जीएम सरसों को मंजूरी देने की सिफारिश, केंद्र करेगा फैसला

जीएम सरसों का विरोध कर रहे विशेषज्ञों का कहना है कि जैव सुरक्षा तंत्र की अनदेखी करके जीईएसी द्वारा सिफारिश की गई है

By Zumbish

On: Wednesday 26 October 2022
 

बीस साल बाद जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएस) सरसों की खेती को मंजूरी मिलने की संभावना बन गई है। जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रैजल कमेटी (जीईएसी) की 18 अक्तूबर, 2022 को हुई 147वीं बैठक में देश में जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती को मंजूरी देने की सिफारिश की गई।

26 अक्टूबर 2022 को बैठक की मिनिट्स जारी की गई। जिसमें जीईएसी की सिफारिशों की जानकारी सामने आई। इन सिफारिशों को सरकार की मंजूरी मिल जाती है तो इसे चालू सीजन में उगाना संभव हो पाएगा।

जीईएसी ने सरसों की जिस डीएमएच-11 हाइब्रिड किस्म के इनवायरमेंटल रिलीज की सिफारिश की है उसे दिल्ली यूनिवर्सिटी के साउथ दिल्ली कैंपस स्थित सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स (सीजीएमसीपी) ने विकसित किया है।

इस टीम का नेतृत्व दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रह चुके प्रोफेसर दीपक पेंटल ने किया। पेंटल एक प्रसिद्ध शोधकर्ता और आनुवंशिकी (जेनेटिक्स) के प्रोफेसर हैं।

भारत में जीएम सरसों पर नीतिगत बहस वर्षों से चल रही है। एक ओर जहां केंद्र सरकार जीएम फसलों को अनुमति देकर खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल करना चाहती है, वहीं इसका व्यापक विरोध भी किया जा रहा है।
विशेषज्ञों ने एक समूह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है, “भारत में जीएम फसल की खेती के किसी भी अनुमोदन का देश के नागरिकों द्वारा कड़ा विरोध किया जाएगा। जीईएसी दूसरी बार जीएम सरसों को मंजूरी देने की सिफारिश की जा रही है, जो पूरी तरह अवैज्ञानिक और गैर जिम्मेदारना है। इस निर्णय का कोई आधार भी नहीं है। इस समूह में कृषि विशेषज्ञों के अलावा किसान संगठनों और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि शामिल हैं।

इससे पहले मई 2017 में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली में परीक्षण के इसी तरह की सिफारिश की गई थी, लेकिन केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इसे मंजूरी नहीं दी थी। इस कदम का विरोध करने के लिए स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं और किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद इसे मंजूरी देने के निर्णय पर विराम लग गया था।

सरकार के इन प्रयासों का विरोध कर रहे समूह में शामिल कविता कुरुगंती ने कहा, " इस समय हो रहा है, वह चौंकाने व परेशान करने वाला है। 2017 के बाद से कुछ भी नहीं बदला है, तब भी जीईएसी ने जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती को अपनी मंजूरी दे दी थी, लेकिन निर्णय को 'सक्षम प्राधिकारी', यानी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री / मंत्रालय द्वारा मंजूरी नहीं दी गई थी। तब से जीईएसी द्वारा केवल दो अतिरिक्त परीक्षण कराए गए हैं, जो पूरी तरह गैर-जिम्मेदारना तरीके से किए गए। दुख की बात यह है कि ये अध्ययन जीएम सरसों को विकसित करने वाले शोधकर्ताओं ने नहीं किए और ना ही इस तरह के अध्ययनों के खिलाफ नियामकों से गुहार लगाई गई।

कुरुगंती एलायंस फॉर सस्टेनेबल एंड होलिस्टिक एग्रीकल्चर की संस्थापक हैं और जीएम फ्री इंडिया के कार्यकर्ताओं में से एक हैं जिन्होंने जीईएसी की सिफारिशों के खिलाफ केंद्र को लिखा है।

किसानों की भलाई और अधिकारों के लिए काम करने वाले नेटवर्क, रायथु स्वराज्य वेदिका के किरण वीसा ने कहा: "यह कदम उन विभिन्न आश्वासनों पर यू टर्न है जो पहले उन चिंताओं के संबंध में दिए गए थे, जिन्हें हमने जीएम सरसों का विरोध करते हुए उठाया था। यह कदम अन्य सारी जीएम खाद्य फसलों के लिए दरवाजे खोल देगा जो पर्यावरण, कृषि और खाद्य प्रणाली दोनों के लिए बाजार में प्रवेश करने के लिए हानिकारक हैं। हम इस कदम का विरोध करते हैं।"

Subscribe to our daily hindi newsletter