पीढ़ियों को भुगतने होगें।

एफएओ के अनुसार 1970 और 1980 के दशक की तुलना में आज की आपदाएं और उनका प्रभाव तीन गुना अधिक हैं। पर्यटन, वाणिज्य और उद्योग जैसे अन्य क्षेत्रों की तुलना में कृषि इस प्रभाव के 63 फीसदी अधिक हिस्से का सामना कर रही है।

गरीब देश सबसे अधिक खतरे में

कम विकसित या निम्न से मध्यम आय वाले देशों में सबसे कम विकास हुआ है, विकास के मामले में इनका प्रदर्शन सबसे खराब है। 2008 से 2018 तक, प्राकृतिक आपदाओं ने फसलों और पशुधन को सबसे अधिक प्रभावित किया है। इन सब में विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के सुधार में 108 अरब डॉलर से अधिक की लागत लगी हैं।

इसी अवधि में एशिया को सबसे अधिक नुकसान हुआ है, जिसमें 49 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान शामिल है, इसके बाद अफ्रीका को 30 बिलियन डॉलर, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन को 29 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है।

कृषि उत्पादन में सूखे से हुए नुकसान को सबसे बड़े दोष के रूप में देखा जाता है, इसके बाद  नबंर आता है बाढ़, तूफान, कीट से संबंधित  बीमारियों और जंगली जानवरों का।

इस बीच कम बारिश के कारण फसल और पशुधन उत्पादन को 34 प्रतिशत का नुकसान हुआ, जबकि इस अवधि में जैविक आपदाओं की वजह से 9 फीसदी उत्पादन में गिरावट आई। कोविड-19 महामारी ने मौजूदा समस्याओं को और बढ़ा दिया है।

जंगल की आग से कृषि उत्पादन प्रणालियों पर प्रभाव पड़ता है। जंगलो की आग 1 बिलियन अमरीकी डॉलर या उससे अधिक के नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं। एशिया में कृषि उत्पादन में कुल नुकसान अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक हुआ है। नेपाल में भूकंप, म्यांमार, बांग्लादेश और भारत में मानसून की बाढ़ से यहां काफी नुकसान हुआ है।

कृषि और खाद्य सुरक्षा पर आपदाओं का प्रभाव, दुनिया भर में बढ़ती गर्मी, पिघलती बर्फ और बढ़ता समुद्र स्तर एक दशक से हमारी खाद्य सुरक्षा और अभूतपूर्व खतरों का सामना कर रही हैं। चरम मौसम की घटनाओं को पहले से ही अनदेखा किया गया है, जिसके परिमाण रेगिस्तान में बढ़ते टिड्डे और कोविड-19 महामारी के रूप में सामने आ रही है।      

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