गांवों पर केंद्रित होगा बजट, लेकिन लाभार्थियों को लाभ देने पर होगा जोर

अगर किसी भी बजट में फील-गुड फैक्टर होता है, तो इस साल यह होना चाहिए

By Richard Mahapatra

On: Wednesday 03 July 2019
 
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को आम बजट पेश करेंगी। Photo Credit: PIB

वैसे तो, पूर्ण बजट 2019-20 अंतिम प्रकाशन की स्थिति में हैं। ऐसे में, जिन लोगों ने यह बजट तैयार किया है, वही जानते हैं कि वास्तव में इसमें क्या है? लेकिन वित्त मंत्रालय के अधिकारी बता रहे हैं कि 1 फरवरी 2019 का पेश किए गए अंतरिम बजट में जो आवंटन किए गए थे, उनमें कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा अंतरिम बजट में घोषित किसी योजना को बंद या उसमें हेरफेर नहीं किया जाएगा।

यदि वर्तमान बजट के पीछे यही सिद्धांत रहे, तो यह पूर्ण बजट भी अंतरिम बजट की तरह ग्रामीण केंद्रित होगा। जैसा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी कई बार सार्वजनिक तौर पर घोषित कर चुके हैं, उसके मुताबिक, यह एक ग्रामीण बजट होगा। उनका नया लक्ष्य देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाना है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे कर दिया है। वह पहले ही एक बड़ा जल संरक्षण अभियान की शुरुआत कर चुके हैं और अपने दूसरे कार्यकाल में कृषि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने पर फोकस कर रहे हैं।

लेकिन बिना किसी अतिरिक्त आवंटन और नई योजनाओं या कार्यक्रमों के, बजट का मुख्य संदेश क्या होगा?  पूर्ण बजट को अंतिम रूप देने वालों में शामिल वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि इस बजट का पूरा फोकस लाभार्थियों तक लाभ पहुंचाने की प्रकिया में पैनापन लाने पर होगा और आगामी बजट में बड़ी योजनाओं के बीच समन्वय स्थापित करने पर भी जोर होगा।

इसके अलावा, अंतरिम बजट में शुरू की गई पीएम किसान आय सहायता योजना पर भी इस बजट में फोकस होगा, लेकिन पूर्वव्यापी प्रभाव के साथ। इसी तरह, सराकर सभी घरों में पाइप के माध्यम से जलापूर्ति के वादा कर चुकी है। इस बजट में इस वादे को पूरा करने का लक्ष्य और धन आवंटन की घोषणा की जाएगी।

अधिकारी ने बताया कि मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में जिन बुनियादी आवश्यकताओं का वादा किया था, उन्हें पूरा करने पर भी फोकस होगा। लोगों को एक घर, एक शौचालय, एक एलपीजी कनेक्शन, बिजली, स्वास्थ्य बीमा मिल चुका है और अब यह पाइप जलापूर्ति की घोषणा की जाएगी। साथ ही, पहले की योजनाओं की तरह लाभ का वितरण महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा, “बजट का कार्यान्वयन से कोई लेना-देना नहीं है”।

उम्मीद है कि ग्रामीण क्षेत्र और जल व सिंचाई के आधारभूत ढांचे को विकसित करने के लिए बजट में अच्छा खासा आवंटन किया जाएगा। इसके अलावा सभी रुकी हुई सिंचाई परियोजनाओं को शुरू करने और पूरा करने के लिए एक नया लक्ष्य निर्धारित किया जा सकता है। इसी तरह, बजट में ग्रामीण सड़कें और राजमार्ग प्राथमिकता वाले क्षेत्र होंगे।

अधिकारियों का कहना है कि बजट में बेरोजगारी पर भी फोकस किया जाएगा। हालांकि कृषि क्षेत्र सबसे अधिक रोजगार देता है, लेकिन यह कम समय में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार पैदा करने में सक्षम नहीं होगा। बजट में सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण आवंटन कर सकती है, लेकिन यह भी काफी समय बाद परिणाम दिखाएगा। इसलिए, तत्काल जो क्षेत्र रोजगार दे सकता है, ढांचागत निर्माण है, जिस पर ध्यान देने से न केवल रोजगार पैदा होंगे, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र की मांग भी पूरी होगी।

इसी तरह पानी और सिंचाई पर ध्यान देने के अलावा कई पुरानी रुकी हुई परियोजनाओं को शुरू करने से सरकार किसानों तक अपनी पहुंच बनाने का अपना दूसरे कार्यकाल का उद्देश्य पूरा कर सकती है।

बजट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के आवंटन में भी उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद की जा रही है, जो अंतरिम बजट से लगभग 10-12 प्रतिशत अधिक हो सकती है, लेकिन बजट में मनरेगा के माध्यम से मानसून में कमी और सूखे के आसार को देखते हुए सरकार की तैयारियों की झलक भी दिखेगी। मनरेगा से सरकार रोजगार की मांग को पूरा कर सकती है। ऐसे समय में, यह भी मांग की जा रही है कि मनरेगा के तहत 100 दिन के गारंटीशुदा रोजगार की अवधि बढ़ा कर 150 दिन कर दिया जाए। यदि अधिकारियों की बात को माना जाए तो सरकार मनरेगा पर बड़े स्तर पर ध्यान देने जा रही है।  

हालांकि, ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था की हालत अच्छी नहीं है ग्रामीण क्षेत्र पर ध्यान देकर सरकार का मकसद फील गुड फैक्टर से है। विशेष रूप में तब जब देश भर में निजी खपत में कमी आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसका बड़ा हिस्सा है। इसलिए, सरकार का मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में खपत बढ़ाना है। यह तब ही हो सकता है, जब ग्रामीण भारत पर सार्वजनिक खर्च बढ़ाया जाए और ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया जाए। खेती से होने वाली आय में होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए सरकार ग्रामीणों को अपनी परियोजनाओं में शामिल कर सकती है और उन्हें मनरेगा के तहत मजदूरी देकर रोजगार बढ़ा सकती है।

उद्योगपतियों से बजट पूर्व बातचीत में वित्त मंत्री सलाह दे चुकी हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में खपत बढ़ाने की दिशा पर ध्यान दिया जा रहा है। कृषि क्षेत्र में मंदी है, ऐसे में सरकारी खर्च के माध्यम से रोजगार उत्पन्न किए जा सकते हैं।

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