हाई वोल्टेज ड्रामा के बाद फिर टला आत्मबोधानंद के जल त्याग का फैसला

रात को मातृ सदन में पुलिस पहुंचने के बाद तनाव का माहौल बन गया था 

By Varsha Singh

On: Friday 03 May 2019
 
गुरुवार रात मातृ सदन के बाहर खड़ी पुलिस। Photo : Varsha Singh

 

अविरल-निर्मल गंगा के लिए अनशन कर रहे, हरिद्वार के मातृ सदन आश्रम के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने जल त्याग का अपना निर्णय अगले दो दिनों के लिए स्थगित कर दिया है। चार मई की रात तक ये तय होगा कि आत्मबोधानंद आगे क्या कदम उठाएंगे।

इससे पहले, नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा यानी एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा से मुलाकात के बाद 26 अप्रैल को उन्होंने एक हफ्ते के लिए जल त्यागने का फ़ैसला स्थगित किया था। उस समय से मातृ सदन लिखित आश्वासन की प्रतीक्षा कर रहा था। एनएमसीजी ने गंगा में खनन रोकने को लेकर आदेश जारी तो किये, लेकिन मातृ सदन को लिखित आश्वासन नहीं मिला।

गंगा में आस्था रखने वाले लोग बेहद उम्मीद लगाये बैठे थे। गुरुवार शाम मातृसदन के अंदर हलचल तेज हो गई। हरिद्वार प्रशासन भी हरकत में आ गया। इससे पहले कि आत्मबोधानंद जल त्यागें, उन्हें अस्पताल ले जाने की कवायद तेज हो गई।

आश्रम के स्वामी दयानंद ने चिंता जतायी कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की तरह ही गुरुवार रात आठ बजे पुलिस ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद को उठाकर ले जाने वाली है।

कनखल थानाक्षेत्र के सीओ, एसओ, चौकी इंचार्ज मातृ सदन में पहुंच चुके थे। इसके बाद एसडीएम कुसुम चौहान भी वहां पहुंचीं। आश्रम के अंदर घटनाक्रम तेजी से बदल रहे थे। इससे पहले भी एक बार आत्मबोधानंद को प्रशासन बिना उनकी इच्छा के एम्स अस्पताल ले जाया गया था। जहां उनकी तबियत बिगड़ गई थी। लेकिन इस बीच एनएमसीजी के अधिकारियों का आश्रम में फोन आया। फोन पर हुई बातचीत और अनुरोध के बाद आत्मबोधानंद ने जल त्याग का निर्णय अगले दो दिनों के लिए स्थगित कर दिया।

हरिद्वार प्रशासन के रवैये के प्रति मातृ सदन सख्त नाराजगी जताया। स्वामी दयानंद का कहना है कि जब एनएमसीजी से सार्थक बातचीत चल रही है, जिसके तहत एनमसीजी ने हरिद्वार प्रशासन को अपने 09 अक्टूबर 2018 के आदेश को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया है। उनका आरोप है कि इस आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। क्योंकि गंगा में खनन के कार्य में बड़े-बड़े माफिया सक्रिय हैं। इसके उलट आत्मबोधानंद को अस्पताल ले जाने की कोशिश की जा रही है।

गंगा में अवैध खनन की शिकायतों पर एनएमसीजी ने भी हरिद्वार प्रशासन से नाराजगी जतायी है। मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने इस मामले में हरिद्वार जिला प्रशासन से 10 मई तक रिपोर्ट तलब की है। जिसमें गंगा किनारे अवैध खनन की शिकायतों पर वस्तुस्थिति बताने को कहा गया है। साथ ही ये भी पूछा है कि छह महीने में हरिद्वार जिला प्रशासन ने खनन को लेकर कितनी बार निरीक्षण किया है और उस निरीक्षण के क्या नतीजे निकले। इसके साथ ही गंगा के 5 किलोमीटर के दायरे में बंद किये गये स्टोन क्रशर्स के बारे में भी रिपोर्ट मांगी गई है।

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