चावल के उत्पादन में 6 फीसदी गिरावट का अनुमान, सात साल बाद थमा बंपर उत्पादन का सिलसिला

कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय ने 2022-23 के लिए मुख्‍य खरीफ फसलों के उत्‍पादन के प्रथम अग्रिम अनुमान जारी किया

By Raju Sajwan

On: Wednesday 21 September 2022
 
Picture : Wikimedia Commons, Paddy Field

सात साल बाद खरीफ सीजन में खाद्यान्न के उत्पादन में गिरावट का अनुमान लगाया गया है। अनुमान है कि कुल खाद्यान्न में 4 प्रतिशत और चावल के उत्पादन में चावल के उत्पादन में 6 फीसदी की गिरावट का अनुमान है।

21 सितंबर 2022 को केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2022-23 के दौरान खाद्यान्न उत्पादन का पहला अनुमान जारी किया, जो केवल खरीफ सीजन के लिए है।

कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि साल 2022-23 के खरीफ फसलों का उत्पादन 14.992 करोड़ टन रहेगा, जबकि पिछले साल के चौथे अनुमान के मुताबिक खरीफ सीजन में 15.604 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ था। इस तरह पिछले साल के मुकाबले इस साल 61.2 लाख टन कम उत्पादन होने का अनुमान है, जो 3.9 प्रतिशत है।

इससे पहले 2015-16 में खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि का सिलसिला टूटा था, लेकिन उसके बाद लगातार पिछले सालों के मुकाबले खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही थी, परंतु एक बार फिर यह सिलसिला थमा है।

इससे पहले बीते रबी सीजन में भी खाद्यान्न उत्पादन में कमी का अनुमान लगाया गया था। साल 2021-22 के चौथे अग्रिम अनुमान में 15.968 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया था, जो पिछले सीजन 16.017 करोड़ टन उत्पादन के मुकाबले कम था।

चालू खरीफ सीजन में सबसे अधिक चावल का उत्पादन प्रभावित हुआ है। अनुमान है कि 2022-23 में 10.499 करोड़ टन चावल का उत्पादन होगा, जबकि पिछले साल के चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक खरीफ सीजन में चावल का 11.176 करोड़ टन उत्पादन हुआ। यानी कि इस साल 67.7 लाख टन उत्पादन कम हो सकता है, जो 6.05 प्रतिशत रहेगा।

उल्लेखनीय है कि डाउन टू अर्थ ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया था कि देश इस बार चावल संकट का सामना कर सकता है। 

खरीफ पोषक /मोटे अनाज का उत्पादन 365.6 लाख टन अनुमानित है, जबकि पिछले सीजन में 509 लाख टन उत्पादन हुआ था। मोटे अनाज के उत्पादन में 28 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। मोटे अनाज के उत्पादन में साल 2009-10 के बाद इतनी ज्यादा गिरावट देखी जा सकती है। 2009-10 में 335.5 लाख टन उत्पादन हुआ था।

वर्ष 2022-23 के दौरान कुल खरीफ दलहन उत्‍पादन 83.7 लाख टन अनुमानित है। पिछले सीजन में भी दलहन का उत्पादन इतना ही हुआ था।

वर्ष 2022-23 के दौरान देश में कुल खरीफ तिलहन उत्‍पादन 235.73 लाख टन अनुमानित है, जबकि पिछले साल 238.88 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया था।

चालू खरीफ सीजन में खाद्यान्न उत्पादन में गिरावट के लिए मुख्यतया 2022 के मानसून को दोषी माना जा रहा है। मानसून का असमान वितरण ने फसलों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है।

16 सितंबर 2022 तक के खरीफ बुआई के आकड़े बताते हैं कि पिछले साल के मुकाबले इस साल 18.90 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई कम हुई है, जबकि दलहन 5.58 लाख हेक्टेयर, तिलहन 1.32 लाख हेक्टेयर में बुआई कम हुई है।

जून से लेकर अगस्त तक उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में बारिश की भारी कमी का बुआई पर बड़ा असर पड़ा है। झारखंड में तो अब तक 9 लाख 37 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई कम हुई है, जबकि मध्य प्रदेश में 6.32 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई कम हुई है।

सरकार को पहले ही इस बात का अंदेशा था कि चावल का उत्पादन कम रह सकता है। इसलिए सरकार ने कुछ दिन पहले की चावल के निर्यात पर पाबंदियां लगा दी थी।

पांच साल के औसत से अधिक का अनुमान

हालांकि प्रेस सूचना ब्यूरो की ओर से जारी विज्ञप्ति में दावा किया गया कि वर्ष 2022-23 के लिए प्रथम अग्रिम अनुमान (केवल खरीफ) के अनुसार, देश में कुल खाद्यान्‍न उत्‍पादन विगत पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के औसत खाद्यान्‍न उत्‍पादन की तुलना में 69.8 लाख टन अधिक है।

इसी तरह खरीफ चावल का कुल उत्‍पादन में विगत पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के 10.059 करोड़ टन औसत खरीफ चावल उत्‍पादन की तुलना में 44 लाख टन अधिक है।

ऐसे ही खरीफ पोषक /मोटे अनाज के उत्पादन के मामले में भी कहा गया है। 

मंत्रालय ने कहा है कि वर्ष 2022-23 के दौरान देश में मक्का का उत्‍पादन रिकॉर्ड 2.310 कराड़ टन अनुमानित है जो 1.989 करोड़ टन औसत मक्का उत्‍पादन की तुलना में 32.1 लाख टन अधिक है।

वर्ष 2022-23 के दौरान देश में गन्‍ने का उत्‍पादन रिकॉर्ड 46.505 करोड़ टन अनुमानित है। 2022-23 के दौरान गन्‍ने का उत्‍पादन, 37.346 करोड़ टन औसत गन्‍ना उत्‍पादन की तुलना में 9.159 करोड़ टन अधिक है।

कपास का उत्‍पादन 3.419 करोड़ गांठें (प्रति 170 किग्रा की गांठे) तथा पटसन एवं मेस्‍ता का उत्‍पादन 1.009 करोड़ गांठें (प्रति 180 किग्रा की गांठे) अनुमानित हैं।

 

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