टिड्डी दल के राजस्थान से मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश तक आ जाने से बिहार के किसान परेशान हैं। पश्चिमी चम्पारण के चनपटिया ब्लाक के किसान शत्रुघ्न प्रसाद ने डाउन टू अर्थ से कहा, "अभी तक तो टिड्डी इधर नहीं आई है, लेकिन आशंका बनी हुई है। मेरे खेत में अभी गन्ना और धान का बिचरा लगा हुआ है। अगर टिड्डी का हमला हुआ, तो कुछ नहीं बचेगा।"
बिहार के आधा दर्जन ज़िले उत्तर प्रदेश से सटे हुए हैं, ऐसे में आशंका है कि अगर टिड्डी दल पूरब की तरफ बढ़ता है, तो बिहार में प्रवेश कर जाएगा और सीमावर्ती जिलों को नुकसान पहुंचाते हुए भीतर की तरफ आएगा।
सुरेश सिंह उत्तर प्रदेश से सटे बिहार के गोपालगंज जिले के फुलवरिया ब्लाक के लारहपुर में रहते हैं। उन्होंने इस सीजन में बुलाई नहीं की है, लेकिन उनके भाई के खेत में लगे मक्के पर कीड़ों का हमला हुआ है। उन्हें नहीं पता कि वह टिड्डी ही है कि नहीं। सुरेश सिंह ने डाउन टू अर्थ को बताया, "वे ज्यादा संख्या में हैं और मक्के का पत्ता चट कर रहे हैं। उनका आकार आधा से एक इंच का है और देखने पर तोता जैसा लगता है।"
उन्होंने कहा कि पिछली बार उन्होंने एक बीघे में मक्के की खेती की थी, जिस पर इस कीड़े ने हमला कर दिया था और उन्हें बहुत नुकसान हुआ था।
गोपालगंज के जिला कृषि विभाग ने कहा है कि टिड्डी के हमले की उन्हें अब तक कोई खबर नहीं मिली है। गोपालगंज के जिला कृषि अधिकारी वेद नारायण सिंह ने डाउन टू अर्थ को बताया, "अभी तक टिड्डी के हमले की खबर हम तक नहीं पहुंची है।"
टिड्डी दल के एक औसत झुंड में 80 लाख टिड्डी होती है, जो एक दिन में 2,500 आदमी या 10 हाथी जितनी फसल खा सकती हैं। पिछले कुछ दिनों से राजस्थान में टिड्डी दल का हमला बढ़ा है और अब ये मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश तक पहुंच गया है।
किसानों की आशंकाओं पर विशेषज्ञों का कहना है कि टिड्डी से बिहार को फिलहाल खतरा नजर नहीं आता है। राजेंद्र केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कीटविज्ञानी नीरज कुमार ने डाउन टू अर्थ को बताया, "टिड्डी दल हवा के रुख की तरफ बढ़ता है। जिस तरफ हवा बहती है और जितनी तेज बहती है, टिड्डी दल उसी तेजी से हवा के साथ भागता है। अभी बिहार में पूरबा हवा चल रही है, इसलिए टिड्डी दल बिहार नहीं आएगा। अगर पछुआ हवा चलती, तो बिहार में आने की आशंका रहती, लेकिन अभी अचानक हवा का रुख बदल गया है और पूरबा हवा बहने लगी है।"
उन्होंने बताया कि टिड्डी दल काफी खतरनाक है और जहां जाता है, वहां की शत प्रतिशत फसल खा जाता है। नीरज कुमार ने कहा, "हमारे पास बिहार में टिड्डी के हमले से जुड़ी कोई खबर नहीं आई है।"
जानकारों का कहना है कि दशकों पहले बिहार में भी टिड्डी दल का हमला हुआ करता था, लेकिन बाद के वर्षों में ये रुक गया। नीरज कुमार ने बताया, "पहले हर जिले में लोकस्ट वार्निंग सेंटर हुआ करता था, जिसके जरिए वार्निंग दी जाती थी कि टिड्डी आने वाली है कि नहीं। उस वक्त टिड्डी दल के हमले बिहार में भी होते थे। लेकिन, लंबे समय तक यहां टिड्डी का हमला नहीं हुआ, तो ये सेंटर निष्क्रिय हो गए हैं।"
इधर, बिहार के कृषि विभाग गुरुवार को सभी जिलों के कृषि अधिकारी के साथ बैठक करेगा, जिसमें टिड्डी दल के हमले पर चर्चा की जाएगी।