पीएम किसान सम्‍मान: तकनीकी गड़बड़‍ियों में फंसा यूपी के किसानों का 2000 रुपया

यूपी सरकार ने प्रदेश के दो करोड़ से अध‍िक किसानों के खाते में 4100 करोड़ रुपए भेजे हैं, लेकिन बहुत से किसान इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं

By Ranvijay Singh

On: Monday 27 April 2020
 
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के बरोए गांव ललऊ प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का इंतजार कर रहे हैं। फोटो: रणविजय सिंह

ललऊ (71) इन दिनों काफी उदास हैं। उन्‍हें खबरों से पता चला कि कोरोना वायरस की वजह से 'प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निध‍ि' का 2000 रुपया किसानों के खाते में भेजा गया है। उनके गांव के ही कई किसानों के खाते में पैसा आ भी चुका है, लेकिन उन्‍हें इस योजना का एक भी रुपया नहीं मिला। ललऊ बताते हैं, ''मैं सेंटर पर चार बार कागज जमा करा चुका हूं, हर बार कहा जाता है कि अब पैसा आएगा, लेकिन पैसा नहीं आता।''

इतना कहने के बाद ललऊ ठहर जाते हैं, फिर कुछ सोचकर उदास मन से कहते हैं, ''मैंने तो इसकी उम्‍मीद ही छोड़ दी है।'' ललऊ उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 75 किलोमीटर दूर स्‍थ‍ित सीतापुर जिले के बरोए गांव के रहने वाले हैं। उनके गांव के कई किसानों के खाते में 2000 रुपए आ चुके हैं, लेकिन बहुत से ऐसे भी किसान हैं ज‍िन्‍हें तकनीकी गड़बड़‍ियों की वजह से दो हजार रुपए नहीं मिल पाए। किसी का खाते की जगह आधार नंबर चढ़ गया है तो किसी का पैसा गलत खाते में जा रहा है।

कोरोना संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि देशभर के किसानों के खाते में पीएम किसान सम्‍मान न‍िध‍ि की एक किश्‍त पहले ही भेज दी जाएगी। इसके तहत अब तक देश के 8 करोड़ किसानों के खाते में 16,146 करोड़ रुपए भेजे जा चुके हैं। इसी कड़ी में उत्‍तर प्रदेश के किसानों को भी इसका लाभ मिला है। यूपी के अपर मुख्‍य सचिव गृह अवनीश अवस्‍थी ने 23 अप्रेल को बताया कि ''पीएम किसान सम्‍मान योजना के तहत प्रदेश के दो करोड़ से अध‍िक किसानों के खाते में 4100 करोड़ रुपए भेजे गए हैं।'' उत्‍तर प्रदेश के कृष‍ि विभाग की वेबसाइट पर द‍िए गए आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में करीब 2.34 करोड़ किसान हैं।

यूपी सरकार की ओर से जारी बयान से साफ होता है कि सरकार की ओर से किसानों को पैसा भेजा जा रहा है। प्रदेश में बहुत से किसानों के खाते में पैसा पहुंच भी गया है, लेकिन वहीं ललऊ जैसे तमाम किसान भी हैं जो अभी भी 2000 रुपए का इंतजार कर रहे हैं। ऐसी ही एक महिला किसान मिरजा देवी (55) भी हैं। बलिया जिले के शमशुद्दीनपुर गांव की रहने वाली मिरजा देवी के खाते में पिछली तीन किश्‍त तो पहुंच गई, लेकिन इस बार कुछ नहीं आया। मिरजा के लड़के राजकुमार यादव (28) खाते की ड‍िटेल दिखाते हुए कहते हैं, ''इसमें पेमेंट पेंड‍िंग द‍िखा रहा है। मैंने लेखपाल से इस बारे में बात की तो उनका कहना था पैसा आ जाएगा, परेशान मत हो।

राजकुमार बताते हैं, ''हम छोटे किसान हैं, डेढ़ बीघा ही जमीन है। यह 2000 रुपए हमारे ल‍िए बहुत मायने रखते हैं। सही वक्‍त पर पैसा आ जाता तो कुछ मदद हो जाती। गांव में ही कई संपन्‍न लोग हैं जिनका पैसा आ चुका है। कई तो ऐसे भी हैं ज‍िनके पास सरकारी नौकरी है या सरकार से पेंशन पर रहे हैं।'' इतना कहने के बाद राजकुमार हंस देते हैं और फिर कहते हैं, ''आप तो बेहतर जानते हैं कि सरकारी योजनाओं का क्‍या हाल है।''

राजकुमार की तरह की मुजफ्फरनगर जिले के पिन्‍ना गांव के किसान सुमित मल‍िक (32) भी सरकारी योजनाओं को लेकर कुछ ऐसा ही मत रखते हैं। सुम‍ित बताते हैं, ''पीएम किसान योजना का लाभ लेने के ल‍िए मैं कई बार दौड़ा, लेकिन आज तक एक किश्‍त नहीं आई है। कई तो ऐसे भी हैं ज‍िनके खाते गलत हो गए हैं और उनका पैसा किसी और के खाते में जा रहा है। हमारे गांव के ही धर्मपाल सिंह की पिछली तीन किश्‍तों में से दो आई है और इस बार पेमेंट पेंडिंग बता रहा है। इस तरह की तमाम गड़बड़‍ियां हैं, क्‍या-क्‍या बताई जाएं!''

इन गड़बड़‍ियों के बारे में जब 'डाउन टू अर्थ' ने प्रमुख सचिव कृष‍ि देवेश चतुर्वेदी से बात की तो उन्‍होंने कहा, ''हमें इन गड़बड़‍ियों की जानकारी है। हम इन्‍हें ठीक करने का काम कर रहे थे तब तक कोरोना वायरस का संकट उत्‍पन्‍न हो गया। हमारा प्रयास है कि मई के आखिर तक इसे ठीक कर दिया जाए।''

फिलहाल विभाग के इन गड़बड़‍ियों को ठीक करने के प्रयासों के बीच ही कई किसानों के नाम से आया पैसा दूसरे के खातों में जा रहा है। ऐसे ही किसानों में से एक सीतापुर जिले के बरोए गांव के रहने वाले बाबूराम (76)  भी हैं, जिनकी चार किश्‍तें (8 हजार रुपए) दूसरे के खाते में जा चुकी है। बाबूराम कहते हैं, ''पता नहीं मेरा पैसा कौन खा रहा है!''

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