कम हो रही मिट्टी के पानी सोखने की क्षमता, बढ़ सकता है खाद्यान्न संकट
वैज्ञानिकों ने अमेरिका के केंसास इलाके में 25 साल तक स्टडी करने के बाद कई महत्वपूर्ण तथ्यों की खोज की है
On: Friday 13 September 2019


जलवायु परिवर्तन से तट, महासागर, पारिस्थितिक तंत्र, मौसम और मानव स्वास्थ्य सभी तो प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन इसका असर बहुमूल्य मिट्टी पर भी दिख रहा है। पत्रिका साइंस एडवांसेज में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से दुनिया के कई हिस्सों में धरती के पानी को सोखने की क्षमता कम हो रही है। ऐसा होने पर भूजल का स्तर तो गिरेगा ही। साथ ही, इससे खाद्यान्न उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ेगा और जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र गंभीर रूप से प्रभावित होंगे।
रटगर्स विश्वविद्यालय-न्यू ब्रंसविक में पर्यावरण विज्ञान विभाग में प्रोफेसर एवं सह-अध्ययनकर्ता, डैनियल गिमनेज ने कहा कि चूंकि जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप बारिश के पैटर्न और अन्य पर्यावरणीय परिस्थितियां सारी दुनिया में बदल रही हैं, यही वजह है कि दुनिया के कई हिस्सों में जमीन और पानी का तालमेल बदल सकता है या बदलने की प्रक्रिया में और तेजी आ सकती है।
गिमनेज के अनुसार कार्बन का भंडारण करने के लिए जमीन में पानी आवश्यक है, लेकिन जमीन अथवा मिट्टी में परिवर्तन से हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाएगी। उल्लेखनीय है कि कार्बन डाइऑक्साइड जलवायु परिवर्तन से जुड़ी प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों में से एक है।
वैज्ञानिकों ने मध्य-पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के केंसास में 25 साल के प्रयोग के दौरान स्प्रिंकलर के साथ जमीन की सिंचाई की और पाया कि वर्षा में 35 फीसदी की वृद्धि के कारण मिट्टी में जल के समाने की दर में 21 फीसदी से 33 फीसदी की कमी आई है।
भू-कटाव और जल संग्रहण में पौधों की बड़ी भूमिका होती है। इस बढ़ती हुई वर्षा में, जहां पौधें अधिक संख्या में होते है वहां पौधें वर्षा के पानी को अपनी जड़ों द्वारा जमीन में बड़े छिद्र बनने से रोक सकते है, साथ ही बहने वाले पानी को भी जमीन में संग्रहित करने में सहायक हो सकते है। यह निर्धारित करना भी महत्वपूर्ण है कि विभिन्न प्रकार की जलवायु के कारण मिट्टी की बनावट और इसमें पाए जाने वाले खनिजों पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है।
वैज्ञानिक भी पर्यावरणीय कारकों और मिट्टी के प्रकारों की एक विस्तृत सारणी का अध्ययन करना चाहते हैं और अन्य मिट्टी में होने वाले परिवर्तनों की पहचान कर सकते हैं जो सीधे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से उत्पन्न होते हैं।