वैज्ञानिकों ने उस केमिकल का लगाया पता जिसका उपयोग कर टिड्डियां बनाती है झुंड

चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के वैज्ञानिकों ने चार टिड्डियों को एक पिंजरे में एक साथ रखा और पाया कि टिड्डियां एक दूसरे को आकर्षित करने के लिए केमिकल छोड़ रहे थे

By Dayanidhi

On: Saturday 15 August 2020
 

टिड्डियां दुनिया के कई हिस्सों में फसलों को तबाह कर रही हैं। अब वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि ये कीट विनाशकारी झुंड क्यों और कैसे बनाते हैं? 

एक अकेली टिड्डी नुकसान कम करती है। लेकिन तथाकथित अकेले रहने वाले टिड्डे एक बदलाव (मेटामोर्फोसिस) के दौर से गुजरते हैं। ये रंग बदलते हैं और लाखों अन्य टिड्डियों के साथ मिलकर तबाही मचाते हैं।

अकेले रहने वाले टिड्डे झुण्ड में कैसे बदल जाते हैं, ये आपस में एक दूसरे को क्या संकेत देते हैं? इसके पीछे एक गंध संबंधी रहस्य छिपा होता है।

टिड्डियों द्वारा एक ऐसी गंध छोड़ी जाती है जो आसानी से समाप्त नहीं होती है। यह इत्र की तरह एक रासायनिक यौगिक होता है। इससे वे अपनी तरह के अन्य टिड्डियों से निकटता महसूस करते हैं।

यह केमिकल अन्य टिड्डियों को एक दूसरे की ओर आकर्षित करता है। टिड्डियां समूह में शामिल हो जाती हैं और खुद भी गंध का उत्सर्जन करना शुरू कर देती हैं। इस प्रक्रिया से भारी संख्या में टिड्डियों का झुंड बन जाता है। जिसके बाद ये भारी मात्रा में फसल को बर्बाद कर दते हैं।

यह खोज कई आशावान संभावनाएं प्रदान करती है, जिसमें सूघंने की क्षमता के बिना आनुवंशिक रूप से इंजीनियरिंग टिड्डे शामिल हैं जो कि झुंड के गंध (फेरोमोन) का पता लगाते हैं, या कीड़ों को अपनी ओर आकर्षित करने और फंसाने के लिए गंध को हथियार बनाते हैं। यह अध्ययन नेचर नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययन से पता चलता है कि पूर्वी अफ्रीका में टिड्डों ने भारी मात्रा में फसलों को नष्ट किया है, ये भारत, पाकिस्तान में खाद्य आपूर्ति के लिए खतरा बने हुए हैं।

गंध के रूप में कौन सा केमिकल छोड़ती है टिड्डियां

प्रवासी टिड्डियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए इसे कीटों की सबसे व्यापक रूप से वितरित प्रजाति माना गया है, और इस दौरना अध्ययनकर्ताओं ने कीड़ों द्वारा उत्पादित कई यौगिकों की जांच भी की।

अध्ययन में पाया गया कि एक विशेष रूप से 4-विनाइनिसोल, या 4वीए (4VA)- जो एक तरह का केमिकल है, इसके उत्सर्जित होने पर टिड्डियां इसकी ओर आकर्षित होती दिखाई दिए। 4वीए के अधिक उत्सर्जन से टिड्डियों इसकी ओर अधिक आकर्षित हुई और उनका झुंड बन गया।

चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के प्रोफेसर ले कांग की अगुवाई वाली टीम ने चार टिड्डियों को एक पिंजरे में एक साथ रखा और उन्होंने पाया कि टिड्डों ने एक दूसरे को आकर्षित करने के लिए 4-विनाइनिसोल (4वीए) केमिकल छोड़ना शुरू कर दिया था।

तब टीम ने जांच की कि कैसे टिड्डों ने गंध को महसूस किया, टिड्डी में झुंड बनाने वाले केमिकल (फेरोमोन) का पता लगाने के लिए जिम्मेदार एंटीना के हिस्से को टिड्डी से अलग कर दिया गया। उन्होंने इसे जीन का पता लगाने की प्रक्रिया के लिए आवश्यक बताया। आनुवंशिक रूप से संशोधित टिड्डियों का उत्पादन किया गया जिसमें मुख्य ओआर35 (OR35) जीन की कमी थी।

क्या टिड्डियों के जीन में बदलाव कर उन्हें झुंड बनाने से रोका जा सकता है

अध्ययन में कहा गया कि जीन में परिवर्तन (उत्परिवर्ती) किए गए टिड्डों ने जंगली प्रकार के टिड्डों की तुलना में 4वीए की ओर आकर्षित होना बंद कर दिया था, अर्थात 4वीए के प्रति उनका आकर्षण समाप्त हो गया था।

खोजों ने फसलों को उजाड़ने वाले कीटों से निपटने के लिए कई संभावनाओं को खोला है। इनमें आनुवांशिक संशोधन का उपयोग करना, या झुंड के बनने का पूर्वानुमान के लिए 4वीए के उत्पादन पर नजर रखना शामिल है।

कांग और उनकी टीम ने क्षेत्र में दो तरह के नियंत्रित तरीके से जाल स्थापित किए, और दोनों मामलों में उन्होंने टिड्डियों को प्रभावी ढंग से लुभा कर फसाया था।

रॉकफेलर यूनिवर्सिटी की प्रयोगशाला न्यूरोएजेनेटिक्स एंड बिहेवियर के प्रमुख लेस्ली वॉशहॉल ने कहा कि शायद सबसे रोमांचक प्रयोग एक ऐसा रसायन ढूंढना होगा जो 4वीए के सूंघने (रिसेप्शन) को अवरुद्ध कर दे।

इस तरह के एक अणु की खोज कीटों के झुंड बनाने को रोकने के लिए एक केमिकल ऐन्टिडोट प्रदान कर सकता है। यह टिड्डियों के झुंड बनाने को रोक सकता है और उनके शांतिपूर्ण, एकान्त जीवन के मार्ग पर लौटा सकता है।

कांग ने कहा कि टिड्डियों के आनुवंशिक संशोधन से टिकाऊ उपाय किया जा सकता है, लेकिन यह भी स्वीकार किया कि ऐसी परियोजना के लिए बड़े पैमाने पर और दीर्घकालिक प्रयासों की आवश्यकता होती है।

Subscribe to our daily hindi newsletter